क्या उपचुनाव में सीट बंटवारे पर समझौता करेगी सपा? क्लियर किया अपना रुख; कांग्रेस ने भी संगठन को तैयार रहने को कहा
उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस के अपने हिस्से की दोनों सीटों पर नहीं लड़ने की अटकलों ने सपा को भी सतर्क कर दिया है। सपा ने अपने हिस्से की एक भी सीट पर समझौता करने से इनकार कर दिया है और कांग्रेस के प्रत्याशी न उतारने की स्थिति में खैर और गाजियाबाद में अपने संगठन को तैयार रहने को कहा है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से उसके हिस्से आयी दोनों सीटों पर नहीं लड़ने की अटकलों को लेकर सपा भी सतर्क हो गई है। सपा जहां अपने हिस्से की एक भी सीट पर समझौता करने को तैयार नहीं है, वहीं अब उसने कांग्रेस के प्रत्याशी न उतारने की दशा में खैर और गाजियाबाद में अपने संगठन को तैयार रहने को कहा है।
सपा ने करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, फूलपुर, मझवां, सीसामऊ और मीरापुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। कुंदरकी सीट पर प्रत्याशी के चयन के लिए मंथन चल रहा है। माना जा रहा है कि मंगलवार तक कुंदरकी सीट पर भी सपा अपना प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर सकती है।
पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण समारोह में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच उत्तर प्रदेश के उपचुनाव को लेकर बातचीत हुई थी। शपथ ग्रहण समारोह से लौटकर अखिलेश यादव ने मीरापुर सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।
ये दो सीटें कांग्रेस की झोली में
वहीं, खैर और गाजियाबाद सीट को आइएनडीआइए गठबंधन में कांग्रेस को दे दी गई। कांग्रेस वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणाम और महाराष्ट्र में सपा के महाविकास आघाड़ी से 12 सीटें मांगे जाने पर रणनीति के तहत दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने से पीछे हट रही है।
सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह कहते हैं कि कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों से पता चला है कि उनका दावा मझवां और फूलपुर सीटों पर है। मीरजापुर लोकसभा चुनाव में डा. रमेश बिंद ने बहुत अच्छा चुनाव लड़ा था। इसलिए उनकी बेटी डा. ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया गया है। इस सीट पर सपा वर्ष 2022 के चुनाव में दूसरे नंबर पर आयी थी।
कांग्रेस हाईकमान खामोश
फूलपुर सीट भी एक लाख से अधिक वोट पाने वाले मुस्तफा सिद्दीकी की दावेदारी तो बनती ही थी। ऐसे में इन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने के लिए संगठन ने तैयारी पहले से की थी। अब खैर और गाजियाबाद सीटें गठबंधन में कांग्रेस को दे दी हैं। अब उनको ही सब कुछ तय करना है। अभी कांग्रेस हाईकमान की ओर से दोनों सीटों पर नहीं लड़ने को लेकर कोई बात नहीं की गई है ।
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