प्रो. प्रसाद ने बताया कि किडनी खराब होने पर डायलिसिस और प्रत्यारोपण ही उपाय है। दोनों स्थिति में संक्रमण की आशंका अधिक रहती है। एक बार किडनी खराब हो गई तो इसका उपचार बहुत महंगा है। इसलिए संतुलित खानपान और नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ रहें। इस मौके पर मानस रंजन पटेल डा. रवि शंकर कुशवाहा ने भी बचाव के तरीके बताए।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। मोटापा कम करने से करीब 60-70 प्रतिशत तक किडनी पर दुष्प्रभाव की आशंका कम हो जाती है। किडनी खराब होने की मुख्य वजह उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित शुगर है। पेशाब लगने पर तत्काल जाएं, क्योंकि इसे रोकने से मूत्राशय कमजोर होता है और गुर्दा खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। ये जानकारी एसजीपीजीआइ में नेफ्रोलाजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. नारायण प्रसाद और प्रो. धर्मेंद्र भदौरिया ने दी।
संस्थान में विश्व किडनी दिवस के मौके पर जागरूकता एवं वाकथान का भी आयोजन किया गया।
यूरोलाजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख प्रो. एमएस अंसारी ने बताया कि पेशाब कतई न रोंके। यह स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं है। कई बार ऐसा सुनने में आता है है कि कुछ महिलाएं और स्कूली बच्चे साफ टायलेट न होने के कारण कई घंटे तक पेशाब रोक लेते हैं।
यह समझने की जरूरत है कि इससे मूत्राशय कमजोर होता है और किडनी पर दुष्प्रभाव पड़ता है। प्रो. प्रसाद ने बताया कि किडनी खराब होने पर डायलिसिस और प्रत्यारोपण ही उपाय है। दोनों स्थिति में संक्रमण की आशंका अधिक रहती है। एक बार किडनी खराब हो गई तो इसका उपचार बहुत महंगा है। इसलिए संतुलित खानपान और नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ रहें।
ब्लड प्रेशर 130-80 से और एचबीएवनसी सात से अधिक नहीं रहना चाहिए। गुर्दा रोग विशेषज्ञ प्रो. अनुपमा कौल ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान किडनी के साथ रक्तदाब पर खास ध्यान रखना चाहिए। यूरोलाजिस्ट एवं किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ प्रो. संजय सुरेखा ने कहा कि ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों को डाक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। नेफ्रोलाजिस्ट की सलाह से नियमित दवाएं लेने से प्रत्यारोपित किडनी लंबे समय तक काम करती है। इस मौके पर मानस रंजन पटेल, डा. रवि शंकर कुशवाहा ने भी बचाव के तरीके बताए।
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