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Siddique Kappan: हाथरस कांड में गिरफ्तार केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत

Conditional Bail to Siddique Kappan by Supreme Court केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि वह एनआरसी के साथ ही बाबरी विध्वंस के मामले तथा अन्य धार्मिक उन्माद फैलाने में काफी सक्रिय है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Fri, 09 Sep 2022 02:07 PM (IST)
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Conditional Bail to Siddique Kappan by Supreme Court:
लखनऊ, जेएनएन। Conditional Bail to Siddique Kappan: उत्तर प्रदेश में हाथरस (Hathras Case) के बूलगढ़ी कांड में अक्टूबर 2020 से गिरफ्तार केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने सशर्त जमानत दे दी है। जमानत के दौरान सिद्दीक कप्पन छह सप्ताह तक दिल्ली नहीं छोड़ सकेंगे। इनको इस बीच वहां के लोकल थाने में हाजिरी देनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को सशर्त जमानत देने के दौरान पासपोर्ट भी जमा करने का निर्देश दिया है। कप्पन को 5 अक्टूबर 2020 को मथुरा (Mathura) से उस समय गिरफ्तार किया गया था जब हाथरस जा रहा था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले को गंभीर बताते हुए सिद्दीकी को जमानत देने से मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए आदेश दिया कि अगले छह हफ्ते तक सिद्दीकी दिल्ली में रहेगा और स्थानीय थाने में हाजिरी भरेगा, उसके बाद वह केरल जा सकता है।

यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कप्पन की जमानत अर्जी का विरोध किया था। यूपी सरकार ने शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दिया था जिसमें कहा गया था कि देश विरोधी एजेंडा चलाने वाले पीएफआई जैसे चमपंथी संगठन के साथ कप्पन के संबंध रहे हैं। यूपी सरकार ने आरोप लगाया था कि कप्पन देश में आतंकी और धार्मिक हिंसा भड़काने की साजिश में शामिल था।

सिद्दीक कप्पन के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि वह एनआरसी के साथ ही बाबरी विध्वंस के मामले तथा अन्य धार्मिक उन्माद फैलाने में काफी सक्रिय है। हाथरस के बूलगढ़ी कांड में भी कप्पन की धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश का हिस्सा है। इसके साथ ही वह माहौल खराब करने के लिए रऊफ शरीफ के साथ फंड मैनेजमेंट की साजिश भी रच रहा था।

उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि हाथरस जाते समय अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) (PFI) के साथ गहरे संबंध हैं। वह उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने और आतंक फैलाने की व्यापक साजिश का हिस्सा हैं।

कप्पन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए उप्र सरकार ने न्यायालय से कहा कि जांच में आरोपी और पीएफआई/सीएफआई (कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया) (CFI) के शीर्ष नेतृत्व, कमाल केपी तथा ओमा सलाम, के बीच स्पष्ट रूप से संबंध होने का खुलासा हुआ है। राज्य सरकार ने कहा कि इन दोनों व्यक्तियों के साथ याचिकाकार्ता की ऑनलाइन बातचीत पर गौर करने पर यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होता है कि यह पत्रकार के तौर पर कप्पन के कार्य का हिस्सा नहीं है, जैसा कि दावा किया गया है।

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