बंदियों को बार-बार कोर्ट में नहीं किया जाएगा पेश, जल्द लागू होगी नई व्यवस्था; यूपी सरकार ने कर दिया इंतजाम
यूपी सरकार ने एक नई व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है जिसके तहत बंदियों को बार-बार कोर्ट में पेश नहीं किया जाएगा। इसके बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जेल से ही उनकी पेशी होगी। इस व्यवस्था से पुलिस को कड़ी सुरक्षा घेरा बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और जेल प्रशासन को भी राहत मिलेगी। प्रदेश की 72 जेलों में 535 नई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग यूनिट स्थापित की जाएंगी।
आलोक मिश्र, लखनऊ। माफिया व कुख्यातों को जेल से बार-बार कोर्ट ले जाने के दौरान पुलिस को अब कड़ा सुरक्षा घेरा नहीं बनाना पड़ेगा। वह दिन दूर नहीं जब, बंदियों को जेल से बार-बार कोर्ट में पेशी पर ले जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। तकनीक व नए कानून में दी गई व्यवस्था से यह संभव होगा।
प्रदेश में जल्द बंदियों के बयान से लेकर साक्ष्य पेश करने की प्रक्रिया वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पूरी होगी। बंदी के जेल में रहते हुए ही किसी मामले में उसके विरुद्ध चल रहे मुकदमे का ट्रायल (विचारण) पूरा हो सकेगा। कारागार प्रशासन इसके लिए जल्द प्रदेश की 72 जेलों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की 535 नई यूनिट स्थापित कराएगा। शासन ने इसके लिए 10 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया है।
प्रदेश की जेलों में वर्तमान में 145 वीडियो कांफ्रेंसिंग यूनिट हैं, जिनके माध्यम से बंदियों की 14 दिनों में न्यायिक रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए पेशी होती है। मुकदमे के ट्रायल के दौरान आरोप तय किए जाने, गवाही, बयान, साक्ष्य प्रस्तुत करने से लेकर सजा सुनाए जाने तक आरोपित को कई बार कोर्ट में पेश किया जाता है। पुलिस को बंदियों को कोर्ट में पेश कराने व वापस जेल में दाखिल कराने के लिए काफी भागदौड़ करनी पड़ती है।
माफिया व कुख्यात अपराधियों की पेशी के कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था सुनिश्चित कराने की चुनौती भी हर बार होती है। ऐसे में नए कानून जेल व पुलिस प्रशासन को बड़ी राहत देने वाले हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 के तहत बंदी की वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेशी कराकर ट्रायल की प्रक्रिया काे पूरा कराने का प्रविधान किया गया है। कारागार प्रशासन ने इस दिशा में अपने कदम बढ़ाए हैं।
डीजी कारागार पीवी रामाशास्त्री का कहना है कि जेलों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की नई 535 यूनिट स्थापित कराए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कोर्ट जिन मामलों में अनुमति देगा, उनमें पूरे ट्रायल के दौरान बंदी की पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनिश्चित कराई जाएगी। बड़ी जेलों में 10 से 12 नई वीडियो कांफ्रेंसिंंग यूनिट लगेंगी।
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