नौकरी बचाने को यूपी में शिक्षकों का हल्ला-बोल, SCERT का किया घेराव; पुलिस के छूटे पसीने
यूपी में 69 हजार शिक्षक भर्ती के चयनित अध्यापकों ने प्रदर्शन कर एससीईआरटी का घेराव किया। चार साल से नौकरी कर रहे यह शिक्षक आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के सामने ही धरने पर बैठे रहे। अभ्यर्थियों के हाथ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कटआउट था और उस पर लिखा हुआ था कि आप ही नियोक्ता आप ही हमारे संरक्षक ।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। 69 हजार शिक्षक भर्ती के चयनित शिक्षकों ने अपनी नौकरी बचाने के लिए गुरुवार को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) का घेराव किया। अनारक्षित श्रेणी के शिक्षकों की भारी भीड़ और यहां पहले से धरना दे रहे आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के बीच कोई टकराव न हो इसके लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
चार साल से नौकरी कर रहे यह शिक्षक आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के सामने ही धरने पर बैठे रहे। महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा से वार्ता के बाद शाम को शिक्षक वापस लौटे। मांगे रखने के लिए इन्होंने यह एक दिवसीय सांकेतिक प्रदर्शन कर अपनी ताकत दिखाई।
प्रदर्शनकारी अनारक्षित श्रेणी के शिक्षक सुबह नौ बजे से ही एससीईआरटी परिसर में जुटने लगे। बड़ी संख्या में शिक्षकों का हुजूम जुटा और सुबह 11:30 बजे तक पूरा परिसर भर गया। सैंकड़ों की संख्या में पहुंचे शिक्षकों ने नारेबाजी शुरू कर दी।
अभ्यर्थियों के हाथ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कटआउट था और उस पर लिखा हुआ था कि "आप ही नियोक्ता, आप ही हमारे संरक्षक"। यहां पहले से ही आरक्षित श्रेणी के वह अभ्यर्थी नई मेरिट सूची व काउंसिलिंग कार्यक्रम जारी करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। टकराव न हो इसके लिए पुलिस ने रस्सी बांधकर किसी तरह दोनों पक्षों के बीच फासला किया।
अभ्यर्थी सर्वेश प्रताप सिंह ने कहा कि वर्ष 2020 से उनके जैसे हजारों शिक्षक नौकरी कर रहे हैं और अब चार साल बाद अचानक उन्हें हटाने की कोशिश की जा रही है। सरकार से हमारी मांग है कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को नौकरी दे लेकिन हमारी रोजी-रोटी न छीने। चार वर्षों से हम पूरी ईमानदारी से नौकरी कर रहे हैं।
उधर दोपहर करीब 3:30 बजे अनारक्षित श्रेणी के चयनित शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा से कराई गई। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि कार्यरत शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार अपनी नीति स्पष्ट करे, किसी भी शिक्षक की सेवा समाप्त न की जाए और सरकार इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश प्राप्त कर ही आगे की प्रक्रिया आरंभ करे।
फिलहाल महानिदेशक ने उन्हें आश्वासन दिया कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन कराया जाएगा और नई मेरिट सूची तैयार की जाएगी। सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि सभी अभ्यर्थियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। शाम करीब 5:30 बजे एक दिवसीय धरना खत्म कर शिक्षक वापस लौटे तो पुलिस-प्रशासन ने राहत की सांस ली। उधर आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी आगे भी अपना शांतिपूर्ण धरना जारी रखेंगे।
आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों का कहना है कि 19 हजार पदों पर आरक्षण की गड़बड़ी की गई हैं। मालूम हो कि पांच दिसंबर वर्ष 2018 को 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हुआ था। छह जनवरी वर्ष 2019 को लिखित परीक्षा हुई और एक जून वर्ष 2020 को परिणाम घोषित हुआ। उसके बाद से आरक्षण की विसंगतियों को लेकर विरोध शुरू हो गया। बीते 13 अगस्त को हाईकोर्ट ने नई मेरिट सूची बनाने का आदेश दिया।
मामले में सरकार फूंक-फूंककर रख रही कदम
नई मेरिट सूची बनाने के लिए हाईकोर्ट ने तीन महीने का समय सरकार को दिया है जो 13 नवंबर को पूरा होगा। इस संवेदनशील मामले में अब सरकार फूंक-फूंककर कदम रख रही है। आरक्षण से संबंधित आगे कोई विसंगति न हो इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है। वहीं अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों का हित प्रभावित न हो इस पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है। उधर नई मेरिट सूची बनने से चार साल से नौकरी कर रहे तमाम शिक्षक बाहर हो जाएंगे।नौकरी कर रहे तमाम शिक्षकों की वरिष्ठता प्रभावित होगी क्योंकि उनके जिले मेरिट के आधार पर बदल जाएंगे।
फर्जी विज्ञप्ति इंटरनेट मीडिया पर की प्रसारित
आंदोलन के बीच विभिन्न वाट्सएप ग्रुपों पर बेसिक शिक्षा विभाग की एक फर्जी विज्ञापित बनाकर प्रसारित की गई। इसमें ओबीसी व एससी श्रेणी के अभ्यर्थियों को अधिक पदों पर चयनित दिखाया गया है। प्रमुख सचिव,बेसिक शिक्षा एमकेएस सुंदरम ने ऐसे किसी भी पत्र का संज्ञान न लेने की अपील की है।
आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई कैविएट
आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट लगा दी है, ताकि अनारक्षित श्रेणी के शिक्षक वहां अपील करें तो उन्हें भी सुना जाए। अभ्यर्थी अमरेन्द्र पटेल ने बताया कि नई मेरिट सूची तैयार करने की मांग के साथ-साथ हम भी सभी कानूनी पहलुओं को देखकर कदम उठा रहे हैं। क्योंकि यह शिक्षक सुप्रीम कोर्ट जरूर जाएंगे।
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