UP Tourism: सिंहली, कोरियन और जैपनीज भाषा में पर्यटकों को बौद्ध सर्किट के बारे में पूरी जानकारी देगी द पाथ
यूपी सरकार ने प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब बुद्ध सर्किट का साहित्य अब कोरिया श्रीलंका व जापान के पर्यटकों को उन्हीं की भाषा में प्रदान किया जायेगा। जिससे विदेशी पर्यटकों को बुद्ध सर्किट आने पर किसी तरह की कोई समस्या न हो।
By Prabhapunj MishraEdited By: Updated: Sun, 21 Aug 2022 12:55 PM (IST)
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। UP Tourism कोरिया, श्रीलंका व जापान के पर्यटकों को अब उन्हीं की भाषा में बौद्ध सर्किट के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की जायेगी। कोरियन, सिंहली व जैपनीज भाषा में बौद्ध स्थलों से जुड़ी पुस्तक द पाथ का अनुवाद हो चुका है।
यूपी सरकार विदेशी पर्यटन को देगी बढ़ावा
- पुस्तक में प्राचीन बौद्ध स्थलों की पूरी जानकारी व इतिहास होगा। दुनिया को शांति व अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले गौतम बुद्ध ने उत्तर प्रदेश के सारनाथ में ही धर्मचक्र प्रवर्तन का पहला उपदेश दिया था।
- इसके अलावा कुशीनगर में भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली भी है। योगी सरकार भगवान बुद्ध से जुड़े पवित्र स्थलों को संवारने-संजोने पर विशेष जोर दे रही है।
- इस कड़ी में सरकार ने एक कदम और बढ़ाते हुए बौद्ध सर्किट से जुड़े साहित्य का तीन भाषाओं में अनुवाद कराया है। उप्र पर्यटन व संस्कृति विभाग के महानिदेशक मुकेश मेश्राम का कहना है कि द पाथ पुस्तक हिंदी व अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध थी।
- श्रीलंका, जापान व कोरिया से काफी बड़ी संख्या में पर्यटक उत्तर प्रदेश आते हैं। इन देशों से आने वाले पर्यटकों को उनकी भाषा में सही व पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए पुस्तक का तीन अन्य भाषाओं में अनुवाद कराया गया है। इन देशों से आने वाले पर्यटकों को पुस्तक भेंट स्वरूप प्रदान की जायेगी। सरकार ने बीते पांच वर्षों मेंं बौद्ध सर्किट के विकास व सौंदर्यीकरण पर विशेष जोर दिया है।
- जिनमें बौद्ध सर्किट के के-3 (कपिलवस्तु, कौशाम्बी और कुशीनगर) तथा एस-3 (सारनाथ, श्रावस्ती और संकिसा) स्थल शामिल हैं। इन स्थलों की पहचान वैश्विक पर्यटन स्थल के तौर पर हुई है आैर यहां पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है।
ओडीओपी से जुड़े उत्पादों की होंगी अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडिंग
पुस्तक में एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) के छह उत्पादों की खूबियों के बारे में भी पूरी जानकारी दी गई है। इनमें सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल, वाराणसी की सिल्क साड़ी, श्रावस्ती का जनजातीय शिल्प, फर्रूखाबाद की ब्लाक प्रिंटिंग, कुशीनगर का केला फाइबर उत्पाद व कौशाम्बी का खाद्य प्रसंस्करण (केला) उत्पाद शामिल हैं। पुस्तक में इन उत्पादों के बारे में सिंहली, कोरियन और जैपनीज भाषा में जानकारी मिलेगी। इसके जरिये सरकार ओडीओपी से जुड़े उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडिंग करेगी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।