Parenting Child Service Scheme: लखनऊ के 260 बच्चों से छूटा माता-पिता का साया तो सरकार बनी सहारा
कोरोना के कहर से सैकड़ों घर तबाह हो गए। किसी बच्चे के सिर से उसके पिता का साया हमेशा के लिए चला गया तो किसी ने मां-बाप को कोरोना संक्रमण के कारण खो दिया। राजधानी के ऐसे 260 बच्चों का पालन-पोषण बाल सेवा योजना के तहत यूपी सरकार करेगी।
By Vikas MishraEdited By: Updated: Fri, 23 Jul 2021 11:57 AM (IST)
लखनऊ, जागरण संवाददाता। कोरोना के कहर से सैकड़ों घर तबाह हो गए। किसी बच्चे के सिर से उसके पिता का साया हमेशा के लिए चला गया तो किसी ने अपने मां और बाप दोनों को कोरोना संक्रमण के कारण खो दिया। राजधानी के ऐसे 260 बच्चों का पालन-पोषण बाल सेवा योजना के तहत यूपी सरकार करेगी। कोविड काल में जो बच्चे अनाथ हुुए या जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु हो गई, उनको इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। बाल सेवा योजना के नोडल अधिकारी अपर जिलाधिकारी पूर्वी केपी सिंह का कहना है कि अब तक राजधानी में जितने भी आवेदन आए थे, सभी को स्वीकृति दी गई है। अभी तक सभी ब'चे अपने घरों में ही रह रहे हैं।
इन्हें मिलेगा लाभ
- 18 वर्ष से कम आयु के ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता का निधन हो गया हो अथवा माता-पिता मे से किसी एक की मृत्यु हुई हो।
- ऐसे बच्चों को चार हजार प्रति बच्चा प्रति माह दिया जाएगा।
- जिन बच्चों को आश्रय की जरूरत है, उन्हेंं महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित गृहों में प्रवेशित कराया जाएगा।
- नौवीं कक्षा या उससे ऊपर की कक्षाओं मे अध्ययनरत बच्चों को टैबलेट या लैपटॉप उपलब्ध कराया जाएगा।
- 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुकी कन्याओं को विवाह के अवसर पर 1,01,000 की आॢथक सहायता दी जाएगी।
- बच्चों के बालिग होने तक उनके संपत्ति का संरक्षक जिला मजिस्ट्रेट होंगे।
- बच्चों की मदद के लिए पूर्व से 1098 चाइल्ड लाइन, 181 महिला हेल्पलाइन संचालित है।
- कुल स्वीकृत आवेदन 260
- कुल बालक 130
- बालिका 130
- कितने ब'चे अनाथ 17
- बच्चे एकल माता या पिता के हैं 243
अनाथ बच्चाें के भविष्य को सुधारने की पहल सराहनीयः राजाजीपुरम निवासी स्नेहा के भाई और भाभी का कोरोना से निधन हो गया। छह साल की बेटी और 13 साल के बेटे के ऊपर से माता-पिता का साया उठा तो उनको संभालने की चुनौती भी हमारे सामने थी। परिवार के लोगों के सहारे बच्चों को संभलने की जिद्दोजहद के बीच सरकार ने चार हजार रुपये महीने की आर्थिक मदद करके उनके भविष्य को संवारने का कार्य किया है। उन्होंने बताया कि 11 अप्रैल को भाभी और 16 अप्रैल को भाई का निधन हो गया। उनका कहना है कि अब इनके भविष्य को सुधारने के लिए हम सब काम करेंगे। राजाजीपुरम के एक निजी स्कूल में इन्हें प्रवेश दिलाया है।माता-पिता का स्थान तो नहीं भरा जा सकता, लेकिन सहारा जरूर बनूंगी।
डूबते तिनके को मिला सहाराः पीएसी में नौकरी कर रहे राजेंद्र तिवारी ने बताया कि साढ़ू का 27 अप्रैल को डालीगंज के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था। आर्थिक विपन्नता के बावजूद ढाई लाख रुपये खर्च किए गए लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी। नौकरी करने वाले साढू का निधन हो गया और उनकी पत्नी गृहणी हैं। कक्षा नौ व कक्षा आठ में दो बच्चे पढ़ते हैं। सरकार ने चार-चार हजार की मदद कर डबूते काे बड़ा सहारा दिया है। बाल एवं महिला कल्याण राज्यमंत्री स्वाति सिंह से मिलकर उन्हें नौकरी के लिए प्रार्थना पत्र दिया है। मृतक की पत्नी स्नातक है, कोई नौकरी मिल जाएगी तो उन्हें काफी सहारा मिल जाएगा। निजी स्कूल में बच्चे पढ़ते हैं, सरकार के प्रयास से राहत मिलेगी। स्कूलों पर सरकार शिकंजा कसे तो उन्हें राहत मिल जाएगी। सरकार ने लखनऊ के ऐसे 260 बच्चों को चार-चार हजार महीने का मद करके उनके भविष्य को सुधारने की पहल की है।
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