UP News: एसआइटी ने पकड़े 100 करोड़ के फर्जी बीमा दावे, 225 आरोपितों को किया गया गिरफ्तार
Fake Insurance Claim हाईकोर्ट के आदेश पर गठित विशेष जांच टीम ने 100 करोड़ के फर्जी बीमा दावों का खुलासा करते हुए 225 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। बीमा कंपनियों की शिकायतों पर 117 प्रकरण में ये षड्यंत्र सामने आया। अभी तक 324 मामलों की जांच की जा चुकी है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। Fake Insurance Claim दुर्घटना में मृत्यु के मामलों में बीमा कंपनी से रकम वसूलने के लिए गहरे षड्यंत्र सामने आए हैं। फर्जी बीमा दावों का बड़ा खेल हाई कोर्ट के आदेश पर गठित एसआइटी (विशेष जांच टीम) की पड़ताल में सामने आया है। प्रदेश में ऐसे 117 प्रकरणों में अब तक एफआइआर दर्ज कराकर 225 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है।
बीमा कंपनी की शिकायतों के बाद हुआ षड्यंत्र का खुलासा
- ऐसे कई अन्य गंभीर प्रकरणों की जांच लगभग पूरी हो चुकी है और उनमें भी दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की तैयारी है। हाल ही में रिलायंस इंश्योरेंस कंपनी की शिकायत पर पकड़े गए फर्जी दावों के मामले में बरेली व शाहजहांपुर में भी तीन मुकदमे दर्ज कराए गए हैं।
- प्रदेश में सड़क दुर्घटना में फर्जी बीमा दावों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए बीमा कंपनियों ने हाई कोर्ट की शरण ली थी। जिस पर हाई कोर्ट ने अक्टूबर, 2015 में विशेष जांच शाखा के तत्कालीन एडीजी की अध्यक्षता में एक एसआइटी गठित कर ऐसे मामलों की जांच कराने का आदेश दिया था।
- डीजी विशेष जांच चंद्रप्रकाश बताते हैं कि बीमा कंपनियों ने अब तक 1463 मामलों की शिकायत की है। इनमें 324 मामलों की जांच पूरी की जा चुकी है, जिनमें 117 मामलों में पाया गया कि बीमा दावे झूठे थे।
- ऐसे सभी मामलों में संबंधित जिलों में एफआइआर दर्ज कराकर 225 आरोपितों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। डीजी का कहना है कि अब तक जितने फर्जी दावे पकड़े गए, उनमें 100 करोड़ रुपये से अधिक रकम का बीमा दावा पेश किया गया था।
- इसके अलावा 164 प्रकरणों में दावे सही पाए गए। 91 मामलों की जांच पूरी कर कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं और आठ केस में अंतिम रिपोर्ट लगी है।
- पड़ताल में सामने आया कि इस प्रकार के फर्जी दावे अधिकतर सहारनपुर, मेरठ, बरेली व शाहजहांपुर में अधिक किए गए हैं। किसी व्यक्ति की अज्ञात वाहन से दुर्घटना की मृत्यु पर विलंब से एफआइअार दर्ज कराई जाती है।
- इसमें विशेष गिरोह की भूमिका होती है, जो परिवारीजन, वकील व पुलिस की मिलीभगत से काम करते हैं। एक वाहन को चिन्हित कर उसका नंबर एफआइआर में दर्ज कराया जाता है कि इस नंबर से दुर्घटना हुई थी और फिर बीमा दावा किया जाता फर्जी गवाह भी खड़े किए जाते हैं।
न्यायिक सदस्य भी शामिल
फर्जी बीमा दावे के मामलों में कई वकीलों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठे थे, जिसे लेकर कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी। इसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर एसआइटी से बतौर न्यायिक सदस्य एक सेवानिवृत्त जिला जज को भी शामिल किया है। एसआइटी किसी भी मामले में जांच पूरी होने के बाद न्यायिक सदस्य की संस्तुति लेकर ही एफआइआर दर्ज कराती है।