लॉरी में मरीज की मौत, हंगामा-तोड़फोड़ से आक्रोशित डॉक्टरों ने इमरजेंसी में ठप किया काम Lucknow news
केजीएमयू के लॉरी कॉर्डियोलॉजी में मरीज की मौत पर हुई डॉक्टरों की पिटाई। काम ठप परेशान हुए मरीज।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Sat, 13 Jul 2019 02:06 PM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। लॉरी कॉर्डियोलॉजी में एक मरीज की मौत पर जमकर हंगामा हुआ। मरीज की मौत के बाद आक्रोशित परिजन तकरीबन 100 से ज्यादा लोगों के साथ इमरजेंसी में घुस गए और मारपीट करने लगे। जान बचाने के लिए रेजिडेंट डॉक्टर बाथरूम में छिप गए। किसी तरह से वो जान बचाने में कामयाब हुए। इसके बाद आक्रोशित डॉक्टरों ने लॉरी की इमरजेंसी में कार्य बहिष्कार कर दिया। जिसकी वजह से मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
यह है मामला
मामला केजीएमयू के लॉरी कॉर्डियोलॉजी का है। खदरा निवासी सायरा बानो शुक्रवार दोपहर में लॉरी कॉर्डियोलॉजी में भर्ती हुई थी। डॉक्टरों ने उसे माइनर हार्ट अटैक बताया था। रेजिडेंट डॉक्टरों ने उसे इमरजेंसी ट्रीटमेंट देकर छुट्टी दे दी। वहीं परिवारीजन उसे भर्ती करने के लिए गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन उन्होंने बेड न होने का हवाला देकर उसे घर भेज दिया। वहीं तकरीबन रात डेढ़ बजे के करीब उसे फिर से दिक्कत हुई तो परिवारीजन उसे लेकर लॉरी पहुंचे। आरोप हैै कि डॉक्टरों ने मरीज को भर्ती नहीं किया, जिसकी वजह से महिला की मौत हो गई।
मामला केजीएमयू के लॉरी कॉर्डियोलॉजी का है। खदरा निवासी सायरा बानो शुक्रवार दोपहर में लॉरी कॉर्डियोलॉजी में भर्ती हुई थी। डॉक्टरों ने उसे माइनर हार्ट अटैक बताया था। रेजिडेंट डॉक्टरों ने उसे इमरजेंसी ट्रीटमेंट देकर छुट्टी दे दी। वहीं परिवारीजन उसे भर्ती करने के लिए गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन उन्होंने बेड न होने का हवाला देकर उसे घर भेज दिया। वहीं तकरीबन रात डेढ़ बजे के करीब उसे फिर से दिक्कत हुई तो परिवारीजन उसे लेकर लॉरी पहुंचे। आरोप हैै कि डॉक्टरों ने मरीज को भर्ती नहीं किया, जिसकी वजह से महिला की मौत हो गई।
लॉरी में घुसे 100 से ज्यादा लोग
महिला की मौत से गुस्साए परिवारीजन ड्यूटी पर मौजूद रेजिडेंट डॉक्टरों से कहा सुनी करते रहे। इसके बाद वे शव लेकर चले गए। लगभग आधे घंटे बाद लॉरी में तकरीबन 100 लोग घुस आए और तोड़फोड़ करने लगे। ड्यूटी पर मौजूद तीन रेजिडेंट डॉक्टर और स्टाफ जान बचाने के लिए डॉक्टर्स रूम में घुस गए। भीड़ ने कमरे का दरवाजा तोड़ दिया। जिसके बाद वो सभी जान बचाने के लिए बाथरूम में छिप गए। वहां से रेजिडेंट्स ने किसी तरह से सीनियर डॉक्टरों को फोन लगाया। उन्होंने कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट को मामले की जानकारी दी। पुलिस के आने के बाद भी भीड़ अंदर से नहीं निकली। काफी मशक्कत के बाद लोग इमरजेंसी से बाहर निकले और मामला शांत हुआ।
पांच घंटे तक ठप रहा काम
तोड़फोड़ और हंगामे की वजह से इमरजेंसी में लगभग पांच घंटे तक काम ठप रहा। इस बीच इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों को भी परेशानी हुई। वार्ड में भर्ती मरीज भी सहम गए। तीमारदारों की मारपीट और तोड़फोड से आक्रोशित रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने इमरजेंसी का काम ठप कर दिया। गेट पर ताला जड़ दिया गया और मरीज न देखे जाने का नोटिस चिपका दिया गया। नोटिस में इमरजेंसी को ट्राॅमा में स्थानांतरित करने का सीएमएस का अादेश लिखा हुआ था। वहीं डॉक्टरों के गुस्से की वजह से ओपीडी भी देर से शुरू हुई। इमरजेंसी के बाहर काफी संख्या में पहुंचे लोगों को गेट पर लगे नोटिस को देखकर लौटना पड़ा। कॉर्डियोलॉजी की इमरजेंसी को ट्रॉमा में शिफ्ट करने की मांग
