दुनिया में दहशत फैलाने के लिए अातंकी निशाने पर काशी
नईम को अपना ठिकाना बनाने में बनारस की भीड़भाड़ और संकरी गलियां भी काफी मुफीद साबित हुईं। सूत्र बताते हैं कि उसने अपने छुपने के लिए शहर के सर्वाधिक घनी आबादी वाले इलाके को चुना था।
वाराणसी (जेएनएन)। आतंकियों की मंशा जब अपने नापाक इरादों से पूरी दुनिया तक संदेश देने की हो तो भला काशी से महफूज टारगेट और क्या होगा। प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र और दुनिया की सबसे पुरानी नगरी में हर दिन लाखों की भीड़ देसी-विदेशी सैलानियों की होती है। ऐसे में यदि आतंकी किसी घटना को अंजाम देने में कामयाब हो जाते हैं तो पूरी दुनिया तक दहशत का माहौल बनते देर नहीं लगती।
शायद ऐसे ही किसी नापाक इरादों के साथ आतंकी नईम बनारस में डेरा डाले हुए था। उसके पास से छावनी और पावर प्लांट के मिले वीडियो फुटेज इस बात के गवाह हैं कि काफी कुछ वह अपने मंसूबे से जुड़ी रेकी को पूरा कर चुका था। अब यह जांच का विषय है कि छावनी की फुटेज कहां की है और पावर प्लांट कहीं सोनभद्र और मध्य प्रदेश से तो नहीं जुड़े हैं।
नईम को अपना ठिकाना बनाने में बनारस की भीड़भाड़ और संकरी गलियां भी काफी मुफीद साबित हुईं। सूत्र बताते हैं कि उसने अपने छुपने के लिए शहर के सर्वाधिक घनी आबादी वाले इलाके को चुना था। नईम बनारस में कितने दिनों से छुपा था यह तो एनआइए की पूछताछ में ही पता चलेगा लेकिन यह तय है कि हाइ प्रोफाइल शहर में आतंकी का पाया जाना समूचे खुफिया और सुरक्षा तंत्र पर सवाल उठाता है।
पांच हमलों से दहल चुकी है काशी
-23 फरवरी 2005 में दशाश्वमेध घाट पर विस्फोट, 7 लोग मरे, आधा दर्जन जख्मी, आतंकी पकड़े नहीं गए। विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग।
-7 मार्च 2006-वाराणसी के संकटमोचन मंदिर व कैंट रेलवे स्टेशन पर विस्फोट, 17 लोगों की मौत, 100 घायल। वलीउल्लाह पर चल रहा मुकदमा।
-23 नवंबर 2007- कचहरी में बम ब्लास्ट, नौ लोगों की मौत, 42 घायल।
- 7 दिसंबर 2011- शीतला घाट पर विस्फोट, एक बच्ची की मौत, दो दर्जन जख्मी। कोई कार्रवाई नहीं।
-29 जुलाई 2005 में जौनपुर में श्रमजीवी एक्सप्रेस में बम विस्फोट। दस लोगों की मौत। तीन आतंकियों पर चल रहा मुकदमा।