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भ्रष्टाचार में घिरे यूपीसीडा के निलंबित प्रधान महाप्रबंधक अरुण कुमार मिश्र की छुट्टी, सरकार ने किया जबरिया रिटायर

उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास प्राधिकरण के चर्चित चीफ जनरल मैनेजर अरुण कुमार मिश्र को अनिवार्य सेवानिवृत्ति कर दिया गया है। अरुण कुमार मिश्र इन दिनों लखनऊ जेल में हैं। यूपीसीडा में घोटाले के मामले में मिश्र के खिलाफ सीबीआइ व ईडी ने जांच की है।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Tue, 17 Aug 2021 07:09 AM (IST)
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उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास प्राधिकरण के चीफ जनरल मैनेजर अरुण कुमार मिश्र को अनिवार्य सेवानिवृत्ति कर दिया गया है।

लखनऊ, जेएनएन। भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति पर एक और सख्त कदम बढ़ाते हुए योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के निलंबित प्रधान महाप्रबंधक अरुण कुमार मिश्र पर भी कार्रवाई का हंटर चलाया है। भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों में घिरे मिश्र गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) से संबद्ध थे और वर्तमान में जिला कारागार लखनऊ में निरुद्ध हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण के निलंबित चीफ जनरल मैनेजर अरुण कुमार मिश्र को अनिवार्य सेवानिवृत्ति कर दिया गया है। औद्योगिक विकास विभाग ने उन्हें भ्रष्टाचार में लिप्त होने की वजह से जबरिया रिटायर किया है। विभाग के सचिव विकास गोठलवाल ने आदेश जारी किया है। उनको निलंबित करने के बाद गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण से सम्बद्ध किया गया था। अरुण कुमार मिश्र इन दिनों लखनऊ जेल में हैं। यूपीसीडा में घोटाले के मामले में मिश्र के खिलाफ सीबीआइ व ईडी ने जांच की है।

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास विभाग ने औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के भ्रष्ट अफसरों और बाबुओं पर कार्रवाई का फैसला लिया है। इसका सिलसिला विभाग के काफी चर्चित दागी अफसर अरुण कुमार मिश्र से की है। उनकी सेवानिवृत्ति सात नवंबर, 2023 को नियत थी, लेकिन सरकार ने सोमवार को उन्हें समय से पहले ही अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी।

औद्योगिक विकास विभाग के सचिव विकास गोठलवाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अरुण मिश्र तीन माह तक उसी दर से वेतन-भत्ते के बराबर की धनराशि दावेदार होंगे, जिस दर पर वह सेवानिवृत्ति से पहले पा रहे थे। उल्लेखनीय है कि मिश्र भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआइ, ईडी आदि की जांचों के घेरे में हैं।

औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना का कहना है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति के तहत कार्य कर रही है। औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में पूर्व की सरकारों से व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए भ्रष्ट अफसरों-बाबुओं के खिलाफ कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

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