हंगामे और तोड़फोड़ के बाद सीनियर और जूनियर रेजिडेंट ने काम ठप कर दिया। सभी ने कॉर्डियोलॉजी को ट्रॉमा में शिफ्ट करने की मांग की। इसके लिए डॉक्टरों की टीम कुलपति से मुलाकात भी करेगी। हड़ताल की वजह से हार्ट के गंभीर मरीजों को खासी दिक्कत हुई। मरीजों को लॉरी कॉर्डियोलॉजी से लौटा दिया गया। मरीज ट्रॉमा सेंटर के चक्कर काटते रहे, वहीं डॉक्टरों के काम न करने की वजह से वहां भी मरीजों की मुसीबतें हल नहीं हुई। पहले भी हो चुकी है मारपीट
लॉरी कॉर्डियोलॉजी में लगभग दो साल पहले भी मारपीट हो चुकी है। जिसमें मरीज की मौत के बाद लगभग 50 लोग इमरजेंसी में घुस आए थे और रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने लॉरी इमरजेंसी को ट्रॉमा सेंटर में शिफ्ट करने की मांग की थी, लेकिन मांग पूरी नहीं हुई। पुलिस देखती रही तमाशा
मारपीट होने के बाद से लॉरी कॉर्डियोलॉजी में 24 घंटे के लिए पुलिस कर्मी लगा दिए गए थे, लेकिन शुक्रवार देर रात एक साथ घुसे इतनी भीड़ के आगे वो भी बेबस नजर आए। डॉक्टरों के मुताबिक पुलिस वाले एक किनारे खड़े रहे और उन्होंने बचाव के लिए कुछ भी नहीं किया। क्या कहते हैं जिम्मेदार
लॉरी कॉर्डियोलॉजी के प्रवक्ता डॉ अक्षय प्रधान ने बताया कि मरीज दिन में आई थी। उसे माइनर हार्ट अटैक आया था दवा देकर स्टेबल होने के बाद उसे घर भेज दिया था। हमारे यहां बेड नहीं था, इसलिए भर्ती नहीं किया गया। रात में डेढ़ बजे ये मरीज दोबारा आई, ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले ही उसकी मौत हो गई। जिसके बाद परिवारीजन रेजिडेंट डॉक्टरों से लड़ने लगे। थोड़ी देर बाद इमरजेंसी में 100 से ज्यादा लोग घुस आए और तोड़फोड़ करने लगे। तीनों रेजिडेंट डॉक्टरों ने किसी तरह से बाथरूम में घुसकर जान बचाई। अब यहां काम नहीं होगा। लॉरी की इमरजेंसी ट्रॉमा में शिफ्ट की जाए, वहां सारी व्यवस्था ठीक है। सुरक्षा के भी उचित इंतजाम है। सभी डॉक्टर्स कुलपति से बात करने जाएंगे। सेवाएं बाधित नहीं है, मरीजों को ट्रॉमा सेंटर में देखा जा रहा है।
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हंगामे और तोड़फोड़ के बाद सीनियर और जूनियर रेजिडेंट ने काम ठप कर दिया। सभी ने कॉर्डियोलॉजी को ट्रॉमा में शिफ्ट करने की मांग की। इसके लिए डॉक्टरों की टीम कुलपति से मुलाकात भी करेगी। हड़ताल की वजह से हार्ट के गंभीर मरीजों को खासी दिक्कत हुई। मरीजों को लॉरी कॉर्डियोलॉजी से लौटा दिया गया। मरीज ट्रॉमा सेंटर के चक्कर काटते रहे, वहीं डॉक्टरों के काम न करने की वजह से वहां भी मरीजों की मुसीबतें हल नहीं हुई। पहले भी हो चुकी है मारपीट
लॉरी कॉर्डियोलॉजी में लगभग दो साल पहले भी मारपीट हो चुकी है। जिसमें मरीज की मौत के बाद लगभग 50 लोग इमरजेंसी में घुस आए थे और रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने लॉरी इमरजेंसी को ट्रॉमा सेंटर में शिफ्ट करने की मांग की थी, लेकिन मांग पूरी नहीं हुई। पुलिस देखती रही तमाशा
मारपीट होने के बाद से लॉरी कॉर्डियोलॉजी में 24 घंटे के लिए पुलिस कर्मी लगा दिए गए थे, लेकिन शुक्रवार देर रात एक साथ घुसे इतनी भीड़ के आगे वो भी बेबस नजर आए। डॉक्टरों के मुताबिक पुलिस वाले एक किनारे खड़े रहे और उन्होंने बचाव के लिए कुछ भी नहीं किया। क्या कहते हैं जिम्मेदार
लॉरी कॉर्डियोलॉजी के प्रवक्ता डॉ अक्षय प्रधान ने बताया कि मरीज दिन में आई थी। उसे माइनर हार्ट अटैक आया था दवा देकर स्टेबल होने के बाद उसे घर भेज दिया था। हमारे यहां बेड नहीं था, इसलिए भर्ती नहीं किया गया। रात में डेढ़ बजे ये मरीज दोबारा आई, ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले ही उसकी मौत हो गई। जिसके बाद परिवारीजन रेजिडेंट डॉक्टरों से लड़ने लगे। थोड़ी देर बाद इमरजेंसी में 100 से ज्यादा लोग घुस आए और तोड़फोड़ करने लगे। तीनों रेजिडेंट डॉक्टरों ने किसी तरह से बाथरूम में घुसकर जान बचाई। अब यहां काम नहीं होगा। लॉरी की इमरजेंसी ट्रॉमा में शिफ्ट की जाए, वहां सारी व्यवस्था ठीक है। सुरक्षा के भी उचित इंतजाम है। सभी डॉक्टर्स कुलपति से बात करने जाएंगे। सेवाएं बाधित नहीं है, मरीजों को ट्रॉमा सेंटर में देखा जा रहा है।