UP News: राजस्व वसूली के मामले में राज्य कर विभाग ने दिया सरकार को सबसे बड़ा झटका, CAG की रिपोर्ट में खुलासा
CAG Report यूपी सरकार को राजस्व वसूली के मामले में राज्य कर विभाग ने सबसे बड़ा झटका दिया है। महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। आइटीसी में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई है। वहीं ब्याज वसूलने में भी अधिकारी चूके हैं। ऐसे में सरकार को करीब करीब 1446 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के अनुसार सरकार को राजस्व वसूली के मामले में सबसे बड़ा झटका राज्य कर विभाग ने दिया है। राज्य कर विभाग (जीएसटी) द्वारा इनपुट क्रेडिट टैक्स में की गई अनियमितताओं पर लगाम नहीं लग पा रही है। इसके चलते फर्जी आईटीसी के जरिए सरकार को करीब 1446 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कर राजस्व वसूली में आई कमी को लेकर वाणिज्य कर विभाग की कार्यप्रणाली को जिम्मेवार ठहराते हुए सिफारिश की है कि ट्रांजिशनल क्रेडिट के दावों के सत्यापन के लिए समय सीमा का निर्धारण किया जाना चाहिए। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2020-21 के राजस्व संग्रह के आंकड़ों का हवाला देते हुए सरकार को वास्तविक बजट यार्थाथ अनुमानों के आधार पर तैयार करने की नसीहत दी है।
राज्य कर विभाग व स्टांप एवं निबंधन विभाग द्वारा 1551.08 करोड़ की कम वसूली की गई है। सीएजी ने रिपोर्ट में 1058 करदाताओं के आंकड़ों की जांच को आधार बनाया है। 88.1 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के लाभ में गड़बड़ी सामने आई है। माल एवं सेवा कर के तहत ट्रांजिशनल क्रेडिट के मामलों में 60 करदाताओं ने निर्धारण आदेशों से 19.50 करोड़ के अधिक इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया।
सीएजी की सिफारिश पर विभाग 8 व्यापारियों से केवल 15.07 लाख की वसूली कर पाया है। वहीं 44 करदाताओं द्वारा 10.15 करोड़ की बजाय आईटीसी का 20.24 करोड़ का लाभ लेने का मामला भी सामने आया है। चार सालों में विभाग केवल 1.38 करोड़ की वसूली कर पाया है। इसी प्रकार कानपुर के एक करदाता ओमेगा इंटरनेशनल ने अनियमित तरीके से 24.37 लाख का आइटीसी का लाभ लिया था।
लखनऊ के रियल स्टेट प्रोजेक्ट शालीमार केएसएमबी द्वारा त्रुटिपूर्ण ढंग से दावा किए गए 1.45 करोड़ के आइटीसी की वसूली न करने के मामले को लेकर विभाग को कटघरे में खड़ा किया गया है। वहीं 12 करदाताओं ने ब्यौरा प्रस्तुत किए बिना ही पूंजिगत वस्तुओं पर 5.09 करोड़ के गैर सत्यापित आईटीसी का लाभ लिया। विभाग की तरफ से केवल 24.54 लाख के सत्यापन की कार्रवाई चल रही है, जबकि 4.85 करोड़ रुपये के सत्यापन को लेकर विभाग कटघरे में है।
इसी प्रकार सीएजी ने 4.73 करोड़ के आईटीसी की अनुमति अनियमित तरीके से देने के मामले को लेकर वाणिज्य कर अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि पूंजीगत वस्तुओं पर कर नहीं है, इसलिए आइटीसी भी नहीं ली जा सकती है। यह अनुमति इंडियन आयल को दी गई थी, लेकिन लेखापरीक्षक की टिप्पणी के बाद इसे विभाग ने वसूल लिया है। 11 करदाताओं द्वारा लिए गए 51.97 करोड़ रुपये के आइटीसी के लाभ को लेकर सत्यापन न करने के मामले को भी सीएजी ने प्रमुखता से उठाया है।
विभाग ने ब्याज भी नहीं वसूला
लेखापरीक्षक ने रिपोर्ट में दावा किया है कि तीन व्यापारियों ने 40.66 लाख की बजाय 67.85 लाख का आइटीसी का लाभ ले लिया। विभाग ने इनसे अतिरिक्त 27.19 लाख रुपये तो वसूल लिए, लेकिन ब्याज के 11.78 लाख रुपये नहीं वसूले गए। लेखा परीक्षक की टिप्पणी के बाद विभाग इसकी वसूली कर रहा है।
वाहन,माल और यात्री कर विभाग में भी गड़बड़ी
सीएजी ने रिपोर्ट में वाहन,माल और यात्री कर विभाग में भी 48 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पकड़ी है। 76 इकाइयों में से 11 इकाइयों के 16,379 मामलों की जांच में यह अनियमितता सामने आई है। 4165 मामलों में 25 करोड़ रुपये के टैक्स की कम वसूली हुई है। वहीं वसूली संबंधी दस्तावेेजों को गंभीरता से न लेने के चलते 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।