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UP News: अवैध मतांतरण के लिए दिल्ली की NGO में बुना गया था गहरा जाल, हवाला के जरिये पहुंचाई जाती थी बड़ी रकम

अवैध मतांतरण के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। दिल्ली की एक एनजीओ के जरिए बड़े पैमाने पर विदेशी फंडिंग की जा रही थी और हवाला के जरिए करोड़ों रुपये एजेंटों तक पहुंचाए जा रहे थे। इस मामले में एटीएस की जांच में 16 आरोपितों को सजा सुनाई गई है। अवैध मातांरण के षड्यंत्र की परतें जून 2021 में पहली बार तक खुली थीं।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 12 Sep 2024 10:34 AM (IST)
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कमजोर लोगों को डरा-धमका कर अथवा प्रलोभन देकर मतांतरण कराया जाता है। जागरण
 राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। अवैध मतांतरण के सिंडीकेट की जड़े बेहद गहरी रही हैं। दिल्ली की एनजीओ के माध्यम से अवैध मतांतरण को बड़े पैमाने पर कराने के लिए विदेशी फंडिंग का गहरा जाल बुना गया था। एनजीओ संचालक मु.उमर गौतम व मेरठ के मौलाना कलीम सिद्दीकी ने मिलकर बड़े पैमाने पर विदेश से रकम जुटाई थी और उसे गिरोह के सदस्यों तक पहुंचाया जाता था, जिससे संगठित रूप से मूक-बधिर बच्चों, महिलाओं व कमजोर आय वर्ग के लोगों को डरा-धमका कर अथवा प्रलोभन देकर मतांतरण कराया जा सके।

हिंदू धर्म के लोगों को मुस्लिम समुदाय में शामिल कराने के इस खेल में हवाला के जरिये भी करोड़ों रुपये एजेंटों तक पहुंचाए गए थे। इस बेहद संगीन मामले में एटीएस की प्रभावी पैरवी का परिणाम रहा कि बुधवार को उमर व कलीम समेत 16 आरोपितों को सजा सुनाई गई।

अवैध मातांरण के षड्यंत्र की परतें जून, 2021 में पहली बार तक खुली थीं, जब गाजियाबाद के डासना स्थित शिव शक्ति धाम देवी मंदिर परिसर में खतरनाक इरादों से घुसने का प्रयास कर रहे दो संदिग्ध युवक विपुल विजय वर्गीय व कासिफ पकड़े गए थे।

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दोनों से पूछताछ में सामने आया था कि मूलरूप से नागपुर निवासी विपुल विजय वर्गीय कुछ वर्ष पूर्व मुस्लिम धर्म अपना चुका है और उसने गाजियाबाद में एक मुस्लिम युवती से शादी की है। कासिफ उसका साला था। दोनों से पूछताछ में ही विपुल का मतांतरण कराने वाले बाटला हाउस, जामियानगर दिल्ली निवासी मुहम्मद उमर गौतम तथा ग्राम जोगाबाई जामियानगर, दिल्ली निवासी मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी के नाम सामने आए थे।

विपुल का मतांतरण उमर ने कराया था और उसका नाम रमजान रख लिया था। उमर सी-2, जागाबाई एक्सटेंशन, जामियानर दिल्ली में अपने अन्य सहयोगियों के साथ इस्लामिक दावा सेंटर नाम की संस्था का संचालन करता था। उमर के साथ इस खेल में मेरठ के मौलाना कलीम की बेहद सक्रिय भूमिका थी। कलीम जामिया ईमाम वलीउल्ला ट्रस्ट का संचालन करता था, जिसके खाते में फंडिंग होती थी।

एटीएस की जांच में सामने आया था कि कलीम की ट्रेस्ट के डेढ़ करोड़ रुपये एकमुश्त बहरीन से भेजे गए थे। यह भी सामने आया था कि जिन संगठनों ने उमर गौतम की संस्था अल-हसन एजूकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन को फंडिंग की थी, उन्हीं श्रोतों से मौलाना करीम की ट्रस्ट को भी फंडिंग की जा रही थी।

मुजफ्फरनगर के ग्राम फूलत निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी अधिकतर दिल्ली में रहकर अपनी गतिविधियां संचालित करता था। कलीम की संस्था के खाते में 20 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग के साक्ष्य मिले थे।

महराष्ट्र से भी जुड़े थे तार

उमर गौतम का सक्रिय साथी डा.फराज शाह को एटीएस ने महाराष्ट्र के यवतमाल से गिरफ्तार किया था। फराज ने एमबीबीएस किया था और अपने घर के पास ही क्लीनिक का संचालन करता था और अवैध मतांतरण से जुड़ी गतिविधियों में लिप्त था।

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असामाजिक तत्वों व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की कोई जगह नहीं

डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि एटीएस-एनआइए न्यायालय का निर्णय अवैध मतांतरण व विघटनकारी तत्वों के विरुद्ध यूपी एटीएस की प्रभावी कार्रवाई तथा गुणवत्तापूर्ण विवेचना पर मुहर लगाता है। अवैध मतांतरण सिंडीकेट के 16 आरोपितों को दोषी करार दिए जाने से स्पष्ट हो गया है कि उत्तर प्रदेश में असामाजिक तत्वों व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में भविष्य में किसी को देश की एकता व धार्मिक समरसता को खंडित करने की अनुमति न दी जाए। ऐसे राष्ट्र विरोधी तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी।

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