Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

उत्तर प्रदेश नाट्य भारती का संगीत नाटक अकादमी तक का सफर

लोक एवं शास्त्रीय संगीत नृत्य और लोकनाट्य आदि परंपराओं के प्रचार प्रसार के लिए 13 नवंबर 1963 को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की स्थापना हुई थी। शुक्रवार को अकादमी स्थापना दिवस पर अपने 57 साल के सफर को याद करेगी।

By Anurag GuptaEdited By: Updated: Wed, 11 Nov 2020 05:57 PM (IST)
Hero Image
13 नवंबर 1963 को प्रदेश सरकार ने नाट्य भारती की शुरुआत की थी अब संगीत नाटक अकादमी बन चुका है।

लखनऊ, जेएनएन। लोक एवं शास्त्रीय संगीत, नृत्य और लोकनाट्य आदि परंपराओं के प्रचार प्रसार के लिए 13 नवंबर 1963 को उप्र संगीत नाटक अकादमी की स्थापना हुई थी। शुक्रवार को अकादमी स्थापना दिवस पर अपने 57 साल के सफर को याद करेगी। शुरुआत में प्रदेश सरकार ने इसे उप्र नाट्य भारती के नाम से स्थापित किया था, दो सितंबर 1969 को इसे उप्र संगीत नाटक अकादमी नाम दिया गया। 1972 में संस्थापक निदेशक पंडित बैजनाथ मिश्र उर्फ लच्छू महाराज के प्रयासों से यहां कथक केंद्र की स्थापना हुई। यहां कथक में जूनियर और सीनियर डिप्लोमा की कक्षाएं चलती हैं। अकादमी का अपना पुस्तकालय भी है, जहां संगीत की किताबों का अनूठा खजाना है। अभिलेखागार में मूर्धन्य कलाकारों की दुर्लभ रिकॉर्डिंग भी है। स्टूडियो और प्रकाशन का काम भी अकादमी की ओर से हो रहा। वहीं, अकादमी प्रत्येक वर्ष कला व साहित्य में उल्लेखनीय काम करने वालों को सम्मानित करती है। सम्मानित होने वाले को प्रतीक चिह्न, शॉल और दस हजार रुपये दिए जाते हैं।

अकादमी के कथक केंद्र से निकले नामी गुरु

लच्छू महाराज ने अकादमी के कथक केंद्र में कथक की नई पीढ़ी तैयार की, जिसने लखनवी कथक को विश्व प्रसिद्ध किया। जे विक्रम सिंघे, पद्मश्री दमयंती जोशी, कपिला राज, सुरेंद्र सैकिया और पंडित अर्जुन मिश्र जैसे तमाम कलाकार कथक केंद्र से ही निकले।

कोरोना काल में बदला कलेवर

कोरेाना काल में जब अधिकतर गतिविधियां ऑनलाइन मंच पर हो रहीं, तो अकादमी ने भी अपना कलेवर बदला। बदलाव के साथ कदम मिलाते हुए अकादमी ने वेबसाइट के बाद अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया। एसएनए की इस वर्चुअल दुनिया में कार्यक्रमों के प्रसारण के साथ ही अकादमी के अभिलेखागार से रिकॉर्डिंग को यूट्यूब चैनल के जरिए साझा किया जा रहा। वहीं, वाल्मीकि रंगशाला में भी आयोजनों की रौनक लौटने लगी है, पर संग गाडगे सभागार में कभी कार्यक्रम होने का इंतजार है।

18 को होगा आयोजन

उप्र संगीत नाटक अकादमी के सचिव तरुण राज ने बताया कि स्थापना दिवस पर आयोजन 18 नवंबर को होगा। इसमें हाल ही में अकादमी द्वारा आयोजित प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही कथक कार्यक्रम भी होगा। अकादमी समय के साथ कदमताल कर रही है। टेक्नोलॉजी के सहयोग से हम अपनी सांगीतिक विरासत को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं।