कोलकाता में सम्मानित होंगे सूर्य कुमार पांडेय, मिलेगा शम्भूप्रसाद श्रीवास्तव साहित्य सृजन सम्मान
यूपी के बलिया में 10 अक्टूबर 1954 को जन्मे सूर्य कुमार पांडेय बालगीतों में नव प्रतीक और बिम्ब के प्रयोगधर्मा कवि हैं। आज के समय के बचपन को लक्ष्य कर लिखी गईं उनकी बाल कविताएं उन्हें बाल साहित्य के प्रासंगिक और महत्वपूर्ण कवियों में रेखांकित करने में समर्थ हैं।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Wed, 10 Nov 2021 12:24 PM (IST)
लखनऊ, जागरण संवाददाता। बाल साहित्य में योगदान के लिए वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यकुमार पांडेय को आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में पश्चिम बंगाल का पहला शम्भूप्रसाद श्रीवास्तव साहित्य सृजन सम्मान मिलेगा। कोलकाता की संस्था 'संकल्प सृष्टि' के प्रधान सचिव अविनाश कुमार गुप्ता की ओर से यह जानकारी दी गई। सूर्यकुमार पांडेय को सम्मानपत्र आदि सहित 25 हजार रुपये की धनराशि भेंट की जाएगी। यह सम्मान 14 नवंबर को कोलकाता में रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के रवींद्र मंच पर आयोजित समारोह में केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी द्वारा प्रदान किया जाएगा। करीब 55 वर्षों से साहित्य सृजन कर रहे सूर्यकुमार को पहले भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। इनकी 28 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के लखौलिया में 10 अक्टूबर 1954 को जन्मे सूर्य कुमार पांडेय बालगीतों में नव प्रतीक और बिम्ब के प्रयोगधर्मा कवि हैं। आज के समय के बचपन को लक्ष्य कर लिखी गईं उनकी बाल कविताएं उन्हें बाल साहित्य के प्रासंगिक और महत्वपूर्ण कवियों में रेखांकित करने में समर्थ हैं। इन्होंने कविता और गद्य, दोनों में समान गति से लेखन किया है। उन्होंने बाल साहित्य में प्रभूत रचना-कर्म के समांतर व्यंग्य, हास्य, गीत/ नवगीत आदि विधाओं में भी उल्लेखनीय रचनाएं की हैं। इन्होंने राष्ट्रीय स्तर की अनेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए कविता और गद्य, दोनों में ही स्तंभ-लेखन किया है। जहां एक ओर इनकी पहचान एक व्यंग्य स्तंभकार के रूप में है, वहीं कवि सम्मेलनों के एक लोकप्रिय कवि के तौर पर भी इन्हें भरपूर लोकप्रियता प्राप्त हुई है।
सूर्यकुमार पांडेय की उल्लेखनीय बाल कविता की पुस्तकों में ‘गीत तुम्हारे’, ‘हम बच्चे’, ‘फूल खिले’, ‘चूहे राजा’, ‘बन्दर जी की दुम’, ‘मेरी प्रिय बाल कविताएँ’, ‘गीत चुनमुने’, ‘अक्कड़-बक्कड़’, ‘हम हैं किससे कम’, ‘आज के समय की 101 बाल कविताएं’, 'चौरीचौरा: जनक्रांति का नया सवेरा' आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कुल 28 पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें हास्य और व्यंग्य कविताओं के आठ संकलन, दो गीत संकलन और तीन गद्य व्यंग्य के संग्रह सम्मिलित हैं।
सूर्य कुमार पांडेय ने बाल कल्याण के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया है। इन्होंने ‘परिवार कल्याण के विज्ञापन और बच्चे’, ‘लोकगीतों में परिवार कल्याण’ तथा ‘जनसंख्या शिक्षा: सिद्धांत और उपादेयता’ पुस्तकें भी लिखीं हैं। साथ ही, ‘उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा’, और कन्या भ्रूण हत्या सहित समाज में पुत्र के जन्म की प्राथमिकता जैसे ज्वलंत विषयों पर भी अपनी लेखनी चलाई है और 30 से अधिक विस्तृत शोध प्रतिवेदन लिखे हैं। बाल साहित्य पर आपकी संयुक्त रूप से लिखित एवं सम्पादित आधा दर्जन कृतियां भी प्रकाशित हैं। इनकी 50 से भी अधिक बाल कविताएं विविध संकलनों और पुस्तकों में संग्रहीत हैं।
स्वतंत्र्योत्तर बाल साहित्य की सर्जना में उल्लेखनीय भूमिका निभाने और सक्रियतम योगदान देने वाले सूर्यकुमार पांडेय को वर्ष 2019 के उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के बाल साहित्य के सर्वोच्च सम्मान बाल साहित्य भारती ( दो लाख रुपये) से अलंकृत किया जा चुका है। इससे पूर्व भी ‘गीत तुम्हारे’ पुस्तक को अनुशंसा पुरस्कार और ‘मेरी प्रिय बाल कविताएँ’ पुस्तक पर उप्र हिंदी संस्थान से सूर पुरस्कार मिल चुका है। 2012 में उप्र हिंदी संस्थान द्वारा ही व्यंग्य विधा के लिए पं० श्रीनारायण चतुर्वेदी पुरस्कार से विभूषित हो चुके हैं। उप्र हिंदी संस्थान से ही उत्कृष्ट बाल साहित्य सेवा के लिए इन्हें 2013 में ‘सोहनलाल द्विवेदी बाल कविता सम्मान’ भी प्रदान किया जा चुका है।
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