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Shree Ram Mandir: राम मंदिर की नींव में बिछाई जाएगी ग्रेनाइट की दो फीट मोटी तीन परतें, जलस्राव से होगा पुख्ता बचाव

मंदिर की आधारभूमि मुख्यतया चुनार के लाल पत्थर से निर्मित होनी है किंतु लाल पत्थर पानी अवशोषित करने वाले माने जाते हैं और ऐसे में आधारभूमि के नीचे की नींव को पानी के स्राव से पूरी तरह बचाने के लिए ग्रेनाइट की दो-दो फीट मोटी तीन परत बिछाई जाएगी।

By Rafiya NazEdited By: Updated: Mon, 12 Jul 2021 05:10 PM (IST)
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राम मंदिर की नींव को ग्रेनाइट से संरक्षित किया जाएगा।

अयोध्या [रमाशरण अवस्थी]। राम मंदिर की आधारभूमि ग्रेनाइट से संरक्षित होगी। मंदिर की आधारभूमि को ग्रेनाइट से आच्छादित करने का मकसद मंदिर की नींव को पानी से बचाना है। मंदिर की आधारभूमि मुख्यतया चुनार के लाल पत्थर से निर्मित होनी है, किंतु लाल पत्थर पानी अवशोषित करने वाले माने जाते हैं और ऐसे में आधारभूमि के नीचे की नींव को पानी के स्राव से पूरी तरह बचाने के लिए ग्रेनाइट की दो-दो फीट मोटी तीन परत बिछाई जाएगी। इसी के साथ ही मंदिर की आधारभूमि से लेकर नींव की मजबूती का पुख्ता प्रबंध परिभाषित हो रहा है।

चार सौ गुणे तीन सौ वर्ग फीट के भू क्षेत्र को 40 फीट की गहराई तक खनन कर पत्थर की मोटी गिट्टी, सीमेंट और कोयले की राख के मजबूत मिश्रण से उसे भरा जा रहा है। नींव की भराई पूर्ण वैज्ञानिक आधार पर की जा रही है और उसे परत दर परत जमाया जा रहा है। नींव की प्रत्येक परत एक फीट मोटी बिछाई जा रही है। इसके बाद उस पर बेहद वजनी रोलर से प्रेशर दिया जाता है और एक फीट की परत जब दब कर 10 इंच की रह जाती है, तब अगली परत का निर्माण शुरू होता है। नींव में ऐसी 44 से 45 परत बिछाई जानी है। अब तक 18 परत का निर्माण हो चुका है और रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट नींव की भराई के साथ आगे नींव के ऊपर पुख्ता नींव की ही तरह पुख्ता आधारभूमि निर्मित कराने की तैयारी भी शुरू कर चुका है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के अनुसार कार्यदायी संस्था एल एंडटी सहित टाटा कंसल्टेंसी इंजीनियर्स के अलावा कई अन्य दिग्गज विशेषज्ञों के सुझाव से नींव की भराई के बाद कंक्रीट की दो मीटर ऊंची परत बिछाई जाएगी और इसी परत पर ग्रेनाइट की दो फीट मोटी तीन परतें बिछेंगी, ताकि नींव में रंचमात्र भी पानी रिसने की आशंका को समाप्त किया जा सके। ग्रेनाइट बिछाए जाने के बाद चुनार के लाल पत्थर की कई परतों के साथ राममंदिर की करीब 20 फीट ऊंची आधारभूमि तैयार होगी और उस तक पहुंचने के लिए आकर्षक सोपान होंगे। इसी आधार भूमि पर तय मानचित्र के अनुरूप भव्य मंदिर का निर्माण होना है।

ललितपुर या बेल्लारी से लाया जाएगा ग्रेनाइट: आधारभूमि की ग्रेनाइट मंगवाने के लिए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट दो विकल्पों पर विचार कर रहा है। आसान विकल्प यह है कि उत्तर प्रदेश में ही स्थित ललितपुर की खदानों से ग्रेनाइट मंगवाया जाय। हालांकि ललितपुर की ग्रेनाइट के मुकाबले कर्नाटक स्थित बेल्लारी की खदान से प्राप्त ग्रेनाइट कहीं अधिक गुणवत्ता वाला माना जाता है और यदि मंदिर निर्माण के अन्य आयाम की तरह इस मामले में भी गुणवत्ता को वरीयता दी गई, तो बेल्लारी से ग्रेनाइट मंगाया जाना तय माना जा रहा है।

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