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यूपी से बढ़ी चरस-गांजे की तस्करी : छापेमारी से परेशान तस्करों ने बदली रणनीति, STF-NCB पकड़ चुके बड़ी-बड़ी खेप

एसटीएफ व एनसीबी की कार्रवाई को देखें काेरोना काल के बाद मादक पदार्थों की सप्लाई बढ़ने की बात भी सामने आती है। इसके साथ ही जांच एजेंसियों की चुनौतियां भी बढ़ी हैं। अब अधिक चेकिंग के साथ ही अलग-अलग गिरोह से जुड़े सदस्यों को चिन्हित करने में उन्हें पसीना बहाना पड़ रहा है। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) का गठन भी किया गया है जाे अपनी सक्रियता बढ़ा रही है।

By Alok MishraEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Wed, 02 Aug 2023 06:45 PM (IST)
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यूपी से बढ़ी चरस-गांजे की तस्करी : छापेमारी से परेशान तस्करों ने बदली रणनीति

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : यूपी नशे के कारोबार का बड़ा बाजार होने के साथ ही दूसरे राज्यों में सप्लाई का अच्छा रूट भी है। यही वजह है कि मादक पदार्थों के बड़े तस्करों की नजर यहां हमेशा गड़ी रही है।

नशे के काले कारोबार की कमर तोड़ने के लिए देश भर में अभियान के तहत कार्रवाई के कदम बढ़े हैं तो तस्करों ने भी अपनी चाल बदलनी शुरू कर दी है। तस्कर अब छोटे पैमाने पर अधिक सप्लाई पर जोर दे रहे हैं।

वहीं जांच एजेंसियों की सक्रियता से प्रदेश में चरस-गांजा व अन्य मादक पदार्थों की बरामदगी के साथ अधिक संख्या में आरोपित भी पकड़े जा रहे हैं।

एसटीएफ व एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) की कार्रवाई को देखें काेरोना काल के बाद मादक पदार्थों की सप्लाई बढ़ने की बात भी सामने आती है। इसके साथ ही जांच एजेंसियों की चुनौतियां भी बढ़ी हैं। अब अधिक चेकिंग के साथ ही अलग-अलग गिरोह से जुड़े सदस्यों को चिन्हित करने में उन्हें पसीना बहाना पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) का गठन भी किया गया है, जाे लगातार अपनी सक्रियता बढ़ा रही है। पड़ोसी राज्यों में सप्लाई के लिए जा रहे बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ पकड़े गए हैं।

हालांकि उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, पूर्वी राज्यों से लेकर नेपाल की सीमा से मादक पदार्थों की तस्करी के अलावा आगरा, आजमगढ़, वाराणसी, लखनऊ, बाराबंकी, प्रयागराज, बरेली, अलीगढ़ व मीरजापुर गांजा, चरस, अफीम, हेरोइन व पोस्ता की सप्लाई के बड़े केंद्र हैं।

एक अधिकारी के अनुसार जांच एजेंसियां जितनी मात्रा में मादक पदार्थों की सप्लाई पकड़ती हैं, उससे तीन गुणा माल सप्लाई हो जाता है। पूर्वांचल के कई जिलाें से नारकोटिक्स ड्रग की सप्लाई के अलावा अब यूपी में सिंथेटिक ड्रग्स का काला कारोबार भी बढ़ रहा है।

यही वजह है कि इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए केंद्र सरकार की पहल पर जिला स्तर पर ड्रग नेटवर्क चार्ट तैयार किया जा रहा है और जांच एजेंसियों आपसी समन्वय बढ़ा रही हैं। एनसीबी की गोरखपुर यूनिट भी स्थापित की जा रही है।

एनसीबी के लखनऊ डिवीजन के क्षेत्रीय निदेशक प्रशांत कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि पिछले कुछ अर्से से बढ़ी धरपकड़ से तस्करों के हौसले टूटे हैं। इसके चलते ही अब पूर्व के वर्षाें की तरह एक-साथ बहुत बड़ी मात्रा में सप्लाई देखने को नहीं मिल रही।

तस्कर यूपी को सप्लाई रूट के तौर पर भी प्रयाेग करते हैं। उड़ीसा व आंध्रपदेश से गांजे की बड़ी सप्लाई झांसी के रास्ते दिल्ली में होती है। पूर्वाेत्तर राज्यों से मादक पदार्थों को यूपी के रास्ते दिल्ली, पंजाब, हरियाणा भेजा जाता है।

एसटीएफ की धरपकड़

वर्ष 2019 : 42 मामलों में 129 आरोपित पकड़े गए। 10702 किलो गांजा, 143 किलो चरस व 8.8 किलो स्मैक बरामद।

2020 : 43 मामलों में 122 आरोपित गिरफ्तार। 20112 किलो गांजा, 126 किलो चरस व 19.91 किलो अफीम बरामद।

2021 : 61 मामलों में 135 आरोपित गिरफ्तार। 18340 किलो गांजा, 245 किलो चरस, 6.53 किलो स्मैक व 30 किलो अफीम बरामद।

2022 : 94 मामलों में 233 आरोपित गिरफ्तार। 19123 किलो गांजा, 216 किलो चरस, 66 किलो अफीम व 707 किलो स्मैक बरामद।

2023 : 47 मामलों में 110 आरोपित गिरफ्तार। 2463 किलो गांजा, 248 किलो चरस, 41 किलो अफीम बरामद।

एनसीबी ने की बरामदगी

2019 : पांच केस में 1340.45 किलो

2020 : 38 केस में 17,421 किलो

2021 : 45 केस में 25,649.22 किलो

2022 : 32 केस में 6,277.55 किलो

2023 : 16 केस में 707 किलो

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