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आम के शौकीनों के लिए परेशान करने वाली खबर! बागों में तेजी से फैल रहा है ये खतरनाक कीट, 80 से 90 फीसदी फसल को कर चुका है चट

आम के शौकीनों के लिए बुरी खबर! मलिहाबाद के बागों में जाला कीट (टेंट कैटरपिलर) का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। यह कीट आम की पत्तियों को चट कर रहा है और फसल को नुकसान पहुंचा रहा है। बागवान परेशान हैं और उन्हें भारी नुकसान होने का डर है। जानिए कितना खतरनाक है यह कीट और क्या हैं इसके बचाव के उपाय।

By ashish kumar pandey Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Wed, 13 Nov 2024 05:14 PM (IST)
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आम के पेड़ में लगा जाला कीट । जागरण
आशीष पांडेय, मलिहाबाद (लखनऊ)। फलपट्टी क्षेत्र माल, काकोरी और मलिहाबाद में बदलते मौसम के साथ ही आम की बागों में जाला कीट (टेंट कैटरपिलर) का असर दिखने लगा है। आम की फसल प्रभावित होने की आशंका से बागवान परेशान हैं। पेड़ों पर यह कीट तेजी से फैल रहा है और आम की पत्तियों को चट कर नई फसल की उम्मीद को धूमिल कर रहा है।

जाला आम के पेड़ों को हानि पहुंचाने वाले कीटों में एक प्रमुख कीट बन गया है। इस जाला कीट की (अर्थेगा इवाडुसैलिस वैज्ञानिक नाम) प्रजाति आम को हानि पहुंचाती है। प्रारंभिक अवस्था में यह कीट पत्तियों की ऊपरी सतह को तेजी के साथ चट करता है और उसके बाद पत्तियों को जला कर उसके अंदर छुप जाता है। इस कीट का प्रकोप छायादार तथा घने बागानों में अधिक है, जिनमें पौधों के बीच की दूरी बहुत कम हो उन बागों में भी इस कीट का प्रकोप रहता है।

रहीमाबाद के बागवान दिनेश पांडेय, गोड़वा बरौकी माल निवासी सुभाष मिश्र और मलिहाबाद के बागवान उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि क्षेत्र के बागों में जाला कीट का प्रकोप शुरू हो गया है। कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन इससे भी कोई खास असर नहीं पड़ रहा है। आने वाले दिनों में इसकी वजह से काफी नुकसान झेलना पड़ेगा। आम की पूरी फसल खराब हो जाएगी।

बागवानों का कहना है कि अगर समय रहते ये दूर न हुआ तो कीटनाशक की लागत भी नहीं मिलेगी सर्दियों में देरी के कारण भी इस कीट का प्रभाव देखने को मिल रहा है।

मौसम में बदलाव का असर, ऐसे होगा बचाव

आम पर जाला कीट सितंबर माह से ही प्रारंभ हो जाता है, अक्टूबर और नवंबर तक 80 से 90 प्रतिशत फसल का नुकसान हो जाता है। इस वर्ष मौसम में परिवर्तन रहा है। अधिक समय तक गर्मी रहने से आम पर जाला कीट लगता है। इसको टेंट कैटरपिलर भी कहते हैं। यह मुंख से लार निकाल कर पत्तियों पर पहले जाल बनाता है, फिर चट कर जाता है। इसके प्रकोप से पूरा पौधा पत्ती रहित हो जाता है।

चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि इस कीट को रोकने के लिए बागवान लैम्ब्डा-साइहेलोथ्रिन नामक कीटनाशक की एक मिली मात्रा को एक लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। इसके अलावा पांच फीट हुकदार तार का कांटेनुमा औजार बनाकर जाले को खींच ले और उसके कैटरपिलर को नष्ट करने के लिए दो प्रतिशत क्लोरोपायरीफास का प्रयोग करें।

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