फर्जी बस टिकट मामले में 65 कर्मियों पर कार्रवाई, 14 अफसर निलंबित-51 कर्मी बर्खास्त
अलीगढ़ और मथुरा प्रकरण पर निगम प्रबंधन की बड़ी कार्रवाई। पिछले दस साल से रोडवेज बसों को कब्जा कर फर्जी टिकट के सहारे यात्रियों को करा रहे थे सफर।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Thu, 04 Oct 2018 07:36 AM (IST)
लखनऊ(जेएनएन)।अलीगढ़ और आगरा क्षेत्र में परिवहन निगम की बसों को कब्जा कर फर्जी टिकटों पर यात्रा करवाए जाने के मामले में परिवहन निगम प्रबंधन ने 65 कर्मियों पर सख्त कार्रवाई कर दी है। यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक पी. गुरुप्रसाद ने दो रीजन अलीगढ़ और आगरा के क्षेत्रीय प्रबंधकों, तीन एआरएम, छह यातायात अधीक्षकों और तीन नियमित कर्मियों यानी कुल 14 को निलंबित कर दिया है। वहीं, 51 संविदा कर्मियों को नौकरी से बर्खास्त किया गया है। अपर प्रबंध निदेशक डॉ. बीडीआर तिवारी की अध्यक्षता में बनाई गई पांच अफसरों की कमेटी ने प्रबंध निदेशक को सौंपी। इस मामले में परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने रोडवेज के एमडी पी. गुरुप्रसाद से चौबीस घंटे में कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।
दो रीजन अलीगढ़ के आरएम अतुल त्रिपाठी एवं आगरा के क्षेत्रीय प्रबंधक पीएस मिश्रा को निलंबित किया गया है। तीन सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों में मथुरा डिपो के एआरएम अक्षय कुमार, हाथरस डिपो के गोपाल स्वरुप शर्मा और बुद्ध विहार डिपो अलीगढ़ के योगेंद्र प्रताप सिंह पर निलंबन की गाज गिरी है। वहीं, आधा दर्जन यातायात अधीक्षक भी कार्रवाई की जद में आए हैं। इनमें अलीगढ़ क्षेत्र के आयुष भटनागर, हेमंत मिश्रा, चक्कर, लक्ष्मण सिंह और आगरा रीजन के अशोक सागर एवं आरसी यादव को निलंबित किया गया है। इनमें तीन नियमित कर्मियों पर कार्रवाई की गई है। एक बुकिंग क्लर्क मेघ सिंह, परिचालक देवेंद्र सिंह और मनोज सिंह को भी निलंबित किया गया है।
यह है पूरा मामला
एक दशक से रोडवेज अफसरों की मिलीभगत से अलीगढ़ और आगरा डिपो की 40 से 50 रोडवेज बसों पर स्थानीय माफिया कब्जा कर अवैध तरीके से उन्हें चलवा रहे थे। यात्री के बोलने पर उन्हें बाउंसर से पिटवाया जाता था। इसकी सूचना मुख्यालय पहुंची तो प्रबंध निदेशक ने एक टीम बनाकर इसकी गोपनीय जानकारी हासिल करने को कहा। जांच में जब दबंगई सामने आई तो बड़े अधिकारियों ने मसले को एसटीएफ को रेफर कर दिया। एसटीएफ की टीम ने बीते दो से तीन माह से रेकी कर बीती 21 अगस्त को कार्रवाई शुरू की तो एसटीएफ की टीम पर ही दबंगों ने हमला बोल दिया। इसमें कई कर्मियों को चोटें आईं थीं। एसटीएफ ने 11 लोगों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेज दिया था। एसटीएफ ने एक फौरी रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को दे दी थी। वहीं, रिकार्डिंग समेत अन्य बिंदुओं को खंगालने के बाद पूरी रिपोर्ट शासन को सौंपने को कहा गया था।
एक दशक से रोडवेज अफसरों की मिलीभगत से अलीगढ़ और आगरा डिपो की 40 से 50 रोडवेज बसों पर स्थानीय माफिया कब्जा कर अवैध तरीके से उन्हें चलवा रहे थे। यात्री के बोलने पर उन्हें बाउंसर से पिटवाया जाता था। इसकी सूचना मुख्यालय पहुंची तो प्रबंध निदेशक ने एक टीम बनाकर इसकी गोपनीय जानकारी हासिल करने को कहा। जांच में जब दबंगई सामने आई तो बड़े अधिकारियों ने मसले को एसटीएफ को रेफर कर दिया। एसटीएफ की टीम ने बीते दो से तीन माह से रेकी कर बीती 21 अगस्त को कार्रवाई शुरू की तो एसटीएफ की टीम पर ही दबंगों ने हमला बोल दिया। इसमें कई कर्मियों को चोटें आईं थीं। एसटीएफ ने 11 लोगों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेज दिया था। एसटीएफ ने एक फौरी रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को दे दी थी। वहीं, रिकार्डिंग समेत अन्य बिंदुओं को खंगालने के बाद पूरी रिपोर्ट शासन को सौंपने को कहा गया था।
उधर, प्रबंध निदेशक ने पांच अधिकारियों की एक टीम बना अलग से जांच कराई। इसका अध्यक्ष अपर प्रबंध निदेशक डॉ. बीडीआर तिवारी एवं मुख्य प्रधान प्रबंधक प्रशासन कर्मेंद्र सिंह, वित्त नियंत्रक स्मृति लाल यादव, नोडल अधिकारी आगरा विद्यांशु कृष्ण एवं अलीगढ़ आशीष चटर्जी को समेत पांच नोडल अफसरों को जांच का जिम्मा सौंपा गया। यह सूची एमडी के पास पहुंची। परिवहन मंत्री ने इस पर चौबीस घंटे में कार्रवाई के निर्देश दिए। एमडी ने जांच रिपोर्ट देखने के बाद तत्काल कार्रवाई करते हुए बुधवार को आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं एसटीएफ की पूरी जांच रिपोर्ट शासन को जल्द उपलब्ध कराई जाने वाली है। मामला हाथरस-आगरा-अलीगढ़-मथुरा रूट का है।
क्या कहते हैं अफसर?
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रबंध निदेशक पी. गुरुप्रसाद का कहना है कि रोडवेज बसों को पिछले दस वर्षों से कब्जा कर चला रहे 65 कर्मचारियों पर कार्रवाई कर दी गई है। इसमें से 14 का निलंबन और 51 की बर्खास्तगी की गई है।
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