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यूपी उपचुनाव को 2027 व‍िधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान रही सपा, भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की चुनौती

समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के दबाव में आए बिना हर सीट पर अपने प्रत्याशियों को पहले ही उतारने की घोषणा कर दी। शिवपाल सिंह यादव सहित कई बड़े नेताओं को चुनाव प्रभारी बनाया गया। अब सपा के सामने जहां वर्ष 2022 की जीती हुई सीटों पर अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है वहीं भाजपा के हिस्से वाली सीटों पर सपा को अपने पिछले प्रदर्शन को सुधारने की चिंता भी।

By Nishant Yadav Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 24 Oct 2024 04:16 PM (IST)
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सपा प्रमुख अखि‍लेश यादव, सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ।- फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (पीडीए) फार्मूले के साथ लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन करने वाली सपा नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को 2027 का सेमीफाइनल मान रही है। यही कारण है कि सपा ने कांग्रेस के दबाव में आए बिना हर सीट पर अपने प्रत्याशियों को पहले ही उतारने की घोषणा कर दी। शिवपाल सिंह यादव सहित कई बड़े नेताओं को चुनाव प्रभारी बनाया गया। अब सपा के सामने जहां वर्ष 2022 की जीती हुई सीटों पर अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है, वहीं, भाजपा के हिस्से वाली सीटों पर सपा को अपने पिछले प्रदर्शन को सुधारने की चिंता भी।

सपा की चिंता इसलिए भी बढ़ी है, क्योंकि पश्चिमी यूपी में पिछली बार उसको रालोद का साथ मिला था। इस बार रालोद भाजपा के साथ है। वहीं, सपा आईएनडीआई गठबंधन में जिस कांग्रेस के साथ लड़ रही है, उसका पिछले विधानसभा का प्रदर्शन निराशाजनक था।

2022 में भाजपा के खाते में गई थी तीन सीटें

जिन नौ सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है उसमें भाजपा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद, खैर और फूलपुर जीती थी। मझवां सीट एनडीए गठबंधन की निषाद पार्टी ने जीता था। वहीं, सपा गठबंधन में रहते हुए मीरापुर सीट पर राष्ट्रीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी। इस बार राष्ट्रीय लोकदल भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है।

सपा ने अपने चुनाव चिन्ह पर सीसामऊ, करहल, कटेहरी और कुंदरकी सीट जीती थी। करहल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद बनने के बाद रिक्त हुई है।करहल जहां सपा के लिए नाक का सवाल बन गई है, वहीं, सीसामऊ, फूलपुर, कुंदरकी और कटेहरी की हार- जीत उनके वरिष्ठ नेताओं का कद भी तय करेगी।

सीएम योगी ने ली कटेहरी सीट की ज‍िम्‍मेदारी 

सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव कटेहरी के चुनाव प्रभारी हैं। इस सीट की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ली है। इसी तरह वीरेंद्र सिंह को मझवां, चंद्रदेव यादव को करहल, इंद्रजीत सरोज को फूलपुर और राजेंद्र कुमार को सीसामऊ सीट का प्रभारी बनाया गया है। फूलपुर सीट वर्ष 2012 में सपा जीती थी। हालांकि, वर्ष 2017 में इसे भाजपा ने सपा से छीन लिया था। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर सीट पर भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर हुई थी।

भाजपा के प्रवीण सिंह पटेल से सपा के मो. मुज्तबा सिद्दीकी केवल 2732 वोटों से हार गए थे। बसपा ने 33 हजार वोट पाकर सपा का खेल बिगाड़ दिया था। कुर्मी बहुल इस सीट पर भाजपा ने फिर से इसी समाज के दीपक पटेल को टिकट दिया है।

सपा ने भी पिछले विधानसभा चुनाव लड़ने वाले अपने प्रत्याशी मो. मुज्तबा सिद्दीकी को फिर मैदान में उतारा है। मीरजापुर की मझवां सीट पर पिछले चुनाव में एनडीए में शामिल निषाद पार्टी के डॉ. विनोद कुमार बिंद को 1,03,235 वोट मिले थे, वहीं, सपा को 69,648 मत प्राप्त हुए थे। इस बार सपा ने बिंद समाज से ही पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी डॉ. ज्योति बिंद पर दांव लगाया है।

सपा के ल‍िए चुनौती

पिछले चुनाव में भाजपा से 33587 वोटों से पिछड़ने वाली सपा के लिए यह सीट किसी चुनाैती से कम नहीं है। इसी तरह सपा के लिए गाजियाबाद और खैर सीट पर अपना प्रदर्शन बेहतर करने की चिंता सबसे अधिक है। सपा 2004 के बाद गाजियाबाद सीट पर कभी जीत दर्ज नहीं करा सकी है। 2007 से यह सीट भाजपा का मजबूत किला है। 2022 के चुनाव में भाजपा को इस सीट पर कुल 61.37 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं, सपा को केवल 18.25 और कांग्रेस को 4.81 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे।

इसी तरह खैर सीट पर भाजपा को 2022 के चुनाव में कुल 55.55 प्रतिशत वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रही बसपा को 25.98 प्रतिशत और सपा गठबंधन के साथ लड़ी रालोद को 16.57 प्रतिशत वोट ही मिल सके थे। सपा के साथ गठबंधन में लड़ी एक और सीट मीरापुर को 2022 में रालोद के चंदन चौहान 49.57 प्रतिशत वोट हासिल कर विजयी हुए थे। भाजपा को इस सीट पर 36.94 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस का वोट प्रतिशत मात्र 0.58 प्रतिशत था। मीरापुर से सपा ने अपना मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है।

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