'ढोल-नगाड़े बजाओ और मवेशियों को लेकर डीएम दफ्तरों पर करो प्रदर्शन', प्रियंका ने कार्यकर्ताओं में भरा जोश
कांग्रेसियों का प्रशिक्षण खत्म पार्टी नेताओं ने कहा जेल जाने से डरने वाले छोड़ दें जिलाध्यक्ष पद। विधायक व सांसदों के घरों पर भी आंदोलन करने की दी गई सीख।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Fri, 24 Jan 2020 08:24 AM (IST)
रायबरेली, (रसिक द्विवेदी)। कांग्रेस अब आरपार की लड़ाई को तैयार है। लक्ष्य उसके सामने 2022 है। इसी खातिर झिझक छोड़कर मैदान में टूट पडऩे का प्रशिक्षण दिया गया है। रायबरेली के भुएमऊ गेस्ट हाउस में चार दिन तक चली कार्यशाला के अंतिम दिन सीधे-सीधे शब्दों में नेताओं से कह दिया गया कि अब पर्दे के पीछे से नेतागीरी नहीं होगी। फ्रंट पर डटना होगा। जो जेल जाने से डरता हो वह पहले ही मैदान छोड़ दे।
कांग्रेस का यह बहुप्रतीक्षित प्रशिक्षण गुरुवार को पूरा हो गया। अंतिम सत्र बुधवार की रात्रि में हुआ, जिसमें प्रियंका वाड्रा ने 20 मिनट तक अपनी बात कही। सूत्र कहते हैं कि प्रियंका ने जिला और शहर अध्यक्षों से मुखातिब हो कहा, 'आठ सौ लोगों में से हमने आप को चुना है। अब तक साढ़े चार सौ लोगों की कमेटी बनती थी, जिसमें पदाधिकारियों के वही चेहरे हर जगह दिखाई पड़ते थे। नए लोग जुड़ते नजर नहीं आते थे। इस बार जो जिम्मेदारी मिली है, वो निभानी होगी।' प्रियंका ने कहा, 'जब पहली बार वे लखनऊ आई थीं तो उनसे बहुत लोगों ने शिकायतें की थीं...कहा था कि पार्टी नेता शीर्ष नेताओं से मिलने नहीं देते। नया संगठन इस बाधा को खत्म कर दे। शिकायतें न आएं।'
मंच पर प्रियंका थीं और सामने पार्टी के पदाधिकारी। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पूरे रौ में आ गए। उन्होंने संघर्ष करने के अंदाज बताए। कहा कि जिलाध्यक्ष ढोल-नगाड़े बजवाकर विधायकों और सांसदों के घर पर प्रदर्शन करें, ज्ञापन सौंपें। वे यहीं नहीं रुके। कहा, बेसहारा जानवरों की समस्या से सब जूझ रहे हैं। किसान त्रस्त हैं। ऐसे में कांग्रेस के नेता बेसहारा जानवरों को लेकर जिलाधिकारियों के दफ्तरों में पहुंचें और धरना-प्रदर्शन करें। इसी बात को संदीप सिंह ने भी हवा दी। कुछ पार्टी नेताओं ने प्रदर्शन के इस तेवर पर बात करनी चाही। कहा भी कि कैसे मवेशियों को सरकारी दफ्तरों तक लेकर जाएं। कहीं कोई बात हो जाए तब क्या होगा। तो जवाब आया- जो डर गया वो मर गया।
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