Ram Mandir Update: हथकरघे पर बुने रेशमी वस्त्रों को धारण कर गर्भगृह में विराजेंगे रामलला, 12.36 लाख भक्तों ने मिलकर किया है तैयार
शतायु और नवजात भी वस्त्र बुनने में बने सहभागी कार्यक्रम में हैरिटेज हैंडवीविंग रिवाइवल चैरिटेबल ट्रस्ट की संचालिका अनघा घैसास ने बताया कि पुणे में पिछले वर्ष 10 दिसंबर से लेकर 22 दिसंबर तक आयोजित बुनकारी महोत्सव में 1236700 श्रद्धालुओं और बुनकरों ने हथकरघों पर रेशम के दो-दो धागों को बुनकर अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के इन वस्त्रों को तैयार किया है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अयोध्या में अपने नव्य धाम में 22 जनवरी को विराजित होने जा रहे रामलला 12.36 लाख रामभक्तों की ओर से हथकरघे पर भक्तिभाव और श्रद्धा से बुने गए रेशमी वस्त्रों को धारण करेंगे।
पुणे के हैरिटेज हैंडवीविंग रिवाइवल चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से तैयार कराए गए इन आठ जोड़ी वस्त्रों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित ‘दो धागे-श्रीराम के लिए’ कार्यक्रम में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ श्रेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्द देव गिरी व मार्गदर्शक सुरेश जोशी ‘भैयाजी’ को सौंपा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नई अयोध्या में अब कभी कर्फ्यू नहीं लगेगा, बल्कि रामनाम संकीर्तन होगा। अब यहां कोई गोलियां नहीं चलाएगा बल्कि रामभक्तों को लड्डू के गोले मिलेंगे।
अब कोई भी अयोध्या में पंचकोसी, चौदह कोसी और चौरासी कोसी परिक्रमाओं को रोकने का साहस नहीं करेगा। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या के नव्य मंदिर में रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा लोकआस्था और जनविश्वास की पुनर्प्रतिष्ठा है।
रामलला के लिए तैयार किये गए वस्त्रों में रामभक्ति का ताना, हैंडलूम का बाना है। 500 वर्षों तक श्रीराम जन्मभूमि का मुद्दा कभी दबा नहीं। कभी पूज्य संतों ने, कभी राजे-रजवाड़ों ने तो कभी धर्मयोद्धाओं ने अलग-अलग कालखंड में संघर्ष जारी रखा। बिना रुके, बिना थके, बिना डिगे, बिना झुके।
ऐसा उदाहरण कहीं और देखने को नहीं मिलता। इस अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के मार्गदर्शक सुरेश जोशी ‘भैयाजी’ ने कहा कि समाज में परिवर्तन की चाह लेकर जब-जब सामान्य व्यक्ति खड़ा होकर आगे बढ़ा, तब-तब जागरण हुआ।
स्वामी गोविन्द देव गिरी ने कहा कि सज्जनता के पीछे शक्ति का जागरण होना जरूरी है। उत्तर प्रदेश ने उस शक्ति का जागरण देखा है। यदि देश में धर्म की रक्षा करनी है तो बुलडोजर संस्कृति को लाना आवश्यक है।
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