बेटे के मर्डर केस में पिता कर रहे थे पैरवी… दुश्मनों ने मार डाला, हत्याकांड के आठ आरोपियों को आजीवन कारावास
श्रवण साहू हत्याकांड में सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आठों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। आरोपियों को हत्या साक्ष्यों से छेड़छाड़ और साजिश रचने का दोषी पाया गया है। इस हत्याकांड की वजह श्रवण साहू द्वारा अपने बेटे आयुष की हत्या के आरोपी अकील अंसारी को सजा दिलाने के लिए पैरवी करना थी।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। सआदतगंज के बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड के सात वर्ष बाद आठों आरोपियों को सीबीआई वेस्ट की अदालत ने गुरुवार को आजीवन कारावास की सजा व एक-एक लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। इन सभी को हत्या, साक्ष्यों के साथ खिलवाड़ करना और साजिश रचने का (धारा 302, 201 और 120 बी धारा) का दोषी पाया गया है।
क्या है श्रवण साहू हत्याकांड?
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, इस हत्याकांड का मुकदमा एक फरवरी वर्ष 2017 को मृतक श्रवन साहू के बेटे सुनीत ने सआदतगंज थाने में दर्ज कराया था। सुनीत ने तहरीर में कहा था कि उसके पिता श्रवण बड़ा चौराहा दाल मंडी स्थित अपनी तेल की दुकान के काउंटर पर बैठे थे।
तभी शाम साढ़े आठ बजे दो अज्ञात बदमाशों ने दुकान में घुसकर पिता की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मौके पर वादी के चाचा विजय कुमार साहू व विनय कुमार साहू समेत अन्य कई लोग आ गए, जिस पर दोनों हमलावर भाग गए।
उसके पिता वर्ष 2013 में हुई भाई आयुष की हत्या के आरोपी अकील व उसके साथियों को सजा दिलाने के लिए पैरवी कर रहे थे। अभियुक्तों द्वारा लगातार उसके पिता पर पैरवी को रोकने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। इसी क्रम में वर्ष 2017 में श्रवण साहू के ऊपर अकील अंसारी को मारने के लिए भाड़े के शूटरों को नियुक्त करने का झूठा आरोप लगाया गया था।
हालांकि, जांच के दौरान ये पता था कि अकील अंसारी ने अपनी ऊंची पहुंच के चलते कुछ पुलिसकर्मियों की मदद से श्रवण साहू पर उसके खिलाफ पैरवी न करने का दबाव बनाने के लिए यह झूठा आरोप लगाया था। श्रवण की हत्या के वक्त आयुष की हत्या का मुख्य आरोपी अकील अंसारी जेल में बंद था।
पुलिस पर उठे सवालों के बाद श्रवण की हत्या की जांच राज्य सरकार ने तीन अप्रैल 2017 को सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी। सीबीआई ने न्यायालय के समक्ष 51 गवाह व 101 दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए। वहीं, बचाव पक्ष द्वारा अपने पक्ष में सात गवाह व चार दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए थे।
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