Ram Lala: मुकुट में माणिक्य... पन्ना और हीरे तो चरणों के नीचे स्वर्णमाला, वरिष्ठ साहित्यकार यतींद्र मिश्र से खास बातचीत
दैनिक जागरण के संवाददाता महेन्द्र पाण्डेय ने यतींद्र मिश्र से वरिष्ठ साहित्यकार यतींद्र मिश्र ने की बातचीत। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या की संस्कृति के जानकार व वरिष्ठ साहित्यकार यतींद्र मिश्र को प्रभु श्रीरामलला के आभूषणों के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्होंने कहा कि इन आभूषणों की परिकल्पना अध्यात्म रामायण श्रीमद्वाल्मीकि रामायण श्रीरामचरिमानस व आलवंदार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शोभा के अनुरूप है।
महेन्द्र पांडे, लखनऊ। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या की संस्कृति के जानकार व वरिष्ठ साहित्यकार यतींद्र मिश्र को प्रभु श्रीरामलला के आभूषणों के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी थी।
वह कहते हैं कि इन आभूषणों की परिकल्पना अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस व आलवंदार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप की गई है। दैनिक जागरण के संवाददाता महेन्द्र पाण्डेय ने यतींद्र मिश्र से वरिष्ठ साहित्यकार यतींद्र मिश्र ने की बातचीत।
लोग श्रीरामलला के आपादमस्तक शृंगार का विवरण जानना चाहते हैं।
भगवान का मुकुट (किरीट)उत्तर भारतीय परंपरा में स्वर्ण निर्मित है, जिसमें माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण है। मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य हैं। कुंडल में सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से मयूर आकृतियां बनी हैं। गले में अर्द्धचंद्राकार रत्नों से जड़ित कंठा सुशोभित है, जिसमें मंगल का विधान रचते पुष्प और मध्य में सूर्यदेव हैं। कंठे के नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गई हैं।हृदय में कौस्तुभमणि का धारण कराया गया है, जिसे एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है। भगवान विष्णु व उनके अवतार हृदय में कौस्तुभ मणि धारण करते हैं। मस्तक पर पारंपरिक मंगल-तिलक हीरे और माणिक्य से रचा गया है। भगवान के प्रभा मंडल पर सोने का छत्र है। गले में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला है, जिसे हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्प मंजरी संस्था ने तैयार किया है।
भगवान के पहनाए गए हार में भी विशिष्टता झलकती है?
कंठ से नीचे व नाभिकमल से ऊपर पदिक पहनाया गया है। यह हीरे और पन्ने का पांच लड़ियों वाला है, जिसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेंडेंट है। उनके लिए बने सोने के हार वैजयंती (विजयमाल) में माणिक्य लगे हैं। वैजयंती विजय का प्रतीक है।इसमें वैष्णव परंपरा के समस्त मंगल चिह्न- सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल कलश को दर्शाया गया है। पांच प्रकार के पुष्पों कमल, चंपा, पारिजात, कुंद और तुलसी का भी अलंकरण है। भगवान के कमर में रत्नजड़ित करधनी है। पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पांच घंटियां भी इसमें लगी हैं। इन घंटियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियां भी लटक रही हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।