Transfer News : अब तबादले के बाद किया इन्कार तो खत्म होगी नौकरी, 15 दिन के अंदर नहीं लिया फैसला तो...
ऐसे संविदा कर्मचारी जो चार वर्ष की नौकरी पूरी कर चुके हैं सिर्फ वही स्थानांतरण के पात्र होंगे। ऐसे संविदा कर्मी जिनका पहले स्थानांतरण हो चुका है या फिर जिनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है वह इसके पात्र नहीं होंगे। वहीं आउटसोर्सिंग पर कार्यरत कर्मचारी और डाक्टर व विशेषज्ञ भी इसके लिए पात्र नहीं होंगे। आनलाइन आवेदन फार्म एनएचएम की वेबसाइट https//upnrhm.gov.in पर उपलब्ध कराया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), उत्तर प्रदेश के कर्मचारी पारस्परिक स्थानांतरण के लिए पांच नवंबर से लेकर 30 नवंबर तक आनलाइन आवेदन कर सकेंगे। एक जिले से दूसरे जिले के लिए कर्मचारी आपसी सहमति के आधार पर आवेदन फार्म भरेंगे। अगर तबादले के बाद स्थानांतरित जिले में 15 दिनों के भीतर कर्मचारी कार्यभार नहीं संभालेगा तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। कर्मचारी की संविदा खत्म कर दी जाएगी।
एनएचएम में करीब एक लाख संविदा कर्मचारी
एनएचएम, उप्र की मिशन निदेशक डा. पिंकी जोवल की ओर से पारस्परिक स्थानांतरण से संबंधित आदेश जारी कर दिए गए हैं। एनएचएम में करीब एक लाख संविदा कर्मचारी हैं। कर्मचारियों को अपने गृह जनपद या फिर उसके पास के जिले में तैनाती का अवसर मिल जाएगा।
यह नहीं माने जाएंगे मात्र
ऐसे संविदा कर्मचारी जो चार वर्ष की नौकरी पूरी कर चुके हैं सिर्फ वही स्थानांतरण के पात्र होंगे। ऐसे संविदा कर्मी जिनका पहले स्थानांतरण हो चुका है या फिर जिनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है, वह इसके पात्र नहीं होंगे। वहीं आउटसोर्सिंग पर कार्यरत कर्मचारी और डाक्टर व विशेषज्ञ भी इसके लिए पात्र नहीं होंगे। आनलाइन आवेदन फार्म एनएचएम की वेबसाइट https://upnrhm.gov.in पर उपलब्ध कराया जाएगा।
जल्द आनलाइन आवेदन से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। पारस्परिक तबादले के लिए आनलाइन प्रक्रिया अपनाकर उसे पारदर्शी बनाने का प्रयास किया गया है। सभी कर्मचारियों को बराबर अवसर मिले इसके लिए ठोस व्यवस्था की जा रही है।
डायट प्रवक्ताओं के लिए तैयार होगा शोध माड्यूल
लखनऊ : सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के प्रवक्ताओं के लिए समन्वित शोध माड्यूल तैयार किया जाएगा। विशेषज्ञों व यूनिसेफ की मदद से तैयार किए जाने वाला यह शोध माड्यूल उनके लिए मार्गदर्शिका का कार्य करेगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर से इसके लिए तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर से विशेषज्ञ शामिल हुए।
पहले चरण में जिन 15 जिलों के डायट को सेंटर आफ एक्सीलेंस बनाया गया है उनके प्रवक्ताओं को शोध के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। राजधानी में यूनीसेफ के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में एससीईआरटी के संयुक्त निदेशक डा. पवन कुमार ने कहा कि गुणवत्तापरक शोध के जरिए ही हम बेहतर शिक्षा की व्यवस्था कर सकते हैं। इन शोध की मदद से ही शिक्षा की भी गुणवत्ता में सुधार होगा।
ऐसे में शोध उच्च कोटि का हो और उसे अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित कराने की कोशिश की जाए। कार्यक्रम में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय बड़ौदा के शिक्षा एवं मनोविज्ञान संकाय के डीन प्रो. आशुतोष बिस्वाल ने शोध रिपोर्ट तैयार करने में प्रशिक्षुओं का मार्गदर्शन किया।
यूनिसेफ के शिक्षाधिकारी रवि राज दयाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम में जिन 15 डायट के प्रवक्ता शामिल हुए उनमें आगरा, अलीगढ़, बाराबंकी, बरेली, गाजीपुर, गोरखपुर, जौनपुर, कानपुर देहात, कुशीनगर, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, प्रयागराज, रामपुर व वाराणसी शामिल हैं।