राजनीति की सिल्वर जुबली पर राजा भैया करेंगे नई पार्टी बनाने का ऐलान
प्रतापगढ़ के कुंडा से 1993 में पहली बार निर्दलीय विधायक चुने गए दबंग छवि के राजा भैया प्रदेश में आधा दर्जन बार भले ही कैबिनेट मंत्री रहे हैं, लेकिन किसी पार्टी का दामन नहीं थामा।
By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Sat, 20 Oct 2018 01:35 PM (IST)
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा चेहरा बन चुके कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया सक्रिय राजनीति में अपनी सिल्वर जुबली अनोखे ढंग से मनाने की तैयारी में हैं। प्रतापगढ़ के कुंडा से 1993 में पहली बार निर्दलीय विधायक चुने गए दबंग छवि के राजा भैया प्रदेश में आधा दर्जन बार भले ही कैबिनेट मंत्री रहे हैं, लेकिन किसी भी पार्टी का दामन नहीं थामा।
लगातार सात बार विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया 26 वर्ष की उम्र में प्रतापगढ़ के कुंडा से पहली बार निर्दलीय विधायक बने। इसके बाद उन्होंने अपना जीत का सिलसिला बरकरार रखा। हमेशा से ही रिकार्ड मतों से जीतने वाले रघुराज प्रताप सिंह भी अब शिवपाल सिंह यादव की राह पर है। उन्होंने अपना एक राजनीतिक दल बनाने का फैसला किया है। उनके साथ ही समर्थकों को भरोसा है कि प्रदेश के एक दर्जन से अधिक राजपूत नेता उनके साथ जुड़ सकते हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए उनकी तरफ से चुनाव आयोग में आवेदन भी किया जा चुका है।
माना जा रहा है कि रघुराज प्रताप सिंह अपनी पार्टी का गठन करके लोकसभा चुनाव 2019 में अपने उम्मीदवार खड़े कर सकते हैं। राजा भैया के कई उत्साही समर्थक नवगठित पार्टी के नाम के साथ उनकी तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। राजपूत के साथ ही पिछड़ा वर्ग तथा दलित नेता भी उनके साथ आ सकते हैं। इसमें मौजूदा विधायक से लेकर पूर्व सांसद तक शामिल हैं।प्रदेश में शिवपाल यादव की राह पर अब कुंडा के बाहुबली निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) भी निकल चुके हैं। आज वह अपने दल की घोषणा करेंगे। माना जा रहा है कि आज अपनी नई पार्टी बनाने का औपचारिक ऐलान कर सकते हैं। अपनी पार्टी का शक्ति प्रदर्शन वह 30 नवंबर को लखनऊ की रैली में करेंगे।
प्रतापगढ़ के बाबागंज से निर्दलीय विधायक विनोद सरोज का राजा भैया के साथ जाना पूरी तरह से तय है। सरोज ही लखनऊ में आज राजा भैया की प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करा रहे हैं। राजा भैया के सियासी रुतबे के दम पर ही विनोद सरोज 1996 से लगातार विधायक बनते आ रहे हैं। विनोद सरोज प्रतापगढ़ की बिहार विधासभा सीट से 1996 और 2002 में विधायक रहे। इसके बाद 2007, 2012 और 2017 में बाबागंज सीट से विधायक बने। समाजवादी पार्टी के साथ ही भाजपा भी राजा भैया तथा विनोद सरोज के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारती है।
प्रतापगढ़ से समाजवादी पार्टी से सांसद रहे विधान परिषद सदस्य अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल का भी राजा भैया के साथ रहना तय है। अक्षय प्रताप के जीत में राजा का काफी अहम भूमिका रहती है। वो उनके सबसे करीबी माने जाते हैं। आज अगर अक्षय प्रताप राजा भैया के नये दल में शामिल होते हैं तो उनकी विधान परिषद सदस्य की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है।
