गड़बड़ी के चलते 16 हजार स्ट्रीट लाइटों का टेंडर हुआ रद, जवाब देने में अधिकारियों के छूट रहे पसीने
लखनऊ में टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी के चलते 16000 एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाने का मामला टल गया है। विवादों के कारण दस करोड़ का टेंडर निरस्त कर दिया गया है। नगर निगम ने अब संशोधित टेंडर निकाला है जो 29 सितंबर को खोला जाएगा। इस प्रकरण में नगर निगम का मार्ग प्रकाश विभाग जांच के घेरे में है। कुछ ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने की शिकायत हुई थी।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण 16,000 एलईडी स्ट्रीट लाइटों को लगाने का मामला टल गया है। विवादों के कारण दस करोड़ के टेंडर को निरस्त कर दिया गया। अब नगर निगम ने संशोधित टेंडर निकाला है, जो 29 सितंबर को खोला जाएगा। इस प्रकरण में नगर निगम का मार्ग प्रकाश विभाग फिर से जांच के घेरे में आ गया है।
अब अधिकारी सफाई देते घूम रहे हैं। इसमें कुछ ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने की शिकायत हुई थी और टेंडर की शर्ते इस तरह से तैयार की गई कि सभी टेंडर में प्रतिभाग न ले सकें।
शासन से मिली अवस्थापना निधि से इन लाइटों को लगाया जाना है, जिस पर दस करोड़ का खर्च आएगा। नगर निगम के पास बजट भी है, लेकिन टेंडर निकालने में मार्ग प्रकाश विभाग के अधिकारियों ने गड़बड़ी कर दी।
टेंडर में छह कंपनियों से ही लाइटों को खरीदने का जिक्र था। यह कंपनियां भी लोक निर्माण विभाग से प्रमाणित हैं, लेकिन प्रमाणित 18 में से छह कंपनियों का नाम ही टेंडर में दिए जाने को लेकर विवाद हो गया था।
इससे नगर निगम मार्ग प्रकाश विभाग के अधिकारियों की मंशा पर भी सवाल खड़े होने लगे थे। मामला नगर आयुक्त गौरव कुमार तक पहुंचा तो उन्होंने फिर से टेंडर कराने को कहा और किसी कंपनी का नाम देने के निर्देश दिए।
अब नगर निगम ने लोकनिर्माण विभाग से प्रमाणित स्ट्रीट लाइटों के बिंदु को भी जोड़ दिया है, जबकि अभी तक विभाग से प्रमाणित कंपनियों का ही जिक्र होता है। अब कंपनियां लाइटों की आपूर्ति में गड़बड़ी नहीं कर सकेंगी।
विस्तारित क्षेत्र के गांवों में लगनी हैं लाइटें
वर्ष 2020 में नगर निगम की सीमा में 88 गांवों को शामिल किया गया था, जहां स्ट्रीट लाइटों का अभाव है। यहां लगातार लाइटों को लगाने की मांग हो रही थी।
दरअसल गांवों का नगर निगम में हस्तांतरण होने के कारण पंचायती राज विभाग ने भी दो साल पहले से ही बजट को रोक दिया था, जिस कारण इन गांवों में विकास का अभाव दिखता है।
टेंडर में कंपनियों का नाम दिए जाने पर अन्य कंपनियों को आपत्ति थी, इसलिए टेंडर निरस्त कर दिया गया था। अब फिर से 29 सितंबर को टेंडर मांगे गए हैं। शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। -मनोज प्रभात, मुख्य अभियंता, मार्ग प्रकाश विभाग, नगर निगम।
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