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उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग का यू-टर्न, कम बच्चों वाले स्कूलों के विलय का जारी किया था निर्देश… विरोध के बाद लिया वापस

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग ने 50 या उससे कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद करने और उन्हें अन्य स्कूलों में विलय करने के प्रस्ताव को फिलहाल स्थगित कर दिया है। विपक्षी दलों ने इस निर्णय का विरोध किया था जिसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने सफाई दी कि किसी भी स्कूल को बंद करने की प्रक्रिया गतिमान नहीं है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Mon, 04 Nov 2024 11:34 PM (IST)
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शिक्षा विभाग ने इस प्रस्ताव को फिलहाल स्थगित कर दिया है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में 50 या उससे कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का पास के दूसरे परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में विलय अब नहीं किया जाएगा। स्कूलों का विलय किए जाने से संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद शुरू हुए राजनीतिक विरोध को देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने इस प्रस्ताव को फिलहाल स्थगित कर दिया है। 

इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के घेरने के बाद विभाग बैकफुट पर आ गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती के बाद अब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा व आम आदमी पार्टी (आप) के उप्र प्रभारी संजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा तो अब विभाग इस पर सफाई दे रहा है।

बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट कर और महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से सोमवार को लिखित सफाई दी गई कि किसी भी स्कूल को बंद कर उसे पास के दूसरे विद्यालय में विलय करने की कोई प्रक्रिया गतिमान नहीं है। ऐसे में 27,764 स्कूलों को बंद कर उनका पास के विद्यालयों में विलय नहीं किया जाएगा। 

समीक्षा बैठक में दिए गए थे निर्देश

बता दें बीती 23 अक्टूबर को मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशकों व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों के साथ हुई समीक्षा बैठक का 13 पृष्ठों का जो कार्यवृत्त महानिदेशक स्कूल शिक्षा की ओर से जारी किया गया है, उसमें दूसरे पृष्ठ पर 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को दूसरे विद्यालयों में विलय करने के लिए किन-किन चीजों का ध्यान रखा जाना चाहिए और आगे 13 व 14 नवंबर से सभी जिलों में बैठक कर प्रस्ताव तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं। 

महानिदेशक स्कूल शिक्षा के हस्ताक्षर से ही 30 अक्टूबर की तारीख में कार्यवृत्त जारी किया गया है। फिलहाल विरोध बढ़ने के बाद अब इस पर लीपापोती की जा रही है।

यह निर्णय दलित, पिछड़े व गरीबों के खिलाफ: प्रियंका गांधी

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट किया कि उप्र की भाजपा सरकार ने 27,764 प्राइमरी व जूनियर हाई स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है। यह कदम शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ दलित, पिछड़े, गरीब और वंचित तबकों के बच्चों के खिलाफ है। 

यूपीए सरकार शिक्षा का अधिकार कानून लाई थी, जिसके तहत व्यवस्था की गई थी कि हर एक किलोमीटर की परिधि में एक प्राइमरी स्कूल हो ताकि हर तबके के बच्चों के लिए स्कूल सुलभ हो सके। कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं का मकसद मुनाफा कमाना नहीं बल्कि जनता का कल्याण करना है। भाजपा नहीं चाहती कि कमजोर तबके के बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ हो।

आप निर्णय के विरोध में नौ को करेगी प्रदर्शन: संजय सिंह

आप के उप्र प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि सरकार का यह निर्णय उचित नहीं है। यह निर्णय दलित, पिछड़े, गरीब व आदिवासी बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। अच्छी व्यवस्था नहीं होगी तभी छात्रों का इन स्कूलों से मोहभंग हुआ होगा। पहले भी ऐसे 26 हजार स्कूलों का विलय कर उन्हें कंपोजिट स्कूल बनाया जा चुका है। नौ नवंबर को आप पूरे प्रदेश में इसके विरोध में प्रदर्शन करेगी।

सरकार के निर्णय से रुक जाएगी गरीब बच्चों की पढ़ाई: अखिलेश यादव

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से गरीब बच्चों की पढ़ाई रुक जाएगी। भाजपा सरकार स्कूलों में व्यवस्था सुधारने की बजाए 27,764 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों को बंद करने का षड़यंत्र कर रही है। सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे तो अभिभावक के पास निजी स्कूलों में बच्चों को भेजने को मजबूर होंगे।

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