बड़े अधिकारियों को बचाने के लिए जद्दोजहद, संविदा कर्मचारियों को हटा रहे अफसर; लखनऊ में घटी दो बड़ी घटनाएं
राजधानी में चंद दिन के अंतराल पर दो बड़ी घटनाएं घटी। परिवहन निगम के अधिकारियों ने दोनों मामलों में बड़ों को बचाने के लिए आउटसोर्स व संविदा कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दिया। अधिकारी गंभीर प्रकरणों में भी सख्त कार्रवाई करने से बच रहे हैं। आठ अप्रैल को बस संख्या यूपी 32 सीजेड 7083 में ट्रांसपोर्ट नगर के शहीद पथ तिराहे के पास आग लग गई थी।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। राजधानी में चंद दिन के अंतराल पर दो बड़ी घटनाएं घटी। परिवहन निगम के अधिकारियों ने दोनों मामलों में बड़ों को बचाने के लिए आउटसोर्स व संविदा कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दिया। अधिकारी गंभीर प्रकरणों में भी सख्त कार्रवाई करने से बच रहे हैं। आठ अप्रैल को बस संख्या यूपी 32 सीजेड 7083 में ट्रांसपोर्ट नगर के शहीद पथ तिराहे के पास आग लग गई थी।
इसमें तीन अधिकारियों ने जांच के नाम पर लीपापोती कर आउटसोर्स कर्मचारी मोहम्मद शाबान को बर्खास्त कर दिया। अधिकारी 18 दिन बाद भी यह नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर सितंबर तक जिस बस का फिटनेस दुरुस्त था, उसमें आग कैसे लगी और दुबग्गा के सीनियर फोरमैन बस की मरम्मत न होने के जिम्मेदार क्यों नहीं हैं?
आठ अप्रैल को कैसरबाग डिपो की बस संख्या यूपी 78 जेटी 5398 हरिद्वार से लौटी, संविदा कंडक्टर पंकज तिवारी ने ईटीआइएम मशीन से वे-बिल डाउनलोड करा दिया, लेकिन 62047 रुपये जमा नहीं किए। धन जमा न होने की जिम्मेदारी डिपो के केंद्र प्रभारी एसके गुप्ता की थी, लेकिन पांच दिन तक टालमटोल चला। 13 अप्रैल को जैसे-तैसे धन जमा हुआ।
एआरएम ने कंडक्टर की सेवा समाप्त कर दी है, लेकिन केंद्र प्रभारी की लापरवाही पर आंखें मूंद लीं। क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी ने बताया कि केंद्र प्रभारी के संबंध में एआरएम से रिपोर्ट मांगी गई है, दोषी होने पर कार्रवाई करेंगे। एआरएम अरविंद कुमार यादव ने बताया कि केंद्र प्रभारी ने धन जमा कराने का भरसक प्रयास किया है।
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