रामचरित मानस पर स्वामी प्रसाद की टिप्पणी पर बवाल, VHP नेता बोले- पागलखाने में भर्ती कराया जाए; SP ने बनाई दूरी
एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस पर विवादित टिप्पणी करते हुए इसे प्रतिबंधित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि जो भी विवादित अंश इस ग्रंथ में संकलित हैं उन्हें निकाला जाना चाहिए।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Mon, 23 Jan 2023 08:42 AM (IST)
जागरण टीम, लखनऊ : राम चरित मानस पर विवादित बयान देने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर प्रसाद के साथ अब उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री व सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भी साधु-संतों के निशाने पर आ गए हैं। अयोध्या कोतवाली में तहरीर देकर दोनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। हालांकि मौर्य के विवादित बोल खुद उनकी ही पार्टी (समाजवादी पार्टी) को रास नहीं आए हैं।
विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने स्वामी प्रसाद पर सीधे टिप्पणी से परहेज करते हुए मानस में छिपे सार को अपने वीडियो संदेश के माध्यम से साझा कर इस महान धर्मग्रंथ की उपयोगिता बताते हुए आईंना दिखाया है। मनोज पांडेय ने मानस को जीवन जीने की जीवंत पद्धति बताया। कहा, रामचरित मानस एक अकाट्य सत्य है। हम सभी लोग रामचरित मानस के प्रति श्रद्धा रखते हैं।
उल्लेखनीय है कि एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस पर विवादित टिप्पणी करते हुए इसे प्रतिबंधित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि जो भी विवादित अंश इस ग्रंथ में संकलित हैं, उन्हें निकाला जाना चाहिए। तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस की एक चौपाई- ‘ढोल-गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी’ का जिक्र करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि इस तरह की पुस्तक को जब्त किया जाना चाहिए। महिलाएं सभी वर्ग की हैं, क्या उनकी भावनाएं आहत नहीं हो रहीं हैं।
उन्होंने कहा कि एक तरफ तो कहेंगे कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता। दूसरी तरफ तुलसी बाबा से गाली दिलवाकर कहेंगे कि इनको मारिए पीटिए। यही धर्म है तो ऐसे धर्म से हम तौबा करते हैं। हालांकि, बाद में एएनआइ न्यूज एजेंसी के साथ बातचीत में उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रतिबंध की मांग नहीं रखी। श्रीरामचरितमानस में कुछ जातियों, वर्गों और वर्णों को लेकर जो आहत करने वाले अंश हैं, उन्हें हटाया जाना चाहिए।
बिहार के शिक्षा मंत्री व मौर्य के बयान से आहत साधु-संतों ने भी इसके खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी। प्रयागराज में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने विवादित बयान की कड़ी निंदा की। कहा कि गोस्वामी तुलसी दास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस व प्रभु श्रीराम पर विवादित टिप्पणी चर्च प्रायोजित वामपंथ के टूलकिट का हिस्सा है। इसके जरिए देश को अस्थिर करने की साजिश रची जा रही है। हिंदुओं के आराध्य व धर्मग्रंथों को अपशब्द कहकर हिंदुओं की भावना भड़काई जा रही है। ताकि, इससे आहत होकर हिंदू प्रदर्शन करें तो उनकी गलत छवि विश्व में पेश की जाए।
उन्होंने भारत सरकार व प्रदेश सरकार से मानस पर अवांछित टिप्पणी करने पर स्वामी प्रसाद पर एफआइआर दर्ज करके प्रदेश में अशांति व दंगा भड़काने के आरोप में जेल भेजने की मांग की। उधर, मौर्य व चंद्रशेखर प्रसाद के खिलाफ अयोध्या कोतवाली में अवध सेवा संस्थान के अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह की ओर से दी गई तहरीर में कार्रवाई की मांग की गई है। कोतवाल शमशेर बहादुर सिंह ने बताया कि तहरीर मिली है। उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन प्राप्त कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।