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वाराणसी में साइबेरियन पक्षियों का धमाल शुरू

लखनऊ। वाराणसी की मस्ती का लुत्फ उठाने को इन दिनों गंगा नदी की धारा में साइबेरियन पक्षी कलरव

By Edited By: Updated: Sun, 17 Nov 2013 02:15 AM (IST)

लखनऊ। वाराणसी की मस्ती का लुत्फ उठाने को इन दिनों गंगा नदी की धारा में साइबेरियन पक्षी कलरव करते दिख रहे हैं। बाबा बोले की इस नगरी में यह पक्षी उड़ान भरने लगे हैं और तैरने भी लगे हैं।

इनका कलरव भी सुनाई देने लगा है। इस बार इनकी तादात काफी दिख रही है। ये पक्षी साइबेरिया और पास के क्षेत्रों से पलायन कर यहा तक पहुंचते हैं इसलिए इन्हें साइबेरियन पक्षी के नाम से जाना जाता है। यह जानकर हैरानी होगी कि हजारों मील का सफर ये पक्षी सिर्फ अपनी अगली पीढ़ी को अस्तित्व में लाने के लिए करते हैं।

बर्फ ने ढका तो उड़ पड़े

बीएचयू की जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्रमोहिनी चतुर्वेदी बताती हैं कि यह पक्षी 15 से 20 डिग्री सेल्शियस के बीच वाले वातावरण में रहना पसंद करते हैं। ऐसा मौसम ही इनके प्रजनन के लिए अनुकूल होता है। साइबेरिया व आसपास जब ठंड बढ़ने से सब बर्फ में ढकने लगता है तो उससे पहले ही ये पलायन कर जाते हैं। जहा अनुकूल वातावरण मिलता है वहीं ठहर जाते हैं। भारत के अलावा पाकिस्तान, बाग्लादेश और थाइलैंड आदि देशों में भी प्रवास करते हैं। इन देशों में 70-75 प्रजाति के साइबेरियन पक्षी आते हैं।

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हार्मोन सहायक

प्रो. चतुर्वेदी बताती हैं कि इन पक्षियों में विशेष तरह का हार्मोन 'मेलाटोनिन' पाया जाता है जो साइबेरिया में बर्फ पड़ने के पहले इनमें पलायन के लिए उतावलापन लाता है और ये उड़ पड़ते हैं। भारत में कुछ स्थानों पर इनके लिए अनुकूल वातावरण मिलता है। उड़ान के दौरान प्रोलैक्टिन हार्मोन इन पक्षियों में भोजन की कमी दूर करने में सहायक होता है।

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उड़ान माह भर की

साइबेरियन पक्षियों को भारत और आसपास के देशों तक पहुंचने में करीब एक माह का समय लगता है। जहा रात हुई वहा ठहरे अन्यथा उड़ते रहे। कई झुंड तो रात में भी उड़ते हुए सफर को तय करता रहता है। रात में उड़ते वक्त आपस में टकराएं नहीं इसके लिए ये अल्ट्रासाउंड तरंगों का सहारा लेते हैं। लंबी उड़ान के दौरान खर्च होने वाली ऊर्जा के लिए साइबेरियन पक्षी कई माह पहले से ही खूब खा-पीकर अपने शरीर में वसा बढ़ा लेते हैं। यही प्रक्रिया वापसी के दौरान भी करते हैं।

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