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'यदि UP सरकार आदेश का उल्लंघन करने का जोखिम लेना चाहती है, तो उनकी मर्जी', SC पहुंचा बहराइच में बुलडोजर का मामला

बहराइच हिंसा के आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ याचिका दायर की है। सर्वोच्च न्यायालय बुधवार को इस पर सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने मकान गिराने का नोटिस दिया है और जवाब के लिए केवल तीन दिन का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर यूपी सरकार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करना चाहती है तो उनकी मर्जी।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Tue, 22 Oct 2024 12:47 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बहराइच में बुलडोजर का मामला
पीटीआई, नई दिल्ली। बहराइच हिंसा के आरोपितों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन पर याचिका दायर की गई। जिस पर सर्वोच्च न्यायालय बुधवार को सुनवाई करने को तैयार हो गया। याचिकाकर्ताओं के वकील सीयू सिंह ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष बहराइच में बुलडोजर एक्शन पर तत्काल सुनवाई की मांग की।

वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तीनों आरोपितों को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मकान को गिराने का नोटिस जारी किया गया है। नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए राज्य सरकार ने उन्हें केवल तीन दिन का समय दिया है।

यूपी सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिटर जनरल के एम नटराज ने कोर्ट को बताया कि मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट के संज्ञान में है और उच्च न्यायालय ने नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा- यदि यूपी सरकार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने का जोखिम लेना चाहती है, तो उनकी मर्जी। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि हाई कोर्ट द्वारा उन्हें कोई सुरक्षा नहीं दी गई है।

वहीं पीठ ने सॉलिटर जनरल से मौखिक तौर पर कहा कि बुधवार को मामले की सुनवाई होने तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई न की जाए।

क्या है मामला

बरहाइच के महराजगंज बाजार में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान जमकर हिंसा हुई थी। जिसमें रामगोपाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके भड़की हिंसा में कई लोगों के दुकान और मकान जद में आए थे। इसके बाद पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड की ओर से महराजगंज के 23 ग्रामीणों को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा गया था।

हाई कोर्ट में भी दाखिल हुआ था वाद

नोटिस का जवाब न मिलने पर सभी के मकान पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी। इसको देखते हुए दिल्ली की एपीसीआर संस्था के मुख्य कार्यकारी सैयद महफूजुर रहमान ने लखनऊ हाई कोर्ट में अधिवक्ता सौरभ शंकर श्रीवास्तव की ओर से वाद दायर करवाया था।

रविवार शाम को 6.30 बजे मामले की सुनवाई हुई। जिसमें लखनऊ हाईकोर्ट के न्यायामूर्ति मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने मामले की सुनवाई की। अधिवक्ता ने बताया कि पीठ ने सुनवाई करते हुए मामले में सरकार से जवाब मांगा है। ग्रामीणों को 15 दिन का समय दिया गया है कि वह सभी अपना पक्ष पीडब्ल्यूडी कार्यालय में प्रस्तुत करें। ऐसे में बुलडोजर की कार्रवाई 15 दिन के लिए रोक दी गई है।

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