यूपी में कितनी सीटों पर है सपा की चुनाव लड़ने की तैयारी? प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में अखिलेश ने खोले पत्ते
यह पहला मौका है जब आईएनडीआईए गठबंधन में शामिल सपा ने लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर अपने पत्ते खोले हैं। अखिलेश ने कहा कि मप्र विधानसभा चुनाव में सीटों के तालमेल को लेकर आखिरी समय तक उनकी कांग्रेस नेता कमलनाथ से बात होती रही। कांग्रेस ने भी माना था कि मप्र में छह विधानसभा सीटों पर सपा अच्छा चुनाव लड़ेगी।
By Rajeev DixitEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Wed, 01 Nov 2023 08:48 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ रिश्तों में आई खटास के बाद समाजवादी पार्टी ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सीटों के तालमेल को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। बुधवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में हुई सपा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि वैसे तो पार्टी प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है, लेकिन यदि गठबंधन हुआ तो भी वह कम से कम 65 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।
यह पहला मौका है जब आईएनडीआईए गठबंधन में शामिल सपा ने लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर अपने पत्ते खोले हैं। अखिलेश ने कहा कि मप्र विधानसभा चुनाव में सीटों के तालमेल को लेकर आखिरी समय तक उनकी कांग्रेस नेता कमलनाथ से बात होती रही। कांग्रेस ने भी माना था कि मप्र में छह विधानसभा सीटों पर सपा अच्छा चुनाव लड़ेगी। इसी आधार पर कांग्रेस ने हमें सीटें देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अंततोगत्वा कांग्रेस ने उस इकलौती सीट पर भी अपना प्रत्याशी उतार दिया जहां पिछले विधानसभा चुनाव में सपा जीती थी। उन्होंने कहा कि उप्र में सपा बड़ी है। लिहाजा लोकसभा चुनाव में उप्र में सीटों के तालमेल में उसकी निर्णायक भूमिका होगी।
पीडीए पर रहेगा फोकस
प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के बाद हुई पहली बैठक में सपा अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की चुनावी तैयारियों को उड़ान देने के साथ इस पर भी जोर दिया कि पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के कदम यथार्थ के धरातल पर टिके रहें। वहीं उन्होंने यह भी साफ किया कि जातिवार जनगणना की पैरोकारी करते हुए सपा की चुनावी तैयारियां ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) को फोकस में रखते हुए की जाएं।बूथ प्रबंधन, सदस्यता अभियान व मतदाता सूची पुनरीक्षण पर जोर
प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में प्रभारी नियुक्त करने के प्रयोग से असंतुष्ट सपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों को धार देने के लिए बैठक में प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों व सदस्यों को हर विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी का दायित्व सौंपा है। विधानसभा क्षेत्र प्रभारी पर संबंधित क्षेत्र में पार्टी के बूथ प्रबंधन व सदस्यता अभियान को गति व मजबूती देने के साथ मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान की निगरानी की जिम्मेदारी भी होगी। उसे आवंटित विधानसभा क्षेत्र में प्रत्येक बूथ अध्यक्ष, बूथ, सेक्टर व जोनल प्रभारियों का भौतिक सत्यापन करना होगा और विभिन्न कमेटियों के सदस्यों से परिचय प्राप्त करना होगा। बूथ कमेटियों का सत्यापन करते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके गठन में पीडीए का फार्मूला लागू हुआ है और वह सही तरीके से काम कर रही हैं। उनसे विधानसभा क्षेत्र में 100 ऐसे बूथ चिन्हित करने के लिए कहा गया है जिनमें पीडीए का वर्चस्व हो और इन बूथों पर पार्टी के वोट बढ़ाने की हिदायत दी गई है।
हर माह भेजनी होगी रिपोर्ट
विधानसभा क्षेत्र प्रभारी को क्षेत्र में सक्रिय रहना होगा और उन्हें माह के पहले शनिवार को होने वाली पार्टी की जिला इकाई की बैठक और महीने की पांच तारीख को होने वाली विधानसभा क्षेत्र की बैठक में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहना होगा। प्रत्येक माह के अंत में उन्हें विधानसभा क्षेत्र में चुनावी तैयारियों पर केंद्रित समग्र रिपोर्ट सपा के प्रदेश कार्यालय को भेजनी होगी।पार्टी से गद्दारी करने वालों से सख्ती से निपटें : रामगोपाल
बैठक को संबोधित करते हुए सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने विधानसभा क्षेत्र प्रभारियों से कहा कि पार्टी में रहकर उससे गद्दारी करने वालों पर नजर रखी जाए और उनसे सख्ती से पेश आया जाए। पहले उन्हें समझाया जाए और न सुधरने पर बाहर का रास्ता दिखाया जाए। जिले के अंदर कोई गुटबाजी है तो उसे खत्म कराया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि सपा कार्यकर्ता पार्टी की लाइन पर चलें और अनर्गल बयानबाजी न करें।
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