Sanjeev Jeeva Murder Case: जीवा की मौत से किसे मिलेगा फायदा, शूटर के पीछे किसका हाथ
मुख्तार के विरोधियों की आंखों को वह हमेशा चुभता रहा। जीवा का पंजाब के अपराधियों से भी सीधा कनेक्शन था। एक बड़ा सवाल और भी उठता है कि कहीं किसी और ने विजय के हाथों में विदेशी रिवाल्वर थमाकर अपना निशाना तो नहीं साध लिया।
By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Fri, 09 Jun 2023 07:09 AM (IST)
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। जौनपुर निवासी विजय यादव का कोई बड़ा आपराधिक इतिहास नहीं है। ऐसे में उसने हत्या की पहली घटना ही कोर्ट परिसर में घुसकर की। उसका निशाना भी माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा था। विजय ने गोलियां भी ऐसे दागीं कि हथियारों से खेलने वाला कुख्यात जीवा वहीं चित हो गया। कोर्ट रूम में हुई यह घटना शूटर के दुस्साहस को लेकर भी सवाल खड़े करती है। आखिर उसकी जीवा से ऐसी कौन सी रंजिश थी, जिसके चलते उसने अपनी जान को जोखिम में डालकर ऐसी घटना दिया। इसका जवाब पुलिस तलाश तो रही है पर अब तक कुछ साफ नहीं हो सका है।
हाथों में विदेशी रिवॉल्वरएक बड़ा सवाल और भी उठता है कि कहीं किसी और ने विजय के हाथों में विदेशी रिवॉल्वर थमाकर अपना निशाना तो नहीं साध लिया। पुलिस के लिए यह पता करना भी बेहद अहम है कि जीवा की मौत से सीधा और बड़ा फायदा किसे पहुंच सकता है। माफिया मुख्तार अंसारी के करीबी रहे जीवा की अपराध की दुनिया में कई बड़ों से दुश्मनी थी।
मुख्तार के विरोधियों को हमेशा चुभता रहामुख्तार के विरोधियों की आंखों को वह हमेशा चुभता रहा। जीवा का पंजाब के अपराधियों से भी सीधा कनेक्शन था। कहा जाता है कि भाजपा विधायक कृष्णानंद राय पर बड़े हमले के लिए मुख्तार अंसारी जब अत्याधुनिक असलहे जुटाने का प्रयास कर रहा था, तब जीवा ने पंजाब के असलहा तस्करों से कई हथियार लाकर मुख्तार को दिए थे। इसके बाद वह मुख्तार के बेहद करीबी हो गया था।
बजरंगी के जरिए मुख्तार तक पहुंचा जीवाबागपत जेल में मारे जा चुके कुख्यात मुन्ना बजरंगी के जरिए मुख्तार तक पहुंचे जीवा ने बाद में अपना अलग गिरोह भी खड़ा कर लिया था। ऐसे में जीवा के दुश्मनों की कमी नहीं थी। सवाल यह भी है कि कहीं जीवा को लखनऊ जेल भेजे जाने के बाद ही उसका कोई दुश्मन मौके की तलाश में लग गया था। सूत्रों का कहना है कि कुछ बेनामी संपत्तियों पर कब्जे को लेकर भी माफिया गिरोह के बीच खींचतान बढ़ी थी।
अपराध जगत के समीकरणप्रयागराज में माफिया अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ की पुलिस अभिरक्षा में हत्या की वारदात के बाद अपराध जगत के समीकरण कुछ बदले भी थे। अतीक गिरोह की कई बेनामी संपत्तियों पर दूसरे माफिया की निगाहें गड़ गई थीं। पुलिस के सामने भी ऐसे कई सवालों की पहेली है, जिसे सुलझाने के लिए उसे शूटर विजय यादव की बीते दिनों की गतिविधियों की भी पूरी बारीकी से छानबीन करनी होगी।
पूर्वांचल के बाहुबली पर फिर घूमी संदेह की सूईमाफिया मुख्तार अंसारी के करीबी रहे बदमाशों की हत्या के बाद पूर्वांचल के एक बाहुबली नेता पर भी संदेह की सूई घूमती रही है। बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या, चित्रकूट जेल में मुख्तार के करीबी मुकीम काला व मिराजुद्दीन उर्फ मेराज अली की हत्या व लखनऊ में तारिक हत्याकांड के बाद भी बाहुबली नेता की भूमिका होने का संदेह गहराया था। जीवा की हत्या में आरोपित विजय यादव के जौनपुर का निवासी होने के चलते भी घटना के पीछे पूर्वांचल कनेक्शन को नकारा नहीं जा सकता। हालांकि पुलिस किसी घटना में बाहुबली नेता की भूमिका को लेकर कोई सुराग नहीं लगा सकी।
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