लखनऊ : ईरान के सुप्रीम लीडर ने डाॅॅ.कल्बे सादिक को पेश की ताज़ियत, प्रतिनिधि ने परिजनों को दी सांत्वना
यूनिटी कॉलेज में दिवंगत मौलाना कल्बे सादिक के परिवार से मिले मौलाना। इंसानियत के पैगाम को जीवन का हिस्सा बनाने की गुजारिश। मौलाना कल्बे सादिक के बेटे मौलाना सिबतैन नूरी ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम मौलाना के मिशन को आगे बढ़ाएं।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Wed, 02 Dec 2020 01:28 PM (IST)
लखनऊ, जेेेेेेेएनएन। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ शिया धर्म गुरु दिवंगत मौलाना डा.कल्बे सादिक को ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह सैयद अली खामनाई ने अपनी ताज़ियत पेश की। आयतुल्लाह खामिनाई का पैगाम लेकर हिंदुस्तान में उनके नुमाइंदे मौलाना आगा महदी मेहदवीपुर बुधवार को यूनिटी कॉलेज पहुंचे और परिवार से मुलाकात कर उनका पैगाम दिया। मौलाना आगा महदी ने कहा कि मौलाना कल्बे सादिक समाज को शिक्षित करने और एकता पैदा करने के लिए पूरी जिंदगी काम करते रहे। मौलाना ने ईरान और हिंदुस्तान की दोस्ती का जिक्र किया और कहा कि हमारी दुआ है कि यह दोस्ती बराबर कायम रहे।
उन्होंने कि मौलाना ने इंसानियत की मिसाल पेश की है जिसको हम सबको उनकी राह पर चलकर आगे बढ़ाना है। मौलाना कल्बे सादिक के बेटे मौलाना सिबतैन नूरी ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम मौलाना के मिशन को आगे बढ़ाएं। इससे पहले रविवार को मौलाना डॉ.कल्बे सादिक की रूह को सवाब देने के लिए इमामबाड़ा गुफरानमाब में मजलिस हुई थी। मजलिस को मौलाना सफी हैदर समेत कई मौलानाओं ने खिताब करके उनका इंसानियत का मसीहा बताया था।
मौलाना डा.कल्बे सादिक का 81 वर्ष की उम्र में 24 नवंबर को एरा मेडिकल कॉलेज में निधन हो गया था। उन्हें सांस की दिक्कत होने पर 17 नवंबर को भर्ती कराया गया था। 1986 के बाद पहली बार उनके जनाजे में शिया और सुन्नी दोनों ने अलग-अलग नमाज अदा करा कर एकता का पैगाम दिया था।
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