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कोशिश करिए कि सजा न हो… पेशी से पहले दोषियों ने की हंसकर बात, नहीं था कोई पछतावा

लखनऊ में अवैध मतांतरण मामले में दोषी ठहराए गए 16 लोगों को कोर्ट में पेश किया गया। दोषियों के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी और वे अपने रिश्तेदारों से बात करते हुए हंस-हंसकर सांकेतिक भाषा में बातें कर रहे थे। उनके घर वाले और रिश्तेदार परेशान थे लेकिन दोषियों को सजा की चिंता नहीं थी। वे अपने वकीलों से सजा न होने की उम्मीद कर रहे थे।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Wed, 11 Sep 2024 08:39 PM (IST)
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लखनऊ: बुधवार को एटीएस एनआइए कोर्ट में पेशी के लिए लाए गए मत्तांतरण के दोषी। जागरण
जागरण संवाददाता, लखनऊ। मतांतरण कराने वालों के चेहरे पर न शिकन थी, न कोई पछतावा। कैसरबाग स्थित कोर्ट परिसर में बुधवार दोपहर 12:15 बजे के आसपास कोर्ट बस से अदालत में पेश होने के लिए सभी 16 दोषियों को लाया गया था। पहले गिनती हुई और फिर एक-एक को कोर्ट बस से उतारा गया। 

यहां पहले से खड़ी महिला रिश्तेदार व पुरुषों ने हालचाल लेना शुरू कर दिया। कोई कंधे पर हाथ रखकर शाबाशी दे रहा था तो कोई गले लगाकर सांत्वना। इस दौरान दोषी राहुल भोला से मिलने के लिए एक लड़की व महिला भी आई हुई थी, यह सुबह से इंतजार कर रही थी। दोनों से यह सांकेतिक भाषा में बात करता रहा। 

इसके अलावा, आधा दर्जन लोग पुलिस वालों के सामने इससे मिले और वह हंस-हंसकर सांकेतिक भाषा में बात करता रहा। उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। यही हाल मो. सलीम का था। एक कोर्ट रूम जाने से पहले इसने अपने रिश्तेदार से जेल में टी शर्ट, पायजामा व अन्य सामान मंगवाए। रिश्तेदार ने भी पूरे विश्वास से कहा कि सब पहुंच जाएगा जल्द ही। 

एटीएस एनआईए कोर्ट में जाने से पहले कौसर आलम, डॉ. फराज बाबुल्लाह शाह, प्रसाद रामेश्वर उर्फ आदम, उमर, भूप्रिय बन्दो उर्फ अरसलान मुस्तफा ने भी पहले से कोर्ट के बाहर खड़े लोगों से बतियाते रहे। इनमें दोषियों के चेहरे पर सुकून था, लेकिन इनके घर वाले व रिश्तेदार परेशान थे। 

सांत्वना दे रहे थे- सजा ज्यादा नहीं होगी 

वहीं, मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान ने कोर्ट के बाहर खड़े दो लोगों से बात की, इसके बाद कोर्ट रूम में चले गए। सलाउद्दीन जैनुद्दी शेख, मुन्ना यादव उर्फ अब्दुल मनान, मो. सलीम, कुणाल अशोक चौधरी उर्फ आतिफ ने अपने वकीलों से कहा कि प्रयास करिएगा कि सजा न हो, वकील भी कंधे पर हाथ रखकर कोर्ट रूम में चले गए। दोषियों में मो. इदरीश कुरैशी, धीरज गोविंद राव जगताप, सरफराज अली जाफरी और अब्दुल्ला उमर शांत रहे।

सांकेतिक भाषा से दिव्यांगों में बनाता था पैठ

राहुल भोला सांकेतिक भाषा में दिव्यांग जन से मित्रता करता था। फिर उनका विश्वास हासिल करके उनका ब्रेन वॉश करने का काम करता था। भोला का प्रयास होता था कि मतांतरण के बाद लोग अपने मूल धर्म में वापस न जाए। इसके लिए वह संबंधित व्यक्ति के दिलो दिमाग में जहर भरने का काम करता था। 

इसके अलावा, यह सभी दोषी गरीबों को विशेष रूप से मतांतरण करवाते थे। पैसों की जरूरत जिन्हें होती थी, उनमें अपनत्व की भावना पैदा करते थे और फिर जरूरत के हिसाब से उसको धन भी उपलब्ध कराते थे। धीमे-धीमे जरूरतमंद को दिमागी तौर पर तैयार कर लेते थे कि उसे मतांतरण करना है।

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