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Teachers Day 2022: 'स्‍कूल आपके द्वार' पहुंचाकर संतोष ने हासिल की राज्‍य शिक्षक पुरस्‍कार की उपलब्धि, ऐसे हुई थी करियर की शुरुआत

Teachers Day 2022 प्राथमिक विद्यालय सलौली गोसाईगंज लखनऊ के सहायक शिक्षक संतोष कुमार ने एक नई पहल शुरू की। स्कूल आपके द्वार अभियान की शुरूआत कर उन्होंने दूसरों को भी राह दिखाई। आज उस अभियान के लिए उन्हें राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना गया है।

By Vrinda SrivastavaEdited By: Updated: Sat, 03 Sep 2022 02:38 PM (IST)
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'स्‍कूल आपके द्वार' पहुंचाकर संतोष ने हासिल की राज्‍य शिक्षक पुरस्‍कार की उपलब्धि.

लखनऊ, जागरण संवाददाता। कोरोना के समय जब अचानक से लाकडाउन हुआ तो सभी लोगों ने खुद को घरों में बंद कर दिया। डर, दहशत के वातावरण में लोगों को अपनी सुरक्षा की चिंता थी। उस लाकडाउन के समय में बच्चों की पढ़ाई आनलाइन शुरू हुई, लेकिन बेसिक शिक्षा स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पास स्मार्टफोन की कोई सुविधा नहीं थी, ऐसे में बेसिक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे असहाय दिखने लगे थे।

ऐसी विषम स्थिति में प्राथमिक विद्यालय सलौली गोसाईगंज लखनऊ के सहायक शिक्षक संतोष कुमार ने एक नई पहल शुरू की। उन्होंने उन बच्चों तक पहुंचने की कोशिश की जिनके पास कोई तकनीकी संसाधन नहीं था। स्कूल आपके द्वार अभियान की शुरूआत कर उन्होंने दूसरों को भी राह दिखाई। आज उस अभियान के लिए उन्हें राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना गया है।

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संतोष कुमार ने अपनी पूरी पढ़ाई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की। शिक्षक के साथ विधि की पढ़ाई भी की। वर्ष 2009 में उन्होंने अपने गृह जनपद संत कबीरनगर से शिक्षक के तौर पर करियर की शुरुआत की। पत्नी राम मनोहर लोहिया अस्पताल में स्टाफ नर्स थीं, इसलिए उन्होंने अपना ट्रांसफर लखनऊ कराया। वर्ष 2013 में उन्होंने गोसाईगंज के स्कूल की जिम्मेदारी संभाली।

कोविड के समय में उन्होंने स्कूल आपके द्वार को तीन जगह से शुरू किया। गोसाईगंज में एक खाली मकान में एक बरामदे में उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इसके अलावा गांव से बाहर एक मंदिर और पेड़ के नीचे 10 से 25 बच्चों को लेकर पढ़ाना शुरू किया। यह समय ऐसा था जब केवल शिक्षकों को स्कूल आने की अनुमति थी। बावजूद संतोष ने कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए सुरक्षित तरीके से दो शिक्षा मित्रों को लेकर स्कूल आपके द्वार को चलाया।

अपने इस अभियान को उन्होंने विभाग के शीर्ष अधिकारियों और मंत्री को भी बताया। इसकी पूरी सराहना हुई। बाद में प्रदेश में मोहल्ला पाठशाला को आगे बढ़ाया गया। संतोष कुमार यही नहीं रुके। कायाकल्प योजना में उन्होंने अपने स्कूल की रंगाई पोताई से लेकर अन्य कार्यों में साढ़े तीन लाख रुपये अपनी जेब से खर्च कर एक मिसाल भी पेश की। राज्य पुरस्कार में अपना नाम आने के बाद संतोष कुमार का कहना है कि इससे अपेक्षाएं और बढ़ गईं हैं, अब उनका लक्ष्य दिसंबर 2022 तक अपने स्कूल को निपुण भारत अभियान में खड़ा करना है।