लखनवी खाने की देश-विदेश तक फैली महक, शौक बन रहा मुकाम की सीढ़ी
लखनवी कुजीन को अंतरराष्ट्रीय फलक तक पहुंचा रहे लखनवी शेफ। घर के किचन में महिलाओं का तो होटलों में पुरुषों का वर्चस्व।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Thu, 07 Feb 2019 11:38 AM (IST)
लखनऊ, [कुसुम भारती]। खाने के शौकीन पुरुष अब खाना पकाने में भी दिलचस्पी ले रहे हैं। खुद भी पका रहे हैं और दूसरों को भी सिखा रहे हैं। खास बात यह है कि उनका यह शौक उन्हें शोहरत भी दे रहा है। आइएचएम लखनऊ से निकले सेलिब्रिटी शेफ रनवीर ब्रार जैसे कई नाम हैं, जो देश-विदेश में लखनऊ का परचम लहरा रहे हैं। ऐसे ही कुछ शहर के मेल शेफ और इस फील्ड से जुड़े टीचरों से दैनिक जागरण आपको रूबरू करा रहा है।
खाने के शौक ने दिलाई शोहरतलखनऊ के इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आइएचएम) से पढ़कर निकले, लखनवी कबाबों के शौकीन सेलिब्रिटी शेफ रनवीर ब्रार को आज आइएचएम के स्टूडेंट अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं। टीवी फूड चैनलों के स्टार व होस्ट, सिख परिवार से ताल्लुक रखने वाले रनवीर कहते हैं, लखनऊ की गलियों में खाने की महक मिलती है। यहां के जायके को देश ही नहीं विदेश में भी पसंद किया जाता है।
मैं भी खाने का बेहद शौकीन हूं, इसी शौक ने आज मुझे यहां तक पहुंचाया है। सिर्फ खाना बनाना ही नहीं बल्कि इसे परोसना और प्यार से खिलाना भी एक कला है। यह बड़ी मेहनत का काम है। यह तो, सब जानते हैं कि मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। मेहनत और लगन ही शोहरत दिलाती है।
फूड इंडस्ट्री में ब्राइट कॅरियर
परिवार में अगर कोई खाना बनाने का शौक रखता हो तो दूसरा सदस्य भी जरूर प्रेरित होता है। एक होटल में मेरे चाचा जी शेफ हैं, उनको देखकर मेरे भीतर भी शौक जागा। आइएचएम से 2005 में कोर्स किया। कुछ ऐसा कहना है, आइएचएम लखनऊ में फैकल्टी मेंबर गौरव विशाल का। वह कहते हैं, इस इंडस्ट्री में बहुत स्कोप है, स्टूडेंट का कॅरियर ब्राइट है। इस फील्ड में जीवन जीने का सलीका आता है। लोगों से मिलना, बात करना, आतिथ्य भाव सबकुछ सीखने को मिलता है।
इंग्लैंड के होटल में परोस रहे भारतीय व्यंजनपिछले 14 वर्षों से होटल इंडस्ट्री से जुड़े शेफ गौरव दयाल को खाने से बेहद लगाव है और यही शौक उनको इस फील्ड में ले आया। गौरव कहते हैं, 2002 में होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद मेरी कुकिंग की जर्नी शुरू हुई। पिछले आठ सालों इंग्लैंड में एक नामी रेस्टोरेंट में एग्जीक्यूटिव शेफ के पद पर काम कर रहा हूं। 2002 की बात है, जब मैंने पहली बार घर में वेजिटेबल नूडल बनाया था। कई बार लोगों ने कहा कि क्या औरतों वाले काम कर रहे हो पर मैंने ध्यान नहीं दिया। आज टीवी पर मास्टर शेफ जैसे प्रोग्राम ने इस प्रोफेशन के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। युवा बतौर कॅरियर इसे अपना रहे हैं। अगर आप परिश्रम से नहीं डरते और आप क्रिएटिव हैं तो इस फील्ड में बहुत स्कोप है।
यूएस में पेश करेंगे इंडियन कुजीन
किसी को खाना बनाने का हुनर पुश्तैनी मिलता है तो कोई इसके लिए पढ़ाई करता है। मुझे यह हुनर पुरखों से मिला है। हाल ही में बैंकाक से लौटे, फ्रीलांस शेफ अब्दुल हलीम कहते हैं, लखनऊ में डोरा कबाब को ईजाद करने का श्रेय मेरे परदादा असगर कबाबी को जाता है। दादा और पिता के बाद पुरखों के इस पुश्तैनी हुनर को अब मैं संभाल रहा हूं। रामपुरी, कश्मीरी, हैदराबादी, दिल्ली के वेज-नॉनवेज व लखनवी जायके ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न अंचलों के वजूद खोते पारंपरिक व्यंजनों व इंडियन कुजीन को देश-विदेश में फूड फेस्टिवल के जरिए प्रमोट कर रहा हूं। जर्मनी, फ्रांस, इटली, मलेशिया, टर्की, पाकिस्तान, दुबई, सऊदी अरब में भारतीय डिश प्रमोट कर चुका हूं। अप्रैल, 2019 में यूएस में फूड प्रमोशन के लिए जाऊंगा। अंग्रेजों को भारतीय स्वाद बहुत पसंद है।
लड़कियों के लिए सेफ प्रोफेशनफाइव स्टार होटलों में अब लड़कियां भी शेफ हैं। मुझे लगता है कि यह फील्ड उनके लिए बहुत सेफ है। शेफ अमरजीत कुंडू कहते हैं, 2010 में मैंने बीएचएम एंड सीटी कोर्स किया था। फिर एमएससी मास्टर इन हॉस्पिटेलिटी एडमिनिस्ट्रेशन में कोर्स किया। मैंने फाइव स्टार होटलों में भी काम किया है। एयर इंडिया की केबिन क्रू रिक्रूटमेंट कमेटी में काम किया है। दिल्ली में साल में दो बार होने वाले पर्यटन पर्व व भारत पर्व में भी फूड कोर्ट की जिम्मेदारी आइएचएच पूसा की ओर से संभाली। 2016 में पीएम हाउस व पार्लियामेंट हाउस में भी जिम्मेदारी संभालने का मौका मिला।
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