UP News: अवैध मतांतरण के लिए दिल्ली की NGO में बुना गया था गहरा जाल, हवाला के जरिये पहुंचाई जाती थी बड़ी रकम
अवैध मतांतरण के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। दिल्ली की एक एनजीओ के जरिए बड़े पैमाने पर विदेशी फंडिंग की जा रही थी और हवाला के जरिए करोड़ों रुपये एजेंटों तक पहुंचाए जा रहे थे। इस मामले में एटीएस की जांच में 16 आरोपितों को सजा सुनाई गई है। अवैध मातांरण के षड्यंत्र की परतें जून 2021 में पहली बार तक खुली थीं।
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। अवैध मतांतरण के सिंडीकेट की जड़े बेहद गहरी रही हैं। दिल्ली की एनजीओ के माध्यम से अवैध मतांतरण को बड़े पैमाने पर कराने के लिए विदेशी फंडिंग का गहरा जाल बुना गया था। एनजीओ संचालक मु.उमर गौतम व मेरठ के मौलाना कलीम सिद्दीकी ने मिलकर बड़े पैमाने पर विदेश से रकम जुटाई थी और उसे गिरोह के सदस्यों तक पहुंचाया जाता था, जिससे संगठित रूप से मूक-बधिर बच्चों, महिलाओं व कमजोर आय वर्ग के लोगों को डरा-धमका कर अथवा प्रलोभन देकर मतांतरण कराया जा सके।
हिंदू धर्म के लोगों को मुस्लिम समुदाय में शामिल कराने के इस खेल में हवाला के जरिये भी करोड़ों रुपये एजेंटों तक पहुंचाए गए थे। इस बेहद संगीन मामले में एटीएस की प्रभावी पैरवी का परिणाम रहा कि बुधवार को उमर व कलीम समेत 16 आरोपितों को सजा सुनाई गई।अवैध मातांरण के षड्यंत्र की परतें जून, 2021 में पहली बार तक खुली थीं, जब गाजियाबाद के डासना स्थित शिव शक्ति धाम देवी मंदिर परिसर में खतरनाक इरादों से घुसने का प्रयास कर रहे दो संदिग्ध युवक विपुल विजय वर्गीय व कासिफ पकड़े गए थे।
इसे भी पढ़ें-लखनऊ-गोरखपुर समेत 42 जिलों में भारी बारिश के आसार, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्टदोनों से पूछताछ में सामने आया था कि मूलरूप से नागपुर निवासी विपुल विजय वर्गीय कुछ वर्ष पूर्व मुस्लिम धर्म अपना चुका है और उसने गाजियाबाद में एक मुस्लिम युवती से शादी की है। कासिफ उसका साला था। दोनों से पूछताछ में ही विपुल का मतांतरण कराने वाले बाटला हाउस, जामियानगर दिल्ली निवासी मुहम्मद उमर गौतम तथा ग्राम जोगाबाई जामियानगर, दिल्ली निवासी मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी के नाम सामने आए थे।
विपुल का मतांतरण उमर ने कराया था और उसका नाम रमजान रख लिया था। उमर सी-2, जागाबाई एक्सटेंशन, जामियानर दिल्ली में अपने अन्य सहयोगियों के साथ इस्लामिक दावा सेंटर नाम की संस्था का संचालन करता था। उमर के साथ इस खेल में मेरठ के मौलाना कलीम की बेहद सक्रिय भूमिका थी। कलीम जामिया ईमाम वलीउल्ला ट्रस्ट का संचालन करता था, जिसके खाते में फंडिंग होती थी।एटीएस की जांच में सामने आया था कि कलीम की ट्रेस्ट के डेढ़ करोड़ रुपये एकमुश्त बहरीन से भेजे गए थे। यह भी सामने आया था कि जिन संगठनों ने उमर गौतम की संस्था अल-हसन एजूकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन को फंडिंग की थी, उन्हीं श्रोतों से मौलाना करीम की ट्रस्ट को भी फंडिंग की जा रही थी।
मुजफ्फरनगर के ग्राम फूलत निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी अधिकतर दिल्ली में रहकर अपनी गतिविधियां संचालित करता था। कलीम की संस्था के खाते में 20 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग के साक्ष्य मिले थे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।