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Akhilesh Yadav Barabanki Visit: बाराबंकी में बेनी के बहाने सियासी समीकरण साध गए अखिलेश यादव

Akhilesh Yadav Barabanki Visit बेनी-मुलायम का जिक्र कर राकेश के साथ भी वैसे ही रिश्ते रखने के दिए संकेत। कुर्मी बिरादरी को सहेजने की दिखी चिंता। 19 म‍िनट में अखिलेश ने दस से अधिक बार बेनी प्रसाद वर्मा को बाबूजी का संबोधन देकर परिवार से नजदीकी बयां की।

By Divyansh RastogiEdited By: Updated: Sun, 28 Mar 2021 07:48 AM (IST)
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पारिवारिक संबंध बता जताई नजदीकी, कुर्मी बिरादरी को सहेजने की दिखी चिंता।
बाराबंकी [जगदीप शुक्ल]। Akhilesh Yadav Barabanki Visit: प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की प्रतिमा अनावरण व श्रद्धांजलि सभा के मौके पर भावनात्मक सियासी दांव खेला। उन्होंने बेनी बाबू के राजनीतिक कद और ताकत का न सिर्फ बखान किया, बल्कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बेनी प्रसाद वर्मा की तरह राकेश से भी संबंध होने की बात कह बड़ा संदेश दिया। इस दौरान कुर्मी मतों को सहेजने की चिंता भी दिखी। 

राकेश से राजनीतिक नहीं, पारिवारिक संबंध : मोहनलाल डिग्री कालेज में आयोजित कार्यक्रम में करीब 19 मिनट के संबोधन में अखिलेश ने दस से अधिक बार बेनी प्रसाद वर्मा को बाबूजी का संबोधन देकर परिवार से नजदीकी बयां की। उन्होंने साफ किया राकेश वर्मा से उनके राजनीतिक नहीं बल्कि पारिवारिक संबंध हैं। कहा, बाराबंकी में किसी वैवाहिक समारोह में सबसे पहले राकेश वर्मा की शादी ही में आया था।

बाबूजी ने जो कहा सो किया : सपा अध्यक्ष ने कहा कि बाबू जी बात के धनी थे। जैदपुर के उपचुनाव को लेकर मिला तो उन्होंने कहा था कि मेरे कहने से टिकट दे दो जीत जाओगे। उनके स्वास्थ्य का हवाला दिया तो कहा लोगों से फोन पर बात कर लेंगे। टिकट दिया और चुनाव के दौरान फीडबैक लिया गया तो पता चला उन्होंने न जाने कितने लोगों को फोन किया था। इसका परिणाम सपा की जीत के रूप सामने आया। यह अरविंद सिंह गोप और अन्य नेता जानते हैं। 

'बाबू जी' के सबसे पहले दर्शन करने पहुंचे थे अखिलेश: पूर्व मंत्री राकेश वर्मा का संबोधन भी भावनात्मक और सियासी संदेश देने वाला रहा। उन्होंने कहा कि बाबू जी के निधन पर सबसे पहले दर्शन को पहुंचने वाले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही थे। कहा, पूर्व सीएम ने पूछा था कि हम आपके घर कब चलें...तब मैंने कहा था बताऊंगा। एक माह पहले कार्यक्रम की चर्चा करने पर उन्होंने तुरंत हामी भर दी थी। बाराबंकी सहित बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, अंबेडकरनगर, लखनऊ आदि जनपदों से जुटे लोगों के बीच उन्होंने कहा कि राजनीति के बिना कोई काम नहीं चलता इसलिए श्रद्धांजलि सभा में राजनीति की बात की। 

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