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फर्राटेदार अंग्रेजी के साथ वेद की ऋचाएं भी सीखेंगी बेटियां, श्रावस्‍ती में खुलेंगे दो गुरुकुल

श्रावस्ती प्राचीन काल से ही धर्म विज्ञान और स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। यहां भगवान बुद्ध ने 24 वर्षा व्यतीत कर पूरी दुनिया को सत्य और अहि‍ंंसा का संदेश दिया। लवकुश की जन्मस्थली सीताद्वार में स्थित वाल्मीकि आश्रम विशिष्ट गुरुकुल के रूप में जगजाहिर रहा है।

By Anurag GuptaEdited By: Updated: Fri, 04 Dec 2020 02:58 PM (IST)
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सीताद्वार में कन्या व विभूतिनाथ मंदिर में खुलेगा बालक वर्ग का गुरुकुल।
श्रावस्ती, [विजय द्विवेदी]। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व पौराणिक विविधताओं को श्रावस्ती समेटे है। इन खूबियों को देखते हुए श्रावस्ती में दो स्थानों पर बालक व बालिकाओं के लिए गुरुकुल स्थापित करने की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके लिए महाभारत कालीन विभूतिनाथ मंदिर व लवकुश की जन्म स्थली सीताद्वार का डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित भ्रमण कर चुके हैं। यह गुरुकुल आवासीय होगा। इसमें फर्राटेदार अंग्रेजी के साथ कला, कौशल, विज्ञान व प्राच्य विद्या का भी अध्ययन कराया जाएगा। दिसंबर तक भूमि चयनित कर नवसंबत्सर के पहले दिन यानी वासंतिक नवरात्र के पहले दिन गुरुकुल शुरू कर दिया जाएगा। इस गुरुकुल में गरीब, अनाथ व ड्रॉप आउट बच्चों को वरीयता मिलेगी।

श्रावस्ती प्राचीन काल से ही धर्म, विज्ञान और स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। यहां भगवान बुद्ध ने 24 वर्षा व्यतीत कर पूरी दुनिया को सत्य और अहि‍ंंसा का संदेश दिया। भगवान संभवनाथ की जन्मस्थली भी यहीं है। लवकुश की जन्मस्थली सीताद्वार में स्थित वाल्मीकि आश्रम विशिष्ट गुरुकुल के रूप में जगजाहिर रहा है। यहां महर्षि वाल्मीकि ने काव्य की पहली ऋचा लिखी थी। प्राचीन गौरव को स्थापित करने के लिए अब फिर से श्रावस्ती में दो गुरुकुल खोलने की कवायद शुरू की गई है।

पूर्व कुलपति प्रोफेसर तिवारी, भाजपा के पूर्व सांसद दद्दन मिश्रा के साथ इकौना के सीताद्वार, सिरसिया ब्लॉक के जनकपुर व पांडव कालीन विभूतिनाथ मंदिर परिसर में गुरुकुल खोलने को लेकर भूमि चयन के लिए भ्रमण कर चुके हैं। इन तीनों स्थानों में से दो स्थानों पर गुरुकुल खोला जाएगा। सीताद्वार जहां भगवान राम ने सीता को वन में छोड़ा था, वहां पर बालिका गुरुकुल का प्रस्ताव किया गया है। पूर्व सांसद मिश्रा ने बताया कि गुरुकुल की स्थापना के लिए भूमि चयन की प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी कर ली जाएगी। जनवरी से गुरुकुल संचालन की योजना है।

सातों विद्याओं में बनाए जाएंगे निपुण

पूर्व कुलपति तिवारी बताते हैं कि इस गुरुकुल में कला, कौशल, विज्ञान, योग, वेद, कृषि के अलावा स्थानीय ज्ञान को भी पढ़ाया जाएगा। थारू कल्चर को भी बढ़ावा दिया जाएगा। पारंपरिक व्यवस्था के अनुसार गुरुकुल का संचालन होगा, जो आचार्य के ऊपर केंद्रित होगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने भारतीय शिक्षा परिषद का गठन कर दिया है। उसी के तहत यह गुरुकुल भी आ सकते हैं।

सामान्य स्कूलों से अलग होगा स्वरूप

सामान्य स्कूलों से खुलने वाले गुरुकुल का स्वरूप अलग होगा। यहां भोर चार बजे से लेकर रात 10 बजे तक बच्चों को पारंपरिक ऋचाओं का ज्ञान दिया जाएगा। इसमें संख्या क्षमता नहीं होगी। न ही कोई ड्रेस कोड होगा। पहनावा पारंपरिक होगा।

11 लोगों की गठित होगी कमेटी

पूर्व सांसद दद्दन मिश्रा ने बताया कि पूर्व कुलपति की अगुवाई में गुरुकुल को संचालित करने के लिए 11 सदस्यों की कमेटी बनाई जाएगी। इसमें समय का योगदान, राष्ट्र के प्रति आस्था रखने वालों को शामिल किया जाएगा।

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