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UP में अब छोटे अस्पतालों को पांच साल के लिए मिलेगा पंजीकरण, पब्लिक बोर्ड पर देनी होगी जानकारी; जानें नए नियम

उत्तर प्रदेश में अब 50 बेड से कम वाले निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को सारी जानकारी अस्पताल के बाहर लगे पब्लिक बोर्ड पर देनी होगी। इसके साथ ही छोटे अस्पतालों को पांच साल के लिए पंजीकरण मिलेगा। इन अस्पतालों को द क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट-2010 के तहत पंजीकरण और सभी जरूरी सुविधाओं की जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करनी होगी।

By Ashish Kumar Trivedi Edited By: Sakshi Gupta Updated: Mon, 18 Nov 2024 04:36 PM (IST)
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यूपी में छोटे अस्पतालों के लिए नियम सख्त हो गए हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर) जागरण।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने 50 से कम बेड वाले निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स पर शिकंजा कसने का निर्णय लिया है। अब इन अस्पतालों को द क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट-2010 के तहत पंजीकरण और सुविधाओं के संबंध में पूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करनी होगी।

इसके तहत अस्पतालों को अपनी पंजीकरण संख्या, संचालक का नाम, बेड की संख्या, दवाओं की पद्धति, डाक्टर, नर्स और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की जानकारी को डिस्प्ले बोर्ड पर स्पष्ट रूप से दर्शाना होगा। यह कदम छोटे निजी अस्पतालों द्वारा मानकों की अनदेखी और गलत तरीके से चलाए जाने के मद्देनजर उठाया गया है।

अस्पताल के बाहर लगाया जाएगा बोर्ड

स्वास्थ्य विभाग के सचिव रंजन कुमार की ओर से इस आदेश को लागू करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं। अब अस्पतालों को पीले रंग के बोर्ड पर काले रंग से अपनी सुविधाओं और स्टाफ की पूरी जानकारी लिखकर अस्पताल के बाहर प्रदर्शित करनी होगी। यह डिस्प्ले बोर्ड पांच गुणा तीन फुट यानी कुल 15 वर्ग फुट का होगा। इस बोर्ड पर अस्पताल से संबंधित सभी जरूरी जानकारी जैसे पंजीकरण संख्या, सुविधाओं की सूची, डाक्टर और स्टाफ की जानकारी होगी।

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अब नहीं होगी मानकों की अनदेखी

इसके अलावा कई छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में सुरक्षा और बुनियादी मानकों की अनदेखी की जाती रही है। खासतौर पर फायर एनओसी की कमी एक बड़ी चिंता का विषय रही है। सरकार अब इन अस्पतालों पर कड़ी निगरानी रखेगी और सुनिश्चित करेगी कि ये अस्पताल सुरक्षा मानकों और नियमों का पालन करें। साथ ही अब यह अस्पताल द क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट-2010 के दायरे में आएंगे, जो पहले इन छोटे अस्पतालों पर लागू नहीं था।

पंजीकरण की अवधि पांच साल की जाएगी

सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को इस आदेश का कड़ाई से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। इस निर्णय से उन अस्पतालों को राहत भी मिलेगी, जो मानकों के अनुरूप काम करते हैं। ऐसे अस्पतालों को अब पंजीकरण की अवधि एक साल से बढ़ाकर पांच साल की जाएगी, जिससे उन्हें हर साल पंजीकरण के लिए सीएमओ कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।

उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ. पीके गुप्ता ने कहा कि लंबे समय से इस तरह के बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। पांच साल तक पंजीकरण की व्यवस्था से अस्पतालों को प्रशासनिक राहत मिलेगी और यह कदम अस्पतालों के संचालन को व्यवस्थित करेगा। इसके साथ ही सख्त मानक लागू करने से इलाज की गुणवत्ता में भी सुधार होगा और मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।

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