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Mainpuri Bypoll: अखिलेश के लिए आसान नहीं सपा की विरासत मैनपुरी सीट बचा पाना, शिवपाल के रुख से बढ़ी मुश्किलें

Mainpuri Lok Sabha by-election मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा वर्ष 1996 से लगातार सात बार जीतती आई है। उसने इस दौरान दो उपचुनाव भी जीते हैं। सपा के इस अभेद्य दुर्ग पर भाजपा इस बार कमल खिलाना चाहती है। इसके लिए आक्रामक तैयारी भाजपा ने की गई है।

By Shobhit SrivastavaEdited By: Umesh TiwariUpdated: Thu, 10 Nov 2022 07:37 AM (IST)
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Mainpuri Bypoll: लगातार चुनाव हार रही सपा के लिए कार्यकर्ताओं का उत्साह बनाए रखना चुनौती

लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri Lok Sabha Seat) बचा पाना सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए आसान नहीं है। उपचुनाव में भाजपा की आक्रामक तैयारी के साथ ही चाचा शिवपाल सिंह यादव के ताजा रुख ने अखिलेश यादव की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। मैनपुरी में मुलायम की सियासी विरासत आगे बढ़ाने के लिए सैफई परिवार को एक कर अखिलेश अभी तक प्रत्याशी चयन भी नहीं कर पाए हैं।

लगातार 7 बार से जीतती आई है सपा

मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा वर्ष 1996 से लगातार सात बार जीतती आई है। उसने इस दौरान दो उपचुनाव भी जीते हैं। वर्ष 2004 में जब मुलायम ने यहां से इस्तीफा दिया तो उस उपचुनाव में धर्मेन्द्र यादव यहां से जीते थे। इसी प्रकार वर्ष 2014 में मुलायम ने जब फिर यह सीट छोड़ी तो उनके पौत्र तेज प्रताप सिंह यादव यहां से सांसद चुने गए थे। इस बार भी तेज प्रताप को ही टिकट मिलने की सबसे अधिक संभावना है। वहीं, सपा के इस अभेद्य दुर्ग पर भाजपा इस बार कमल खिलाना चाहती है। इसके लिए आक्रामक तैयारी के साथ ही लगातार चुनाव जीत रही भाजपा के हौसले भी बुलंद हैं।

मैनपुरी लोकसभा सीट में पांच विधानसभा

मैनपुरी लोकसभा सीट में पांच विधानसभा मैनपुरी, भोगांव, किशनी, करहल व जसवंतनगर आती हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा के पास इनमें से केवल एक भोगांव सीट ही थी जबकि 2022 के चुनाव में भाजपा भोगांव व मैनपुरी दो सीटें जीतने में सफल रही है। यानी अब सपा के पास किशनी, करहल व जसवंतनगर सीट ही है। करहल से खुद अखिलेश यादव विधायक हैं जबकि जसवंतनगर से शिवपाल विधायक हैं।

लगातार चुनाव हार रही समाजवादी पार्टी

समाजवादी पार्टी एक के बाद एक लगातार चुनाव हार रही है। लगातार उपचुनावों में असफल हो रही सपा के सामने कार्यकर्ताओं में जोश बनाए रखना भी बड़ी चुनौती है। आजमगढ़ व रामपुर लोकसभा उपचुनाव में पार्टी की हार के बाद गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव में भी साइकिल की हवा निकल गई। समाजवादी पार्टी लगातार दावा कर रही थी कि गन्ना किसान भाजपा से नाराज हैं, लेकिन गोला उपचुनाव जीतकर भाजपा ने सपा के दावे को गलत साबित कर दिया है।

अखिलेश की मुश्किलें बढ़ा रहे चाचा

चाचा शिवपाल भी भतीजे अखिलेश की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। शिवपाल ने गोरखपुर में जिस तरह से अखिलेश पर हमला बोला उससे साफ है कि मुलायम के न रहने के बाद दोनों के नजदीक आने की जो संभावनाएं बनी थीं, वह अब खत्म हो चुकी हैं। शिवपाल ने यहां तक कहा कि जो परिवार का नहीं हो सका वो कभी सफल नहीं हो सकता है। अखिलेश यादव चापलूसों से घिरे हुए हैं, जो उन्हें गलत राय देते हैं। असली समाजवादी लोग उनकी पार्टी के साथ हैं और उनकी पार्टी ही असली समाजवादी है। मुलायम के अंतिम संस्कार व अस्थि विसर्जन के दौरान शिवपाल व अखिलेश में जो नजदीकियां दिखी थीं वह मैनपुरी उपचुनाव की तपिश में टूटती नजर आ रही हैं।

शाक्य मतदाताओं को साधने की कोशिश

मुलायम की मैनपुरी को बचाने के लिए अखिलेश प्रत्याशी की घोषणा से पहले यहां कील-कांटे दुरुस्त करने में लगे हैं। मैनपुरी में यादव के बाद बड़ी संख्या शाक्य मतदाताओं की है। सपा ने शाक्य मतदाताओं को साधने के लिए बुधवार को बड़ा दांव खेलते हुए सबसे पहले पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को मैनपुरी का जिलाध्यक्ष बना दिया है।

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