फीरोजाबाद से सपा विधायक व मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम सिंह यादव पार्टी से निष्कासित
फीरोजाबाद जिले की सिरसागंज सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक हरिओम सिंह यादव को पार्टी गतिविधियों के वजह से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर यह कार्रवाई पार्टी ने की है।
By Umesh TiwariEdited By: Updated: Tue, 16 Feb 2021 07:50 AM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। फीरोजाबाद जिले की सिरसागंज सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक और मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम सिंह यादव को पार्टी गतिविधियों के वजह से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर यह कार्रवाई पार्टी ने की है।
किसी समय समाजवादी पार्टी का झंडा बुलंद करने वाले मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार सिरसागंज विधायक हरीओम सिंह यादव पर काफी दिनों से पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लग रहे थे। फीरोजाबाद जिले के सपा नेताओं उनके खिलाफ एकजुट होकर पार्टी से निष्कासित किए जाने की मांग हाईकमान से की थी। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने विधायक के बेटे विजय प्रताप को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने का आरोप लगाते हुए पहले ही पार्टी से बाहर कर दिया था। वर्तमान में हरीओम सिंह यादव को शिवपाल सिंह यादव के खेमे का माना जाता है।
पिछले महीने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने फीरोजाबाद जिले की तीन सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित किए थे। उन्होंने सिरसागंज से सपा विधायक हरिओम सिंह यादव को प्रसपा की ओर से प्रत्याशी घोषित किया है। लोकसभा चुनाव के पहले से शिवपाल यादव के साथ चल रहे सपा विधायक हरिओम यादव ने कहा था कि वह शिवपाल सिंह के साथ हैं। सपा छोड़ने और सपा की टिकट पर चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि मैं पार्टी क्यों छोडूंगा। सपा जब चुनाव लड़ने की कहेगी, तब की तब देखी जाएगी। हालांकि अब उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।
दरअसल, फीरोजाबाद में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान हरिओम सिंह यादव और उनके विजय प्रताप पुत्र के विरुद्ध जान से मारने के प्रयास के मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष बने विजय प्रताप के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव आ गया, जिसमें जिला पंचायत सदस्यों ने अध्यक्ष के विरोध में डीएम को पत्र सौंपा था। उसी दौरान पिता-पुत्र को जेल जाना पड़ा था। जेल जाने के बाद प्रो. रामगोपाल यादव ने विधायक पर जिला पंचायत सदस्यों को बेचे जाने का आरोप लगाते हुए उनसे किनारा कर लिया था। बाद में प्रो. रामगोपाल का पिता-पुत्र ने खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया था।
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