कौशांबी से समाजवादी पार्टी से सांसद रहे शैलेंद्र कुमार भी राजा भैया के साथ जा सकते हैं। परिसीमन के बाद प्रतापगढ़ जिले का बड़ा इलाका कौशांबी संसदीय में आता है। अब कौशांबी से समाजवादी पार्टी इलाका राजा भैया के वर्चस्व वाला है। इसके साथ ही बसपा के इंद्रजीत सरोज के समाजवादी पार्टी का दामन थाम लेने के बाद शैलेंद्र कुमार को टिकट मिलना भी तय नहीं है। 2009 के लोकसभा चुनाव में शैलेन्द्र कुमार की जीत में राजा भैया का काफी अहम भूमिका रही है। कयास लगाया जा रहा है कि वो समाजवादी पार्टी का साथ छोड़कर राजा भैया के साथ जुड़ सकते हैं।
पूर्वांचल और मध्य उत्तर प्रदेश से कई राजनीतिक दलों वाले कई राजपूत नेता रघुराज प्रताप सिंह के संपर्क में है। कुछ विधायक अभी उनके साथ नहीं जुड़ेंगे। ऐसा करने से उनकी सदस्यता जा सकती है। इसके चलते अभी अपनी पार्टियों में बने रहेंगे। फैजाबाद के गोसाईगंज से पूर्व विधायक अभय सिंह भी राजा भैया के करीबी माने जाते हैं। उनके अखिलेश यादव के साथ रिश्ते बहुत अच्छे हैं। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के एमएलसी यशंवत सिंह से राजा भैया के नजदीकी रिश्ते हैं। यशवंत सिंह ने योगी आदित्यनाथ सरकार के आने के बाद समाजवादी पार्टी को छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। बलिया के बैरिया से बीजेपी के विधायक सुरेंद्र सिंह भी राजा भैया के बेहद करीबी माने जाते हैं।
रघुराज प्रताप सिंह ने 26 साल की उम्र में 1993 में पहली बार कुंडा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी। इसके बाद से वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करते आ रहे हैं। उन्होंने सियासत में पहला कदम 26 वर्ष की उम्र में रखा। इस तरह से राजा भैया 30 नवंबर को राजनीतिक जीवन के 25 साल पूरे करने जा रहे हैं। उन्होंने इसी 30 नवंबर के दिन लखनऊ में एक बड़ा राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित किया है। 1993 से वह लगातार अजेय
राजा भैया ने 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से कुंडा की राजनीति में कदम रखा था। तब से वह लगातार अजेय बने हैं। उनसे पहले कुंडा में कांग्रेस के नियाज हसन का डंका बजता था। नियाज हसन 1962 से लेकर 1989 तक कुंडा से पांच बार विधायक चुने गए। राजा भैया 1993 व 1996 के विधानसभा चुनाव में भाजपा समर्थित थे। इसके बाद 2002 और 2007, 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए। राजा भैया प्रदेश सरकार में कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह, रामप्रकाश गुप्ता तथा अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री थे।राजा भैया को 1997 में भारतीय जनता पार्टी के कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री, 1999 व 2000 में राम प्रकाश गुप्ता व राजनाथ सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 2004 में समाजवादी पार्टी की मुलायम सिंह यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। 15 मार्च, 2012 को राजा भैया को अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। दो मार्च 2013 को कुंडा में तीहरे हत्याकांड मामले में डीएसपी जिया उल हक की हत्या मामले राजा भैया का नाम आने पर इन्होंने चार मार्च 2013 को मंत्री पद से इस्तिफा दे दिया। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के प्रारंभिक जांच में ही राजा भैया निर्दोष पाए गए और क्लोजर रिपोर्ट में इन्हें क्लीन चिट मिल गई। सीबीआई की अंतरिम रिपोर्ट में राजा भैया को पूरी तरह क्लीन चिट मिल गयी और 11 अक्टूबर को उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने पुन: कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया।
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