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Ganja Chococlate: तेलंगाना की 'गांजा चाकलेट' का यूपी से कनेक्शन, दवा कंपनियों के ठिकानों पर छापामारी

मौत का करोबार करने वालों ने युवाओं को निशाना बनाने के लिए नए तरीके खोज लिए हैं। टाफी व चाकलेट में भांग मिलाकर उसकी मीठी गाेलियां युवाओं को परोसी जा रही हैं। तेलंगाना पुलिस ने इस खेल को पकड़ा तो उसका कनेक्शन यूपी से भी निकला। एनसीबी ने कानपुर देहात उन्नाव बहराइच रायबरेली व चंदौली स्थित छह दवा कंपनियों के ठिकानों पर छानबीन की।

By Alok Mishra Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sat, 10 Aug 2024 05:27 PM (IST)
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तेलंगाना की 'गांजा चाकलेट' का यूपी से कनेक्शन - प्रतीकात्मक तस्वीर।

आलोक मिश्र, लखनऊ। नशे का काला कारोबार ''''रंग'''' बदल बदलकर किया जा रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में तस्कर इसके लिए नए-नए फार्मूले भी अपनाते रहते हैं। ऐसे ही तेलंगाना पुलिस के लिए नई चुनौती ''''गांजा चाकलेट'''' की है। टाफी व चाकलेट में भांग मिलाकर उसकी ''''मीठी'''' गाेलियां युवाओं को परोसी जा रही हैं। तेलंगाना पुलिस ने इस खेल को पकड़ा तो उसका एक सिरा उत्तर प्रदेश से भी जुड़ा निकला।

तेलंगाना पुलिस का संदेह भी उप्र की आयुर्वेद कंपनियों के पैकेट देखकर गहराया, जिसकी शिकायत पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) हरकत में आया है। ''''गांजा चाकलेट'''' में भांग मिश्रित आयुर्वेदिक दवाओं का भी उपयोग हो रहा था। अब जांच एजेंसियों के सामने बड़ा सवाल यह है कि तेलंगाना में सप्लाई की जा रही दवाओं में टीएचसी (टेट्रा हाइड्रो कैनाबिनोल) की मात्रा निर्धारित मानक से अधिक है या फिर तस्कर अलग से भी टीएचसी की सप्लाई कर रहे हैं।

एनसीबी ने कानपुर देहात, उन्नाव, बहराइच, रायबरेली व चंदौली स्थित छह दवा कंपनियों के ठिकानों पर छानबीन की। भंडार में मौजूद भांग के नमूने जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजे गए हैं। जिन आयुर्वेद कंपनियों में छापेमारी की गई, उनमें चंदौली की दो फर्म शामिल हैं। तेलंगाना पुलिस ने इन कंपनियों की दवाओं के पैकेट तस्करों के पास से बरामद किए थे।

तेलंगाना पुलिस ने बीते दिनों पांच-छह अलग-अलग केस पकड़े, जिनमें गांजा चाकलेट के नाम पर नशीली गोलियां बेचने वाले पकड़े गए थे। उनके कब्जे से आयुर्वेद दवाओं के पैकेट भी बरामद हुए थे, जिनमें कुछ मात्रा भांंग का मिश्रण होता है। तेलंगाना पुलिस का दावा है कि बरामद गांजा चाकलेट में टीएचसी का प्रतिशत 10 से 20 प्रतिशत तक पाया गया।

एनसीबी के एक अधिकारी के अनुसार आयुर्वेद दवाओं में प्रयोग होने वाली भांग में अधिकतम 0.3 प्रतिशत टीएचसी के उपयोग की अनुमति है। यही वजह है कि दवा कंपनियों की जांच हो रही है। दवा कंपनियों में छानबीन के दौरान खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन विभाग, एक्साइज, स्थानीय पुलिस व अन्य संबंधित विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। लैब रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। टीएचसी का प्रतिशत बढ़ने से नशा होता है।

अधिक मात्रा में उपयोग से हैं कई खतरे

टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (डेल्टा-9) को टीएचसी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक औषधीय यौगिक है, जिसे कैनबिस के नाम से भी जाना जाता है। भांग का उपयोग कई बार लोग खुद को खुश रखने के लिए करते हैं, क्योंकि इसके सेवन से डोपामाइन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि निर्धारित मात्रा से अधिक सेवन करने पर इसके नशे की लत लग जाती है। अधिक सेवन से व्यक्ति के सोचने-समझने की न सिर्फ शक्ति कम होती है, बल्कि शरीर की प्रतिक्रिया भी सुस्त हो जाती है। अधिक मात्रा में सेवन से विशेषकर युवाओं के दिमाग पर गहरा दुष्प्रभाव होता है। कैनबिस में 100 से अधिक कैनाबिनोल होते हैं, जो पौधे की पत्तियाें व फूलों में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। टीएचसी पर सर्वाधिक अध्ययन भी होता है।

दर्द निवारक दवाओं में भी होती है प्रयोग

आयुर्वेदिक दवाओं में भांग का उपयोग मुख्य रूप से दर्द दूर करने, भूख बढ़ाने, उल्टी रोकने, अनिद्रा दूर करने के लिए होता है।

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