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मोबाइल फोन, टीवी की रोशनी का मनुष्य पर कैसा पड़ता है असर, रेड हेडेड बंटि‍ंग चिड़ि‍या खोलेगी राज

लखनऊ विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग को रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के तहत मिला शोध प्रोजेक्ट। शोध रेड हेडेड बंटि‍ंग चिड़ि‍या पर होगा। इसमें पता चलेगा कि कैसे यह रंगीन रोशनी बीमारियों से लडऩे और सोने की क्षमता को कम करती है।

By Anurag GuptaEdited By: Updated: Sun, 01 May 2022 10:45 AM (IST)
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'अज्ञात प्रदूषण का नींद और प्रतिरोधी क्षमता पर असर' विषय पर शोध।

लखनऊ, [अखिल सक्सेना]। अक्सर लोग देर रात तक मोबाइल फोन और टीवी देखते रहते हैं। इनकी रंगीन रोशनी मनुष्य के शरीर पर कितना प्रभाव डालती है। अब इसका पता लगाने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डा. शैली मलिक को रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के अंतर्गत शोध प्रोजेक्ट मिला है। शोध बताएगा कि कैसे यह रंगीन रोशनी बीमारियों से लडऩे और सोने की क्षमता को कम करती है। यह शोध रेड हेडेड बंटि‍ंग (लाल सिर वाली गंदम) चिड़ि‍या पर होगा।

'प्रकाशयुक्त रात : अज्ञात प्रदूषण का नींद और प्रतिरोधी क्षमता पर असर' विषय पर यह शोध डा. शैली मलिक के निर्देशन में होगा। प्रोजेक्ट फेलो ज्योति तिवारी ने बताया कि रात के समय मनुष्य या चिडिय़ा पर तेज रोशनी पड़ती है, जिसकी वजह से उनकी आंतरिक जैविक घड़ी (बायोलाजिकल क्लाक) पर प्रभाव पड़ता है। शोध में यह देखा जाएगा कि कितना और किस तरह प्रभाव पड़ रहा है।

चिडिय़ा पर होगा शोध : प्रोजेक्ट फेलो ज्योति के मुताबिक, हमारे यहां बहुत सी प्रवासी चिडिय़ा हैं। परिस्थितियां अनुकूल न होने पर वे एक से दूसरे स्थान पर उड़कर आती हैं। इन प्रवासी चिडिय़ों को सिग्नल से पता चलता है कि एक दिन में रोशनी की अवधि कितनी है। अब तो स्ट्रीट लाइटों की वजह से रात में उजाला बढ़ गया है।

यह बदलाव इनके लिए नुकसानदेय है। यही हाल मनुष्य का है। देर रात तक मोबाइल व टीवी की रोशनी से उनके शरीर पर असर पड़ता है। देर से सोना और सुबह जल्दी उठना, इसकी वजह से नींद पूरी नहीं होती है, जिसकी वजह से बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। शोध में इन्हीं बि‍ंदुओं पर कार्य होगा।

किस रंग से क्या प्रभाव पड़ेगा : चिड़ि‍या पर शोध के लिए नीली, सफेद और लाल रंग की लाइट का प्रयोग किया जाएगा। किस रंग से क्या प्रभाव पड़ता है, यह तभी पता चलेगा।

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