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सजा से राहत के लिए हाई कोर्ट पहुंचे संजय सिंह, मेनका गांधी को झटका… याचिका खारिज

आम आदमी पार्टी के के राज्य सभा सदस्य संजय सिंह ने धरना-प्रदर्शन के मुकदमे में सुनाई गई सजा को खारिज कराने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ली है। वहीं सपा सांसद राम भुआल निषाद के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई है जिसे मेनका गांधी की ओर से दाखिल किया गया था। इससे मेनका को झटका लगा है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Thu, 15 Aug 2024 12:21 AM (IST)
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मेनका गांधी और संजय सिंह। फाइल फोटो।
विधि संवाददाता, लखनऊ। वर्ष 2001 के धरना-प्रदर्शन के मुकदमे में सुनाई गई सजा को खारिज करने के लिए आप के राज्य सभा सदस्य संजय सिंह ने हाई कोर्ट की शरण ली है। 

लखनऊ खंडपीठ में रिवीजन याचिका दाखिल कर उन्होंने जमानत व सजा को निलंबित करने की मांग भी की है। कोर्ट ने फिलहाल सुनवाई 22 अगस्त तक टाल दी है। 

सरकारी अधिवक्ता ने रिवीजन का विरोध कर तर्क दिया कि संजय की अपील सत्र अदालत ने छह अगस्त 2024 को खारिज करते हुए उन्हें नौ अगस्त को सजा भुगतने के लिए विचारण अदालत के सामने सरेंडर करने का आदेश दिया है। 

चूंकि, उन्होंने सरेंडर नहीं किया है अतः उनकी रिवीजन याचिका पोषणीय नहीं है। संजय सिंह की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता एससी मिश्र ने कहा कि कोर्ट को यह अधिकार है कि वह रिवीजनकर्ता को सरेंडर करने से छूट दे सकता है।

मेनका की चुनाव याचिका सुनवाई योग्य नहीं, खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पूर्व सांसद मेनका गांधी द्वारा सुल्तानपुर से निर्वाचित सपा सांसद राम भुआल निषाद के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। 

कोर्ट ने माना है कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। चुनाव याचिका परिणाम घोषित होने के 45 दिनों के भीतर ही दाखिल की जा सकती है। इस केस में याचिका उक्त समय पार होने के बाद दाखिल की गई। यह आदेश जस्टिस राजन राय की एकल पीठ ने पारित किया। कोर्ट ने याचिका की पोषणीयता के बिंदु पर अपनी सुनवाई पूरी कर गत पांच अगस्त को ही फैसला सुरक्षित कर लिया था। 

मेनका की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्वार्थ लूथरा ने पक्ष रखा था कि भले ही याचिका समय सीमा निकल जाने के बाद दाखिल की गई है, किंतु सुनवाई की जानी चाहिए क्योंकि नवनिर्वाचित सांसद ने लोगों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन किया है।  उन्होंने अपना पूरा आपराधिक इतिहास सार्वजनिक नहीं किया। 

याचिका में कहा गया था कि राम भुआल निषाद पर 12 आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं जबकि उन्होंने अपने शपथ पत्र में मात्र आठ मुकदमों की ही जानकारी दी है।

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