Move to Jagran APP

यूपी में डीजीपी की नियुक्ति का नियम बदला, योगी सरकार ने बनाई नई नियमावली… क्या पद पर बने रहेंगे प्रशांत कुमार?

उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के चयन के लिए नई नियमावली बनाई है। इसके अनुसार डीजीपी की नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति बनाई जाएगी। समिति में मुख्य सचिव यूपीएससी के सदस्य और अपर मुख्य सचिव गृह शामिल होंगे। नई नियमावली के अनुसार डीजीपी की नियुक्ति सेवा रिकॉर्ड और अनुभव के आधार पर होगी।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Tue, 05 Nov 2024 05:55 AM (IST)
Hero Image
प्रदेश के चौथे कार्यवाहक एवं मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य सरकार ने अपने स्तर से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के चयन का रास्ता साफ कर लिया है। डीजीपी के चयन के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा। 

समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से एक सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनकी तरफ से नामित अधिकारी के अलावा अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव गृह व पूर्व डीजीपी शामिल होंगे।

कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में डीजीपी की नियुक्ति के लिए पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश(उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 संबंधी अहम प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई।

प्रदेश में करीब तीन वर्षों से स्थायी डीजीपी की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। नई नियमावली बनने के बाद अब सरकार को स्थायी तौर पर डीजीपी की नियुक्ति के लिए यूपीएससी से मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। 

सर्वोच्च न्यायालय ने डीजीपी की नियुक्ति को लेकर वर्ष 2006 में एक याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस व्यवस्था को सभी दबाव से मुक्त करने के लिए राज्य सरकार से कानूनन नई व्यवस्था बनाने की अपेक्षा की थी। उसके बाद पंजाब, तेलंगाना व आंध्र प्रदेश सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति के संबंध में नियमावली बना रखी है।

सेवा रिकॉर्ड व अनुभव को बनाया जाएगा आधार

डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाने वाला उत्तर प्रदेश चौथा राज्य बन गया है। नियमावली में यह स्पष्ट किया गया है कि अब डीजीपी की नियुक्ति संबंधित आईपीएस अधिकारी के बेहतर सेवा रिकॉर्ड व अनुभव के आधार पर की जाएगी। उन्हीं अधिकारियों को डीजीपी की नियुक्ति के लिए तवज्जो दी जाएगी, जिनका कम से कम छह माह का कार्यकाल शेष बचा हो। 

यह प्रावधान भी किया गया है कि डीजीपी की नियुक्ति कम से कम दो वर्षों के लिए की जाएगी, लेकिन डीजीपी के कार्यों से असंतुष्ट होने पर राज्य सरकार उन्हें हटा भी सकती है। वहीं, वेतन मैट्रिक्स के स्तर 16 वाले अधिकारियों में से ही डीजीपी का चयन किया जाएगा। 

डीजीपी प्रशांत कुमार के नाम पर विचार संभव

मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार प्रदेश के चौथे कार्यवाहक डीजीपी हैं। वह अगले वर्ष 31 मई को सेवानिवृत्त होंगे। चूंकि प्रशांत कुमार का कार्यकाल अभी छह माह से ज्यादा है, इसलिए नई नियमावली के लागू होने पर समिति द्वारा डीजीपी के चयन में इनके नाम पर भी विचार करना संभव होगा।

अभी डीजीपी की नियुक्ति की यह व्यवस्था

डीजीपी की नियुक्ति के लिए पहले की व्यवस्था के अनुसार सरकार पुलिस सेवा में 30 वर्ष पूरे कर चुके उन अधिकारियों के नाम यूपीएससी को भेजती थी, जिनका छह माह का कार्यकाल शेष हो। यूपीएससी राज्य सरकार को तीन अधिकारियों के नामों का पैनल भेजता था, जिसमें से सरकार किसी एक को डीजीपी बनाती थी।

यह भी पढ़ें: 'लोगों को रेवड़ी नहीं, रोजगार चाहिए...' महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव को लेकर BJP-कांग्रेस पर हमलावर हुईं मायावती

यह भी पढ़ें: UP By Election 2024: यूपी में विधानसभा उपचुनाव की तारीख बदली, अब 13 नवंबर की जगह इस दिन होगी वोटिंग

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।