…तो अभी बाकी है अखिलेश की अग्नि परीक्षा! इन 9 सीटों पर होंगे उपचुनाव, फिर आमने-सामने होंगे NDA और I.N.D.I.A.
लोकसभा चुनाव के बाद अब छह महीने में एनडीए व विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए की फिर से परीक्षा होगी। इनकी परीक्षा उन नौ विधानसभा सीटों के उपचुनाव में होगी जहां के विधायक अब सांसद बन चुके हैं। इस परीक्षा में पास-फेल होने से सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा किंतु दोनों ही गठबंधन एक-दूसरे को हराकर बड़ा राजनीतिक संदेश जरूर देना चाहते हैं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। लोकसभा चुनाव के बाद अब छह महीने में एनडीए व विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए की फिर से परीक्षा होगी। इनकी परीक्षा उन नौ विधानसभा सीटों के उपचुनाव में होगी जहां के विधायक अब सांसद बन चुके हैं।
इस परीक्षा में पास-फेल होने से सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, किंतु दोनों ही गठबंधन एक-दूसरे को हराकर बड़ा राजनीतिक संदेश जरूर देना चाहते हैं। उपचुनाव के लिए जो सीटें रिक्त होने वाली हैं, उनमें चार सपा, तीन भाजपा, एक रालोद व एक निषाद पार्टी की हैं।
ये विधायक बन गए सांसद
- फूलपुर के भाजपा विधायक प्रवीण पटेल ने फूलपुर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की है।
- अलीगढ़ की खैर सीट से भाजपा विधायक व प्रदेश सरकार के मंत्री अनूप प्रधान वाल्मीकि ने हाथरस लोकसभा सीट से चुनाव जीता है।
- गाजियाबाद से भाजपा विधायक डॉ. अतुल गर्ग ने गाजियाबाद लोकसभा सीट जीती है।
- निषाद पार्टी के मझवां से विधायक डॉ. विनोद कुमार बिंद ने भाजपा के टिकट से भदोही लोकसभा सीट जीती है।
- रालोद के मीरापुर के विधायक चंदन चौहान बिजनौर से सांसद बन गए हैं। समाजवादी पार्टी के मिल्कीपुर से विधायक अवधेश प्रसाद ने फैजाबाद सीट से जीत ली है।
- करहल के विधायक व नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव कन्नौज से जीते हैं। कटेहरी से सपा विधायक लालजी वर्मा ने अंबेडकर नगर से जीत दर्ज की है।
- कुंदरकी के विधायक जियाउर्रहमान बर्क ने संभल से जीत दर्ज कर ली है।
ऐसे में अब फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, मझवां, मीरापुर, मिल्कीपुर, करहल, कटेहरी व कुंदरकी विधानसभा का उपचुनाव होना है। यदि अखिलेश विधानसभा से त्याग पत्र न देकर नेता प्रतिपक्ष बने रहते हैं तो फिर कन्नौज लोकसभा सीट का उपचुनाव होगा। इस उपचुनाव में अब विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए व एनडीए दोनों ही जुटेंगे।
भाजपा जहां सपा की भी सीटें जीतकर यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि प्रदेश में अभी भी उसकी स्थिति पहले की तरह मजबूत है। भाजपा की नजर खासकर रामनगरी अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर रहेगी जहां जीतकर वह फैजाबाद लोकसभा सीट की हार का बदला लेने की कोशिश करेगी।
वहीं, सपा भी भाजपा की सीटें जीतकर यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि प्रदेश में अब भाजपा कमजोर पड़ चुकी है। यही वजह है कि पार्टी अभी से इन सीटों पर मजबूत प्रत्याशियों की तलाश में जुट गई है।
सपा के प्रत्याशियों को लेकर कयास शुरू
सपा मिल्कीपुर से नौ बार के विधायक अवधेश प्रसाद के बेटे अमित प्रसाद को भी टिकट दे सकती है। यह सुरक्षित सीट है, इसलिए यहां दलित ही प्रत्याशी रहेंगे। इसी प्रकार कटेहरी से विधायक लालजी वर्मा 2022 में छठी बार चुने गए थे, यहां पर पार्टी कुर्मी या फिर मुस्लिम को लड़ा सकती है।
अंबेडकरनगर की पांच सीटों में एक भी मुस्लिम नहीं है इसलिए यहां पार्टी मुस्लिम उम्मीदवार उतार सकती है। कुंदरकी सीट से सपा फिर मुस्लिम पर ही दांव लगाएगी। यहां भी कई दावेदार हैं। मुरादाबाद के सांसद रहे एसटी हसन को भी पार्टी यहां से लड़ा सकती है।
अभी लोकसभा चुनाव में उनका टिकट काटकर पार्टी ने रुचि वीरा को दे दिया था। वहीं, अखिलेश यदि करहल सीट छोड़ते हैं तो यहां का उपचुनाव होगा यदि विधायकी नहीं छोड़ते हैं तो फिर कन्नौज लोकसभा सीट का उपचुनाव होगा। पार्टी इसे फिर से जीतने से लिए पूरी ताकत लगाएगी।
यह भी पढ़ें: हेमा मालिनी ने हैट्रिक तो लगाई लेकिन… मथुरा में जीत के बाद भी भाजपा को हो रही टेंशन, आखिर क्यों?