उत्तर प्रदेश की राजनीति पर अब रहेगा अखिलेश यादव का फोकस, भाजपा सरकार से भी जोरदार भिड़ंत को तैयार
Samajwadi Party Leaders Resign From Loksabha समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकसभा सदस्य के पद से इस्तीफा देकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। अब उनका फोकस सिर्फ और सिर्फ यूपी पर रहेगा।
By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Tue, 22 Mar 2022 05:42 PM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। आजमगढ़ के सांसद के रूप में अपना इस्तीफा देने के एक दिन पहले अपने क्षेत्र में रहे अखिलेश यादव का फोकस अब उत्तर प्रदेश पर ही रहेगा। इसके लिए सोमवार को उन्होंने आजमगढ़ के लोगों से भी सीट छोडऩे के बारे में चर्चा भी की थी।
आजमगढ़ की सभी दस विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज करने वाली समाजवादी पार्टी को भी भरोसा है कि पार्टी लोकसभा का उप चुनाव भी जीतेगी। आजमगढ़ के साथ रामपुर को भी समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। अब आजमगढ़ के साथ रामपुर में लोकसभा का उप चुनाव होगा। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पांच में से दो सांसदों के इस्तीफा देने के बाद लोकसभा में उनका संख्या बल कम हो जाएगा। अखिलेश तथा आजम खां के इस्तीफा दे देने के बाद अब 2024 से पहले उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ तथा रामपुर में लोकसभा के उप चुनाव होंगे।
बतौर सांसद अखिलेश यादव तो अधिक समय दिल्ली में गुजारते थे। इस मामले में उनपर यूपी से दूरी बनाने का कई बार आरोप भी लगता रहा है। अब अखिलेश ने अपनी रणनीति बदली है। अब वह दिल्ली की राजनीति करने की बजाय यूपी की राजनीति पर ही फोकस करना चाहते हैं।
2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद समाजवादी पार्टी ने राम गोविंद चौधरी को नेता प्रतिपक्ष बनाया था। अब अखिलेश यादव खुद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बन सकते हैं। इसके जरिए वह आसानी से भाजपा की सरकार को घेर सकते हैं। आजम खां जैसे दस बार विधायक रहे नेता अगर यूपी में सदन में मौजूद रहते हैं तो उनके अनुभव का भी सपा को फायदा होगा। 2017 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद अखिलेश यादव वापस दिल्ली की राजनीति में कूद पड़े थे। इसके चलते यूपी में विपक्ष काफी कमजोर हो गया था। इसका नतीजा था कि 2019 और फिर 2022 में भाजपा के आगे विपक्ष पस्त हो गया। अब अखिलेश अपनी पुरानी गलती नहीं दोहराना चाहते हैं।
अखिलेश यादव अभी तक आजमगढ़ से लोकसभा के सदस्य थे। अब उनके इस्तीफे के बाद यहां उप-चुनाव होंगे। अखिलेश को भरोसा है कि यह सीट दोबारा समाजवादी पार्टी जीत लेगी। उनका यह भरोसा हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम को देखते हुए बना है। सपा ने आजमगढ़ की सभी दस सीटों पर जीत हासिल की है। रामपुर में भी पांच में तीन विधानसभा सीटों पर सपा को जीत मिली थी। ऐसे में पार्टी को यहां भी लोकसभा उपचुनाव में जीत की उम्मीद है। अखिलेश यादव ने लोकसभा से इस्तीफा देने से साफ है कि अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं। यूपी में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं। अखिलेश अब कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते हैं। यही कारण है कि अब उनका फोकस सिर्फ और सिर्फ यूपी पर रहेगा।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकसभा सदस्य के पद से इस्तीफा देकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। वह अब 26 मार्च को होने वाली समाजवादी पार्टी के विधायक दल की बैठक में निर्विरोध नेता चुने जाएंगे। इसके साथ ही विधानसभा में भी वह भाजपा को कड़ी चुनौती पेश करेंगे। माना जा रहा है कि विधान परिषद के चुनाव में भाजपा को बड़ी जीत मिलेगी, ऐसे में अखिलेश यादव और आजम खां के इस कदम से समाजवादी पार्टी को विधानसभा में मजबूती मिलेगी। अखिलेश यादव ने यह फैसला पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, कार्यकर्ताओं के अलावा समाज के अलग-अलग लोगों से मिलकर उनकी राय से लिया है। अब सीधे तौर अखिलेश यादव विधानसभा के साथ-साथ सड़क पर भी जनता की आवाज खुलकर उठा सकते हैं।
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