गुस्सा, चिड़चिड़ापन और भूलने के शिकार हैं तो आपके काम की है यह खबर
वर्ल्ड अल्जाइमर डे: सक्रिय दिमाग ही बेहतर इलाज। माइंड मैनेजमेंट और हेल्दी लाइफ स्टाइल से अल्जाइमर से बचें।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Mon, 24 Sep 2018 08:07 AM (IST)
लखनऊ[राफिया नाज]। गुस्सा, चिड़चिड़ापन और धीरे-धीरे रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजें भूलने लगना...सभी अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। आप माइंड मैनेजमेंट, हेल्दी लाइफ स्टाइल और नशे से दूरी जैसे एहतियात बरतकर अल्जाइमर और डिमेंशिया से बच सकते हैं। वर्ष 2012 की स्टडी के अनुसार 104 डिमेंशिया के मरीजों में 98 लोगों को अल्जाइमर के लक्षण पाए गए। बुजुर्गों में होने वाली इस बीमारी से बचने की शुरुआत आज से ही की जा सकती है। वर्ल्ड अल्जाइमर डे पर आपको बता रहे हैं कि थोड़ी सी सावधानी से आप किस तरह खुद को ताउम्र स्वस्थ रख सकते हैं।
न्यूरोडीजनरेशन से होता है अल्जाइमर केजीएमयू के वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.भूपेंद्र सिंह ने बताया कि डिमेंशिया का ही एक कारण अल्जाइमर है। इस बीमारी में जींस में पाये जाने वाले टीलोमेरेज एंजाइम का लेवल घटने लगता है जिससे न्यूरोडीजनरेशन होने लगता है। ब्रेन में एब्नॉर्मल प्रोटीन जमने लगता है जो कि नर्व सेल को डैमेज करने लगता है। यह बीमारी इतनी धीमी गति से बढ़ती है कि इसके लक्षण लोगों के समझ में आते-आते दो से तीन साल का समय लग जाता है।
मल्टिपल डिजीज भी एक बड़ा कारण
अल्जाइमर के कई कारण होते हैं। इसमें सबसे बड़ा रिस्क ऐसे लोगों को होता है जिन्हें पहले से ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन, थायराइड और किसी भी तरह की क्रॉनिक डिजीज हो। इसके अलावा अव्यवस्थित जीवनशैली जैसे शराब, सिगरेट, समय से खाना न खाना, तनाव, परिवार में किसी की अल्जाइमर होने की हिस्ट्री। इसके अलावा पोषण संबंधित फैक्टर जैसे विटामिन बी की कमी, अकेलापन, मानसिक रूप से किसी बीमारी से ग्रसित होना।ये है लक्षण
अल्जाइमर के कई कारण होते हैं। इसमें सबसे बड़ा रिस्क ऐसे लोगों को होता है जिन्हें पहले से ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन, थायराइड और किसी भी तरह की क्रॉनिक डिजीज हो। इसके अलावा अव्यवस्थित जीवनशैली जैसे शराब, सिगरेट, समय से खाना न खाना, तनाव, परिवार में किसी की अल्जाइमर होने की हिस्ट्री। इसके अलावा पोषण संबंधित फैक्टर जैसे विटामिन बी की कमी, अकेलापन, मानसिक रूप से किसी बीमारी से ग्रसित होना।ये है लक्षण
- याद्दाश्त में कमी होना: काम करने से संबंधित याद्दाश्त में कमी आना, जिसमें छोटी-छोटी चीजें जैसे रास्ता भूल जाना, खाने में नमक डालना भूल जाना, धीरे-धीरे अपने करीबी रिश्तेदारों के चेहरे भूलने लगना।
- एप्रेक्सिया: कपड़े पहनना भूल जाना, लिखना भूलने लगना, कई छोटी-छोटी चीजें जैसे माचिस जलाना भूलना, बाथरूम जाना, यहां तक कि खाना खाना भी भूलने लगना।
- एग्नोसिया: पहचाने हुए चेहरे भी याद न रहना, दूर के रिश्तेदारों को धीरे-धीरे भूल जाना।
- एब्नॉर्मल सैक्सुअल बिहेवियर: कई बार सीवियर कंडीशन में बुजुर्ग एब्नॉर्मल सैक्सुअल बिहेवियर करने लगते हैं। यह भी इसी बीमारी के लक्षण हैं।
- एक्टिविटी इम्पेयर्ड: इसमें बुजुर्ग बिल्कुल चलने फिरने से मोहताज हो जाते हैं जिससे वो पूरी तरह से केयर गिवर्स पर डिपेंड हो जाते हैं।
बचाव ही इलाज हैइस बीमारी से बचने की शुरुआत अगर पहले से ही कर ली जाए तो अच्छा होगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखकर, नशे को त्याग कर, स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर। इसके साथ ही आत्मकेंद्रित होकर माइंड मैनेजमेंट करना चाहिए। साथ ही जिम, व्यायाम, योग, ध्यान आदि से भी स्वस्थ मस्तिष्क पाया जा सकता है।
सोशल सपोर्ट है जरूरीइस बीमारी की तीन स्टेज होती है। पहली स्टेज यानि एमसीआइ (माइल्ड कांग्नीटिव इम्पेयरमेंट), इसमें हल्की-फुल्की भूलने की समस्या होती है। इसमें व्यायाम, योग और कुछ दवाएं दी जाती हैं। दूसरी स्टेज यानि माइल्ड डिमेंशिया। इसमें एक्सरसाइज के साथ लोगों को क्रिएटिविटी सिखाई जाती है। तीसरी स्टेज यानि मॉडरेट डिमेंशिया जिसमें दवा के साथ, पोषण और परिवार की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। वहीं चौथी और सीवियर स्टेज, इसमें मरीज पूरी तरह से नर्सिंग केयर पर निर्भर हो जाता है। उसे नहलाने से लेकर, सारे कामों के लिए निर्भर होना पड़ता है।
क्रिएटिविटी और नॉन फार्मेकोलॉजी कल मैनेजमेंट जरूरीअल्जाइमर से पीडि़त लोगों के लिए केजीएमयू के वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में नॉन फॉर्मेकोलॉजिकल मैनेजमेंट सिखाया जाता है। साथ ही ऑक्यूपेशनल थेरेपी भी सिखाई जाती है। इसमें जो व्यक्ति जिस प्रोफेशन से जुड़ा है उसे वो चीजें सिखाई जाती हैं। जैसे घरेलू और गांव की महिलाओं को सब्जी काटने, गेंहू बीनने आदि काम। वहीं सबसे ज्यादा जरूरी है कि बुढ़ापे में भी दिमाग से संबंधित काम करने चाहिए। जैसे पजल गेम्स, कम्प्यूटर वर्क, बच्चों की गणित के सवालों को सुलझाने में मदद करना आदि। जितना ज्यादा मस्तिष्क एक्टिव होगा उतना सेहतमंद होगा।
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